Sunday, December 22, 2024
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लोकगायक नेगी के शराब पर दिए बयान पर सोशल मीडिया में उबाल..! आखिर क्या अलग कह दिया नरेंद्र सिंह नेगी ने!

(मनोज इष्टवाल)

लगभग चार दशक से भी ज्यादा समय से अपने गीतों के माध्यम से उत्तराखंडी जनमानस के दिलों में राज करने वाले सुप्रसिद्ध लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने आखिर ऐसा अलग क्या कह दिया जिस से सोशल साईट पर न सिर्फ पुरुष वर्ग बल्कि महिला वर्ग ने भी उनके बयान का विरोध करना शुरू कर दिया है! आखिर क्यों लोगों के दिमाग में यह बात आ रही है कि लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी द्वारा यह बयान तब दिया गया जब प्रदेश के मुख्यमंत्री उनके आवास पर उन्हें संगीत नाट्य अकादमी के सम्मान की शुभकामनाएं देने गए थे और उसके कुछ ही समय बाद उनका बयान किसी समाचार माध्यम से आता है जिसमें वे एक तरह से उत्तराखंड में शराब फैक्ट्री की पैरवी करते नजर आते हैं!

बात यहीं आई गई हो गयी होती तो बात अलग थी लेकिन इस अप्रत्याक्षित बयान पर जो लोगों ने समाचार माध्यमों व सोशल साइट्स पर तीखी प्रतिक्रियाएं ब्यक्त की वह सचमुच बेहद चौंका देने वाली कही जा सकती हैं क्योंकि लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी की छवि जिस समाज के बीच सामजिक व सांस्कृतिक तौर पर उत्तराखंडी संस्कृति के ध्वजवाहक व जननायक की रही है, जिनके गीतों को लोग दिलों में पूजते व जुबान में सजाते हैं उन्हीं के बारे में लोगों ने इस बयान के बाद सारे मिथक तोड़ डाले!

सोशल साईट पर उनके उन गीतों की पंक्तियों वीडियो को डाला जाने लगा जिसमें वह अपने गीतों के माध्यम से मद्यनिषेध की वकालत करते नजर आये हैं! किसी का कटाक्ष होता – “भयुं दारु पीणी पिलाणी नि चैन्दी…! तो कोई कहता “दर्वल्या छऊँ न भंगुल्या भंगल्वडा पोड्यूँ छऊँ!” तो कोई नेगी जी के वर्तमान बयान व उनके गीत “दारु बिना यख मुक्ति नी..!” दोनों के ही वीडियो सोशल साईट पर डालते हुए लिखते हैं- यह हैं लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी की रील लाइफ (शराब पीड़ा) और रियल लाइफ (समर्थन बीड़ा)! तो कोई उन्हें याद दिलाने के कोशिश करता..”अभी भनायु सौ कु नोट अभी व्हे ग्याई सुट….!

लोग यहीं नहीं रुके बल्कि उन्होंने इसे जातिगत समीकरणों में भी विभाजित करना शुरू कर दिया! कई ने ट्वीट किया आखिर नारायण दत्त तिवारी पर नौछमी और निशंक के मुख्यमंत्रित्व काल में “अब कतगा खैल्यु…वाले नेगी जी को हरीश रावत व् वर्तमान सरकार पर लिखते समय क्या हो गया? क्या वे ऐसा साहस कर पायेंगे ! तो कोई रिप्लाई में लिखता है कि क्या उन्हीं का ठेका लिया हुआ है सरकारों पर लिखने का! कोई उन्हें रामदेव जैसा लाला कहने में गुरेज नहीं कर रहा है तो कोई उन्हें युग पुरुष बनाने का यत्न कर रहा है!

ऐसे न जाने कितने असंख्य ट्वीट नेगी जी के विरोध स्वर में सामने आ रहे हैं, लेकिन यह हैरत की बात है कि जिस शराब पर वह अपना बयान देकर सरकार को क्लीन चिटदेते नजर आ रहे हैं उसी सरकार के किसी भी राजनैतिक नुमाइंदे ने यह हिम्मत नहीं जुटा पाई कि वे यहाँ आकर लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी के समर्थन में उनका बचाव कर सकें! वे करेंगे भी नहीं क्योंकि उन्हें पता है कि जनता सिर पर बिठाना भी जानती है तो वक्त आते ही धरातल सुंघाना भी उसी को आता है!

जहाँ तक व्यक्तिगत तौर पर मैं लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी को जानता हूँ, उस हिसाब से अगर लिखूं तो यह तय है कि वे साफ़ दिल व साफ़गोई इंसान हैं! उन्हें जो कहना होता है स्पष्ट बोल देते हैं! यहाँ भी उनका बयान कुछ ऐसा ही था लेकिन उसे वे परोसते समय यह भूल गए कि जिन माँ बहनों ने शराब के विरुद्ध उनके गृह जनपद पौड़ी में उन्हीं के जनगीतों के माध्यम से कई यात्राएं की, दुकानें बंद करवाई वही जनमानस यहाँ शराब का विरोध इसलिए नहीं कर रहा है कि इसकी फैक्ट्री पहाड़ में लग रही है बल्कि इसलिए ज्यादा मुखर है कि यह हिन्दू धर्म के पावन धाम देवप्रयाग में लग रहा है! न यह लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी की जानकारी में रहा होगा कि यह फैक्ट्री नहीं महज बोटलिंग प्लांट है और देवप्रयाग से लगभग 34किमी. आगे लक्ष्मोली के ऊपर ढडूवा में है!

https://www.facebook.com/vikram.srivastava.1441/videos/1349920331831428/?t=8

लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी से जब इस सम्बन्ध में मेरी दूरभाष पर बात हुई तो उन्होंने छूटते ही कहा – मनोज, तुम्हारी पत्रकार विरादरी से अब बात करने में भी बहुत सोचना पड़ेगा! मेरी वह बात तो आई ही नहीं जिसमें मैंने यह कहा था कि यह काम नीति नियंताओं का है मैं तो एक संस्कृतिकर्मी या लोककलाकार हूँ! मैंने जो व्यंग्य अपने आप पर किया था कि सबसे ज्यादा शराब की खपत तो यहीं है वह मेरी आंतरिक पीड़ा थी! क्योंकि उस समाज का मैं भी हिस्सा हूँ और आप भी! सच यह है कि पीने वाले यह नहीं देखते कि घर में दाल सब्जी है भी कि नहीं! मैं व्यथित इसी बात से हूँ कि बर्षों तक शराब के विरुद्ध गीत/जनगीत लिखते हो गए लेकिन सामाजिक बदलाव लाने में हम कामयाब नहीं हो सके! मैं तो एक माध्यम हूँ, सरकारी मद्यनिषेध विभाग ने जाने इस पर कितनी फ़िल्में बनाई, कितना प्रचार प्रसार किया और जब यह सब पीना पिलाना नहीं रुका तो थक हारकर विभाग को बंद कर देना पड़ा!

नेगी जी कहते हैं कि यह अजीब इत्तेफाक हुआ क्योंकि तब मुख्यमंत्री उनके आवास से निकले ही थे कि पत्रकार पहुँच गए उन्होंने संगीतअ नाट्य अकादमी सम्मान के बीच में यह बात पूछ ली तो स्वाभाविक बात थी कि मैं अपनी सरल भाषा में वह बोल गया जिसका खामियाजा मुझे इस तरह उठाना पड़ रहा है! यह मेरे लिए बेहद आश्चर्यजनक बात है कि मेरी वह बात तो आई ही नहीं जिसमें मेरी सामाजिक पीड़ा शामिल थी! सिर्फ शराब पर ही इसे केन्द्रित कर बात फैलाई जा रही है! अब यह जनता पर निर्भर करता है कि वह मेरी बिना पूरी बात जाने क्या टिप्पणी देते हैं जबकि सभी जानते हैं कि मैं राजनीतिक व्यक्ति नहीं हूँ फिर भी इस सबको राजनीति से जोड़ा जा रहा है!

यह बात सचमुच बेहद अलग है कि उत्तराखंड के सामाजिक सरोकारों व सांस्कृतिक मूल्यों के लिए जिस व्यक्ति ने पूरी जिन्दगी लगा दी उसके एक बयान ऐसे बयान पर सोशल साइट्स पर हंगामा मच गया जो उनके हिसाब से आधा अधूरा प्रस्तुत किया गया है! वहीँ दूसरी ओर देखा जाय तो यह भी सच है कि देश धर्म और राष्ट्रवाद के जिस दौर में गुजर रहा है उसी दौर ने देश के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी को पुनः इन्हीं दो मुद्दों पर प्रधानमन्त्री बना दिया है तब देवप्रयाग जैसे धर्म स्थल में शराब की फैक्ट्री के प्रचार-प्रसार को माध्यम बनाकर भला राजनीतिज्ञ क्यों न राजनीति करें? यह जनता को भी समझना होगा! मेरे हिसाब से इसे लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी का आधा-अधूरा बयान (जैसा कि वे स्वयं कहते हैं) मानकर हमें समझना होगा कि हो न हो कोई यहाँ भी ऐन पंचायती चुनाव से पहले राजनीतिक रोटियाँ सेंकी जा रही हों! और यह अक्सर तभी होता है जब चुनाव निकट हों जैसे वर्तमान में पिथौरागढ में भी पुस्तकों को लेकर जो बबाल मचा है वह भी कई राजनीतिक लेखकों की नजर में संसदीय कार्य व वित्त मंत्री प्रकाश पन्त के स्वर्ग सिधारने के बाद खाली हुई विधायक चुनाव से जोड़कर देखी जा रही है जिस पर अभी चुनाव होने हैं!

बहरहाल लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी पहली बार ऐसे षड्यंत्र के शिकार होते नजर आये जिसमें परदे के पीछे राजनीति का वह चेहरा नजर आ रहा है जो कहा जा सकता है- न क्वी तेरु न क्वी मेरु…!

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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