Friday, November 22, 2024
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औली के नाम पर विकास का ये कैसा विरोध।

(वरिष्ठ पत्रकार अर्जुन सिंह बिष्ट की कलम से)


दुनिया के बेहतरीन बर्फीले ढलानों के रूप में जाने जाने वाले चमोली जिले का ऑली इन दिनों खूब चर्चाओं में है। कारण चर्चित उद्योगपति गुप्ता बंधुओं के बेटों की शादी जो हो रही है। चर्चा इसलिए नहीं है कि वहां शादी हो रही है बल्कि इसलिए है कि इस शादी से समूचा हिमालय खत्म हो जाएगा। पर्यावरण के “शुभचिंतक” बहुत परेशान हैं। मगर एक बात खूब समझ में आ गयी है, इस शाही शादी के बहाने औली पूरी दुनिया की नजर में आ गया है।

वहां लगभग 200 मेहमान इस शाही शादी में शिरकत करने जा रहे हैं, अनुमान है कि करीब 300 लोग व्यवस्था में लगे हैं। पर्यावरण के शुभचिंतकों की चिंता यह है कि ये लोग मल-मूत्र त्याग कर औली में बास फेला देंगे। इनको चिंता ये भी थी कि हेलीकॉप्टरों की आवाज इन पहाड़ों को हिला देगी। ये चिंता करने वाले साथी दो तीन हफ्ते पहले एक अलग ही चिंता में डूबे हुए थे। वे लागातार सरकार को इस बात के लिए लताड़ रहे थे कि केदारनाथ के लिए हेली कंपनियों के साथ अनुबंध नहीं हो सका। या पहले से कम कंपनियों को उड़ान की अनुमति मिली है। केदारनाथ औली से काफी ऊंचाई पर है और वहां केदारनाथ वाइल्ड लाइफ सेंचुरी भी है। यानि हेलिकॉप्टर की उड़ान वहां वन्य जीवों के लिए ज्यादा परेशानी पैदा करती है। जबकि औली में ऐसा नहीं है। औली गोरसों बुग्याल से सटा हुआ खर्क है। एक बात कहना चाहता हूं, इन पहाड़ों का महत्व तभी तक है जब तक वहां लोग रह रहे हैं और लोग आ जा रहे हैं। लोग यहां तभी रहेंगे जब उनको विकास से वंचित नहीं किया जाएगा।

शाही शादी का विरोध करने वाले दोस्तों एक बात शायद आपको पता होगी, फिर भी आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं। औली से कहीं अधिक ऊंचाई पर वेदिनी बुग्याल है। यहां हर साल नंदा जात होती है 30 से 40 हजार लोग वेदिनी तक पहुंचते हैं। बारह साल में राजजात होती है। इसमें तो हजारों लोग 15 हजार फुट ऊंचे होमकुंड तक पहुंच जाते हैं। हजारों की संख्या में लोग यहां कयी रात रुकते हुए चलते हैं। जाहिर सी बात है, ये लोग इस दरमियान मल-मूत्र त्याग भी यहीं करते होंगे। मैं देख रहा हूं, हर साल नंदा जात व राजजात में वेदिनी बुग्याल व रूपकुंड क्षेत्र में सड़ांध फैला कर लौटने वाले बहुत सारे साथी भी औली में लगने वाले सात फेरों से हिमालय के अस्तित्व की चिंता में डूबे हैं।
एक बात जरूर समझने की है। इस शाही शादी में कैटरीना कैफ, उर्वशी रौतेला, सिंगर बादशाह, सिद्धार्थ मल्होत्रा, जैकलीन फर्नाडीज, श्रद्धा कपूर, अभिजीत सावंत, कनिका कपूर, कैलाश खेर, बॉम्बे राकर्स बैंड, जैसी नामी गिरामी हस्तियां व कलाकार अब तक वहां पहुंच चुके हैं। बात साफ ही है, फिल्म इंडस्ट्री के ये लोग औली की मखमली ढलानों में फिल्म शूटिंग की कामना भी करेंगे। तब भी क्या पर्यावरण के नाम पर पहाड़ को विकास से रोकने वाले लोग इसी तरह विलाप करेंगे।

पर्यावरण व हिमालय की इतनी चिंता करने वाले साथियों से एक आग्रह है। अगर हिमालय के सच्चे हितैषी हैं तो ऐवरेस्ट के रास्ते से जाम हटवाने की कोशिश करें, रूपकुंड के मार्ग पर पक्के शौचालय बनवा दे। केदारनाथ और बदरीनाथ में हेलीकॉप्टर की उड़ान बंद करने की मुहिम चलाएं, ना कि शादी-ब्याह का विरोध करें। विरोध करने का कारण यह तो नहीं हो सकता है कि ठेका मुझे तो मिला नहीं, उसको क्यों मिल गया।
***दोस्तो ये तो देखना ही होगा कि किसी “व्यक्ति विशेष” के विरोध की मुहिम में कहीं हम पहाड़ के विकास का विरोध तो नहीं कर रहे।

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