(मनोज इष्टवाल)
भोपाल से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रही साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बारे में पढ़ते-पढ़ते ध्यान आया कि साध्वी ऋतम्बरा, उमा भारती सहित जाने कितनी हिंदुत्व की फायर ब्रांड महिलाओं ने तब तब अलख जगाई जब-जब धर्म की नींव हिली! साध्वी उमा भारती के भाग्य में साधूयोग ही नहीं राज योग भी शामिल था इसलिए राजनीति में उबरकर सामने आई! अब उसी राह पर साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर भी है जिस पर हिन्दू आतंकवाद का कांग्रेसियों ने बड़ा ठप्पा लगाया और उन्हें बम ब्लास्ट का चेहरा मानकर हर सम्भव यातनाएं दी गयी! अभी वह बेल पर बाहर हैं और भोपाल से कांग्रेसी कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह के विरुद्ध चुनाव लड़ रही हैं! क्या साध्वी प्रज्ञा भी राजयोग प्राप्त कर पाएंगी यह बड़ा प्रश्न है!
इनसे ध्यान भटककर अचानक अपने उत्तराखंड की एक फायर ब्रांड हिंदुत्व की महिला पर ध्यान केन्द्रित हो गया! आप सोचेंगे कहाँ साध्वी प्रज्ञा, उमा भारती या फिर अयोध्या बावरी मस्जिद के दौरान सुर्ख़ियों में आई साध्वी ऋतम्बरा और कहाँ देहरादून जैसे छोटे से शहर की एक मामूली सी भावना शर्मा..! आपका सोचना भी जायज है लेकिन भावना शर्मा द्वारा विगत 23 अप्रैल 2019 को सोशल साईट पर जब ये शब्द लिखे गए थे कि- “क्या कारण है कि साध्वी प्रज्ञा अधिकतर सभी की आंखो की किरकिरी बनी हुई हैं वो तो एक स्त्री है सब उनसे खुश रह सकते थे वो भी आज सुविधाएं प्राप्त कर के सुंदर और सरल जीवन व्यतीत कर सकती थी, विरोधी उत्पन करने की उनको क्या आवश्यकता थी ! क्यों मुकदमे लगवाए क्यों लड़ी धर्म की लड़ाई । इतने वर्ष पीड़ा झेली तब कोई उन्हें देखने या साथ देने नहीं गया । राजनीति में आना तो और भी आसान था क्यों नहीं उस समय पर उन्होंने राजनीति की। सीधी साध्वी राजनीति में आते ही मन की पीड़ा शब्डॉन में कह गई तो विरोधियों और अपनों का ही निशाना बन गईं । । क्योंकि ये एक नारी के सम्मान और स्वाभिमान की लड़ाई भी थी और है।”
ये शब्द उनकी अन्तस् की पीड़ा के वह शब्द हैं जो उन्होंने स्वयं में झेले महसूस किये! साफ़ सा इशारा है कि अगर साध्वी प्रज्ञा राजनीतिक लाभ ही लेना चाहती तो महिला होने के नाते राजनीति की आसान से आसान सीढियां चढती हुई आगे बढ़ जाती लेकिन वह तो हिन्दू धर्म रक्षक की साध्वी है! आज अगर कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह के विरुद्ध भोपाल से चुनाव लड़ रही है तो साफ़ सी बात है कि भगवा आतंकवाद के नाम से जितना परेशान व प्रताड़ित इस कांग्रेसी नेता से साध्वी रही शायद ही कोई रहा होगा!
उत्तराखंड प्रदेश के गढ़वाल सम्भाग की दुर्गावाहिनी की इस फायर ब्रांड हिंदुत्व की नेता कहें या कार्यकर्ता के साथ भी कहीं न कहीं अंदर खाने कुछ न कुछ चलता ही रहता है ! देहरादून महानगर के पुरुष समाज के कार्यकर्ता शायद इन्हें पचा नहीं पाते क्योंकि जब भी इनका जत्था हिंदुत्व की रक्षा के लिए निकलता है कई अवसरवादी नेताओं के माथे पर पसीने की बूंदे निकल आती हैं क्योंकि यह धुर्र और कट्ठर हिन्दू समर्थक हैं! यही कारण भी है कि वर्तमान में लव जेहाद के मामले में इन पर पांच केस दर्ज किये हुए हैं जिनमें दो विकास नगर व तीन देहरादून में हैं! ये सभी केस हिन्दू घराने की उन लड़कियों को मुस्लिमों के चंगुल से बचाकर लाने के बाद दर्ज हुए हैं जिन्हें बहला फुसलाकर लव जेहाद का शिकार बनाया गया ! दुर्भाग्य देखिये आज भाजपा की सरकार दो साल से अधिक समय से प्रदेश में राज कर रही है लेकिन भावना शर्मा पर दर्ज इन फर्जी केसों को बंद करवाने की एक बार भी इस सरकार ने जरुरत महसूस नहीं की! और तो और हिन्दूवादी संगठन भी कभी उनकी पैरवी करने मुख्यमंत्री के पास तक नहीं गए!
हाल ही में भावना ने डोईवाला शाखा में हिंदुत्व के प्रचार प्रसार की रैली में भी अपनी सहभागिता निभाई जो मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का विधान सभा क्षेत्र कहा जाता है और स्वयं मुख्यमंत्री संघ संगठन के मुखौटे भी रहे हैं लेकिन फिर भी भावना पर दर्ज मुकदमों के लिए कोई सामने नहीं आया! भावना शर्मा ने बातचीत में बताया कि यह भगवा नफरत का नहीं अहिंसा और त्याग का प्रतीक है लेकिन कोई अगर हमारी बहु बेटियों पर गन्दी नजर डाले तब यह केसरिया रंग की ज्वाला उनके लिए काफी है! सब भाई चारे से रहे तो देश प्रगति की ओर बढ़ता है ! मैंने सिर्फ हिंदुत्व के लिए यह भगवा धारण किया है ! राजनीति करनी होती तो बहुत आसानी से कर लेती लेकिन हिन्दू धर्म ने नारी को हमेशा पूजनीय माना है इसलिए जब तक प्राण हैं हिंदुत्व की लड़ाई लडती रहूंगी! भले ही संगठन के कुछ लोगों की आँख की किरकिरी क्यों न कही जाऊं अपना धर्म निभाती रहूंगी!
दुर्गावाहिनी की भावना शर्मा की पीड़ा भी उसके शब्दों में कहीं न कहीं दिखाई दे रही थी! क्योंकि पुरुष समाज का एक अंग ऐसा भी है जो महिलाओं को आज भी अपने आगे नगण्य ही देखना चाहता है ! यही कारण भी है कि भावना शर्मा की आग को देखकर कुछ ऐसे तत्व उन्हें पचा नहीं पाते क्योंकि भावना कलुषित मानसिकता के व्यक्तित्व को तबज्जो नहीं देती! आइये ऐसी धर्मरक्षक बहनों के लिए हम भी समाज में अपनी भागीदारी निभाएं ताकि हमारे सम्पूर्ण समाज की बहनें उन नजरों से बची रहें जो हैवानियत और वासनाओं से भरी होती हैं!