(मनोज इष्टवाल)
यह अपने आप में कितना सुखद है यह कहना सुनना तो दूर देखने मात्र से ही दिल खुश कर देने वाला लगता है। और तब तो कहने क्या जब आपकी दिली भावनाएं उन सब से जुड़ी हों। ऐसा ही कुछ नजारा आंखों को तब शुकुन दे गया जब कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय खनस्यू विकासखण्ड ओखलकांडा नैनीताल की छात्राओं द्वारा इस बार के हरेला पर्व के बाद अपने अपने नाम के जन्मदिन वृक्षों का रोपण कर हरित क्रांति के लिए एक नया प्रयोग ईजाद किया।
यूँ भी इस स्कूल की छात्राएं पहले भी ऐसा ही चमत्कारिक कार्य कई बार कर चुकी हैं जबकि यह नैनीताल जिले के सीमांत विकास खण्ड का आवासीय विद्यालय कहलाता है लेकिन हर बार यह शिक्षा स्वास्थ्य व वर्तमान की दशा दिशा तय करने में अग्रिम रहा है। पूर्व में इसी आवासीय विद्यालय की छात्राओं ने बहुत ही शांत और सौहार्दय के साथ खनस्यु बाजार में नुक्कड़ नाटक के माध्यम से यह संदेश देने की पुरजोर कोशिश की कि उनकी बेटियों को आज भी इंटर तक शिक्षा लेेने मीलों पैदल चलना पड़ता हैं।
उन्होंने तब गले में सामाजिक कार्यकर्ताओं नेताओं की तख्तियां लगा सवाल पैदा किये कि कब तक हम यूँही पैदल चलते रहेंगे जिसका प्रतिफल हुआ कि एक साल के अंदर यहां इण्टर कालेज की मंजूरी मिल गयी। और अब यह नया तरीका नई सोच। बहरहाल जो भी है गजब है।
यह फोटो सोशल साइट पर अपडेट करने वाली छात्रा से जब मैंने पूछा कि ये क्या है? तब उसका कहना था सर…मेरा नाम मत लीजिये। हमेशा की तरह इस बार भी यह सोच हमारी वार्डन सुशीला जोशी मैडम की है जिन्होंने जल जंगल जमीन व मानव जीवन में आ रही बिसंगतियों को जोड़ते हुए हमें कहा कि क्यों न इस बार हम सब अपने अपने जन्मदिन को हमेशा ताजा रखने के लिए इस हरेला पर एक एक वृक्ष रोपें व जब तक हम इस आवासीय परिसर में हैं हर एक अपने लगाए पेड़ को जन्मदिवस ट्री (बर्थडे ट्री) के नाम से उसकी देख रेख करे।
सबको यह आईडिया बेहद पसंद आया और हम सब उत्साहित भी हैं क्योंकि इसमें जन्मदिन से जुड़े मनोभाव भी शामिल हो गए हैं इसलिए हर कोई अपने लगाये प्यार को लाड़ प्यार से हर रोज बड़ा होते अभी से देख रहा है। कल जब हम यहां से पढ़कर आगे बढ़ेंगे तो हमारी यादों का यह पेड़ हमें हमेशा अपने स्कूली जीवन के हर पल ताजे करवाता रहेगा ऐसा मेरा सोचना है।
यकीन मानिए उस छात्रा का एक वृक्ष के प्रति ऐसा लगाव ऐसा रुझान आंखें गीली कर गया। मेरे मुंह से शब्द निकले – शाबाश बेटे। इस पेड़ की तरह बढ़ना और अपने घर परिवार का नाम रोशन करना।
वहीं आवासीय स्कूल की वार्डन सुशीला जोशी ने दूरभाष पर जानकारी देते हुए बताया कि विगत 25 जुलाई को हुए इस वृक्षारोपण को लेकर महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा उत्तराखण्ड के तत्वाधान में यह वृक्षारोपण किया गया जिसे “मेरा पौधा कार्यक्रम” नाम दिया गया है। उन्होंने बताया कि विकास खण्ड ओखलकांडा के प्राथमिक विद्यालय हरिनगर, प्राथमिक विद्यालय जमराड़ी व कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय ओखलकांडा इसके लिए चयनित किये गए थे जो अपने अपने स्कूलों में बर्थडे गार्डन बनाएंगे और आगामी तीन महीने बाद इनकी परफॉर्मेंस के बाद इन्हें विभाग द्वारा पुरस्कृत किया जाना है।
गर्व से कहूंगा सलूट ऐसी वार्डन सुशीला जोशी को जिसके जज्बे के चलते बच्चों के अंदर अभी से प्रकृति के प्रति विशेष लगाव व झुकाव आया। सलूट इन सब बच्चों व सम्पूर्ण स्कूल स्टाफ को जिन्होंने अपने जन्मदिन की यादों को जिंदा रखने के इस नए आयाम की पटकथा लिखी। यह खबर लिखे जाने तक मैं नहीं जानता कि इसके प्रति विभागीय कोई निर्देश जारी किए गए हैं या नहीं लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि ऐसे प्रयास यदि शिक्षा विभाग की पहल पर हर विद्यालय करें तो यकीनन हम छंटते बंटते घटते जंगल, वृक्ष, फल व प्राकृतिक सन्तुलन बनाये रख पर्यावरणीय रक्षक बने रहेंगे।