जबलपुर !
बैच न. 36 की इस महिला कूली का नाम संध्या है जो कूली काम करते हुए अपने तीन बच्चों का भरण पोषण कर रही है! इनके पति 2016 में स्वर्ग सिधार गए थे तब से ही संध्या ने परिवार की जिम्मेदारी अपने सिर ले ली है! संध्या आज के समाज के लिए एक मिशाल के तौर पर है क्योंकि सुंदर नैन नक्श व सूरत की संध्या ने जिस कम उम्र में यह सब जिम्मेदारियां बेहद इमानदारी के साथ उठाई हैं वह भारतीय नारी की एक प्रतिमूर्ती कही जा सकती हैं क्योंकि इस उम्र में कोई भी यौवना शोर्टकट रूट अपनाकर आराम पसंद जिन्दगी जी सकती है लेकिन संध्या ने इसे भारतीय नारी की त्याग तपस्या के रूप में अपनाया है!
संध्या के तीन बच्चे क्रमशः साहिल उम्र 8 बर्ष, हर्षित उम्र 6 बर्ष व पायल उम्र 4 बर्ष हैं जिनका वह न सिर्फ भरण पोषण कर रही हैं बल्कि उनके पठन पाठन की जिम्मेदारी भी निर्वहन कर रही हैं! वह रोज 45 किमी. दूरी तय कर जबलपुर रेलवे स्टेशन पहुँचती हैं जहाँ वह दिन भर अपने शारीरिक श्रम से यात्रियों का माल ढोकर अपनी दैनिक दिनचर्या की ध्याड़ी कमाती हैं व शाम को घर लौटकर अपने बच्चों के लिए भोजन तैयार करना, कपडे धोना, चौका चूल्हा करना उनकी नियमित दिनचर्या में शामिल है! ऐसी महिला को हृदय से नमन!