Friday, November 22, 2024
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इतिहास के पन्नो पर दर्ज होगा इन्द्र सिंह नेगी बनाम राजेश नौटियाल व अन्य में जिला न्यायालय देहरादून का फैसला।

इतिहास के पन्नो पर दर्ज होगा इन्द्र सिंह नेगी बनाम राजेश नौटियाल व अन्य में जिला न्यायालय देहरादून का फैसला।

(मनोज इष्टवाल)

देहरादून जिला न्यायालय के एक ऐतिहासिक फैसले ने आखिर हर वह उम्मीद ज़िंदा रखी जिस से न्यायपालिका पर आम आदमी का विश्वास बना रह सके! भले ही इस फैसले के आने में चार साल एक माह लग गया लेकिन जब हुआ तो दूध का दूध पानी का पानी हो गया! यह वाकिया जौनसार बावर क्षेत्र का है!   कालसी विकासखंड की लाच्छा क्षेत्र पंचायत (वार्ड-37) पर 2014 के पंचायत चुनाव पर सबकी नजर लगी हुयी थी, कारण एक तरफ सामाजिक-राजनीतिक-अकादमिक कार्यकर्ता जो राज्य ही नहीं अपितु राज्य से बाहर भी अपनी विशेष पहचान बनाए हुये हैं और आस-पास की लगभग हर गतिविधि, लोगों के सुख-दु:ख में अपनी सहभागिता निभाते रहे सिल्ला गाँव निवासी इन्द्र सिंह नेगी और दूसरी तरफ राजेश नौटियाल जो पूर्व जिला पंचायत श्री रामशरण नौटियाल के भतीजे और पूर्व में जिला पंचायत क्षेत्र कचटा से पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमति मधु चौहान के खिलाफ चुनाव लड़े व उसमें हार का सामना कर चुके क्यारी गाँव निवासी राजेश नौटियाल और एक अन्य प्रत्याक्षी कांडोई गाँव निवासी नीरज रावत चुनाव में प्रतिभाग कर रहे थे ।

लाच्छा वार्ड में कुल 11 गाँव और नागथात सम्मलित हैं मतदान प्रक्रिया 21 जून 2014 को संपन्न हुई और परिणाम 27 जून 2014 को कालसी स्थित राजकीय इंटर कालेज में संपन्न की गयी, अन्य स्थानों की मतगणना तो सुचारु रूप से की गयी लेकिन मंडोली ग्राम पंचायत और लाच्छा क्षेत्र पंचायत की मतगणना ने विवाद का रूप ले लिया । हुआ ये कि मंडोली से प्रधान का चुनाव लड़ रहे मंडोली निवासी अतर सिंह और उभरेउ निवासी नारायण सिंह जिनके चुनाव निशान क्रमश: अनाज की बालिया और अन्नानास थे, 226 मतों की गणना हुई और दोनों प्रत्याक्षियों को 85-85 मत पड़े बताए गए और 50 मत ऐसे जिस पर पीठाशीन अधिकारी के हस्ताक्षर ना होने की बजह से निर्वाचन अधिकारी द्वारा निरस्त कर दिये गए जबकि ये मत संबन्धित प्रत्याक्षी ( जिसका दावा अतर सिंह कर रहे थे ) को डाले थे, इसके अतिरिक्त 6 मतों को अन्य कारणों से निरस्त कर दिया गया साथ ही निर्वाचन अधिकारी ने पर्ची डाल कर नारायण सिंह को विजयी घोषित कर दिया गया । अभी तक अतर सिंह न्याय के लिए एस डी एम कालसी की अदालत में धक्के खा रहे हैं ।

लाच्छा क्षेत्र पंचायत के नतीजे पर सबकी नजर थी जैसे ही शाम के समय यहाँ की मतगणना शुरू हुई तो यहाँ के काउंटर पर लोगों की भीड़ जुटनी प्रारम्भ हो गयी थी, सबसे पहले गड़ोल मतदान केंद्र के वोट्स गिने गए जिसमें इन्द्र सिंह नेगी को 163, राजेश को 113, नीरज को 04 व 5 वोट्स निरस्त किए गए अर्थात इन्द्र सिंह नेगी अपने निकटतम प्रत्याक्षी पर 50 वोट्स की बड़त बना गए, इसके बाद क्यारी केंद्र पर इन्द्र सिंह नेगी को 97, राजेश को 268, नीरज को 38 व 11 वोट्स निरस्त किए गए । इसके बाद सिंगौर में इन्द्र सिंह को 82, राजेश को 95 ( जिसमें दो मतपत्र ऐसे थे जिसमें 3 की बजाय 4 चुनाव निशान थे जबकि प्रत्याक्षी 3, इस 2 मतों को रद्द करने के लिए कहा गया लेकिन इन्द्र सिंह नेगी का पक्ष सुना नहीं गया ), नीरज को 1 तथा 2 मत अन्य कारणो से रद्द कर दिये गए । इसके बाद लाच्छा मतदान केंद्र पर डाले गए मतों की गणना शुरू हुयी तो सबकी दड़कने बड्ने लगी किन्तु इन्द्र सिंह नेगी के समर्थकों को भरोषा था कि उन्ही को जीत हासिल होगी क्योंकि इन्द्र सिंह नेगी के घर का मतदान केंद्र था, यहाँ इन्द्र सिंह नेगी को 240, राजेश को 107, नीरज को 02 तथा जो 51 वोट्स निर्वाचन अधिकारी द्वारा रद्द कर दिये उसमें 41 मत ऐसे थे जिसमें पीठाशीन अधिकारी के हस्ताक्षर के अभाव में रद्द कर दिये गए । जैसे ही खबर लोगों तक पहुंची इन्द्र सिंह नेगी के समर्थकों ने हँगामा शुरू कर दिया, एक तरफ इन्द्र सिंह नेगी के समर्थक तो दूसरी तरफ राजेश के समर्थन में राम शरण नौटियाल, तत्कालीन काबीना मंत्री प्रीतम सिंह ने पी आर ओ अजय नेगी व अन्य आमने-सामने आ गए। नौबत धक्कामुक्की तक पहुँच गई, इन्द्र सिंह नेगी ने लिखित शिकायत कर 41 वोट्स को मतगणना में शामिल करने और 2 वोट्स जिसमें 3 की बजाय 4 चिन्ह थे को निरस्त करने का निर्वाचन अधिकारी से आग्रह किया, हंगामा बड़ता देख सुरक्षा देख रहे एस डी एम नारायण सिंह डांगी ने पुलिस की मदद से दोनों पक्षों को अलग-अलग कर दिया । इतने तक मामला हाई-प्रोफाइल बन चुका था, चारों तरफ से निर्वाचन अधिकारी पर निर्णय लेने का दबाव पड़ना शुरू हो चुका था, रात घिर आई थी, अन्य सीट्स के प्रत्याक्षी और समर्थक अपने घरों को निकल चुके थे लेकिन लाच्छा क्षेत्र पंचायत के प्रत्याक्षी और उनके समर्थक निर्णय की प्रतीक्षा मतगणना केंद्र पर डटे हुये थे । इस बीच पंचायत राज अधिकारी मोहमद्द मुस्तफा खान भी पहुँच गए और निर्वाचन अधिकारी ने राजेश नौटियाल को 1 मत से विजयी घोषित कर प्रमाण पत्र दे दिया, राजेश नौटियाल मतगणना स्थल से प्रमाण-पत्र लेकर निकाल गया, जैसे ही ये खबर इन्द्र सिंह नेगी के समर्थकों के बीच पहुंची उन्होने हँगामा काटना शुरू कर दिया और पंचायत राज अधिकारी खान को खूब करी-खोटी सुनाई । इस बीच मुन्ना चौहान भी मतगणना स्थल पर पहुँच चुके थे उन्होने भी अपने स्वभाव ने अनुरूप खूब सुनाया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी, इसके बाद इन्द्र सिंह नेगी के समर्थक निराश अपने घरों के लिए चल दिये ।

अपने समर्थकों से विचार-विमर्श के पश्चात इन्द्र सिंह नेगी ने अदालत में जाने का निर्णय लिया और 8 जुलाई 2014 को माननीय जिला एवं सत्र न्यायालय की अदालत में अपनी वकील अनुपमा गौलम के माध्यम से चुनाव याचिका दायर कर दी, 4 साल से अधिक समय तक चली इस कवायद जिसमें अनेक न्यायधीशों की अदालत में मामला हस्तांतरित होता रहा और लगभग 38 तारीखें लगी और उन्नतिसवें बार 30 जुलाई 2018 फैसला सुनाया गया । इस फैसले में माननीय न्यायालय द्वारा निर्वाचन अधिकारी द्वारा राजेश नौटियाल के निर्वाचन को शून्य घोषित करते हुये, 42 वोट्स को मतगणना में शामिल कर 30 दिन के भीतर जिला निर्वाचन अधिकारी को पुन:मतगणना करने के आदेश दिये । इस आदेश के अनुपालन में जिला निर्वाचन अधिकारी ने 21 अगस्त 2018 को जिला सभागार में कराने का निर्णय लिया और इस प्रक्रिया में एस डी एम कालसी को मतगणना अधिकारी नियुक्त किया, प्रत्याक्षी, पक्षकार व अधिवक्ता और पंचस्थानिक चुनाव के अधिकारी कर्मचारी शामिल हुये । कुल 1279 मतों की मतगणना में इन्द्र सिंह नेगी को 617, राजेश को 589, नीरज को 45 और 69 अनेक कारणों से रद्द कर किए गए ।

ये इस तरह का पहला मामला नहीं हैं इससे पूर्व में वर्ष 2000 में हुये बिहार विधान सभा चुनाव में भी देखने को मिला, हुआ ये कि सीतामढ़ी निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा हरी शंकर प्रसाद शर्मा, राष्ट्रीय जनता दल के राशिद अली व अन्य चुनाव लड़ रहे थे । 22 फरवरी 2000 को मतदान हुआ, 25 फरवरी 2000 को मतगणना हुई और 27 फरवरी 2000 को राष्ट्रीय जनता दल के राशिद अली खान को 35 मतों से विजयी घोषित कर दिया तथा 90 मत जो भाजपा के हरी शंकर प्रसाद को डले थे उनको मुहर कि गड़बड़ी या अन्य की वजह सेनिर्वाचन अधिकारी ने निरस्त कर दिया जिसमें ना प्रत्याक्षी और ना मतदाता की कोई गलती थी, इन्होने अपनी शिकायत निर्वाचन अधिकारी से की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई ।  हरीशंकर प्रसाद पटना हाई कोर्ट चले गए लेकिन उनको कोई राहत नहीं मिल पाई तो इसके बाद वो सुप्रीम कोर्ट चले गए और माननीय न्यायधीशों श्री आर सी लोहाटी और श्री बृजेश कुमार ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुये 90 मतों को याची की गणना में सम्मलित करने का निर्णय लिया और हरी शंकर प्रसाद 55 मतों से विजयी हुये । इसमें मनीलाल बनाम प्रमेयलाल व अन्य-1970 और टी एच मुस्तफा बनाम एम पी बर्गीस व अन्य मामलों का संदर्भ भी लिया गया ।

इसी प्रकार रुद्र प्रयाग जनपद के उखीमठ की ग्राम पंचायत जौला का मामला रहा जहां प्रधान पद के लिए कुल मतदाता 478 जिसमें से 375 ने अपने मतों का प्रयोग किया, जिसमें कालिका प्रसाद को 130, केदार सिंह को 127, धन सिंह को 36 तथा 82 मत निरस्त किए गए जिसमें से 70 मत पत्रों पर पीठाशीन अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं थे । केदार सिंह इस मतों को मतगणना में शामिल कराने के लिए जिला एवं सत्र न्यायालय चले गए और श्री सर्वेश कुमार गुप्ता की अदालत ने 19 फरवरी 2005 को केदार सिंह के हक में फैसला सुनाया ।

चुनावी प्रणाली में इस प्रक्रिया में शामिल लोगों की गलतियों की सजा कैसे प्रत्याक्षियों को भुगतनी होती हैं और निर्वाचन अधिकारी के कैसे फैसले होते आए हैं इसके कुछ उदाहरण उपरोक्त हैं जिस पर माननीय न्यायालय में चुनौती गयी गई और निर्वाचन अधिकारियों के फैसलों को बदला गया । मतदाता अपना मत अपने पसंद के प्रत्याक्षी को देता हैं लेकिन चुनाव चुनाव कराने वालों की छोटी से गलती भी प्रत्याक्षी को भुगतनी पड़ती है जो सीधे-सीधे जनादेश का अपमान है । ये मामलें भी इस कारण सामने आ पाये कि पीड़ित पक्ष कोर्ट चले गए और न्यायालय ने फैसला भी दे दिया नहीं तो बहुत से मामले तो चुनाव के बाद बंद हो जाते हैं या कोर्ट में ही दम तोड़ देते हैं ।

खैर ! “अंत भला तो सब भला” जब भी इस तरह का कोई मामला कोर्ट के समक्ष जाएगे तो “इन्द्र सिंह नेगी बनाम राजेश नौटियाल व अन्य” वाद का संदर्भ जरूर लिए जाएगा, ये फैसला न्यायिक इतिहास में दर्ज हो गया है और आगामी दिनों में क्षेत्रीय जनता भी कोई कोर कसर छोड़ने को राजी नहीं है क्योंकि इस फैसले के आने के बाद अब इंद्र सिंह नेगी को क्षेत्र में सम्मानित जाने की श्रृंखला शुरू हो गयी है ।

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