(विपिन सेमवाल की कलम से)
गौरव का घर में सभी बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे थे ,करते भी क्यों नहीं!, आखिरकार आज उसका जन्मदिन था …साथ ही उसके बेटे का नामकरण संस्कार भी चार बहनों के बाद बामुश्किल हुए बेटा गौरव सबका प्यारा था । मां ने केक पर कैंडल सजाए थे, तो वही चारों बहनें अपने संपूर्ण परिवार के साथ इस जन्मदिन को यादगार बनाने के लिए मायके पहुंची थी ।चारों और खुशियां ही खुशियां थी इधर गौरव अपने जन्मदिन को अपने दोस्तों से शेयर करने के लिए अपनी बाइक से बियर बार पहुंचा, वहां पर चार दोस्तों ने दो बोतल शराब की गटक ली इधर मां के और उसकी पत्नी के बार-बार उसके मोबाइल पर फोन आ रहे थे, जो कि शायद बड़ी फिक्रमन्द और बेसब्र लग रही थी ।
शराब का अंतिम पैक गटटने के बाद सभी दोस्त अपने अपने घर की ओर चल पड़े। गौरव नशे के आधिक्य में बाइक स्टार्ट कर चुका था। जब वह अपने घर की ओर मुड़ा तो, सड़क पर उसकी बाइक लहराने लगी थी ,अपने आपको काफी संभालने के बावजूद भी वह नहीं संभल पा रहा था , नशा इतना तारी कि सामने से आ रही मोटरसाइकिल से तीव्र गति से भिड़ गया, जोरदार बम सदृश आवाज के साथ दोनों दोनों बाइक सवार सड़क पर लहूलुहान हो गए,,गौरव का सिर रेलिंग से टकराकर फूट गया। गनीमत यह रही दूसरी मोटरसाइकिल पर हेलमेट लगाने के कारण दूसरा बाइक सवार बच हो, लेकिन उसकी 2 साल की बच्ची चोटिल हो गई, लेकिन पीछे बैठी उसकी पत्नी के चिथड़े उड़ गए। काफी देर बाद लोगों का हुजूम दुर्घटना स्थल पर उमड़ गया और दूसरे बाइक सवार को घायल अवस्था में उठाकर अस्पताल ले गए। वही गौरव की डेड बॉडी को उसके पारिवारिक जनों को सौप दी। जन्मदिन की पार्टी कब शोक सभा में तब्दील हुई पता ही नहीं चला ।निर्दयी वक्त ने दोनों परिवारों का काफी नुकसान कर दिया ।सोचने वाली बात यह अब गौरव की पत्नी और दूसरी बाइक सवार के परिवार का क्या होगा ? महज एक गलती से दोनों परिवार समाप्ति के कगार पर पहुंच गए।।
मुझे यह लगता है जो व्यक्ति सरकार द्वारा मोटर वाहन एक्ट के बड़े बड़ी राशि से आहत हैं ,वे लोग जो 20000I0 की बाइक तो खरीद लेते हैं, लेकिन उनके पास ₹200 का हेलमेट खरीदने का पैसा नहीं है , जरा सोचिए !सरकार ने जो यह नियम बनाए हैं वह क्या पैसे कमाने के लिए बनाए हैं ?या आपको सुरक्षा मुहैया करवाने के लिए। इस कहानी से जरूर आपकी आंखें खुलेगी हेलमेट जरूर पहने नशे की आधिक्य में वाहन न चलाएं बहुत-बहुत आभार।।।