(शशि मोहन रवांल्टा)
पंचायत चुनाव किस्त—2
अभी 5 अक्टूबर, 2019 को संपन्न हुए प्रथम चरण के पंचायत चुनाव में जिन ब्लॉकों में पंचायत चुनाव हुए हैं उनमें सबसे ज्यादा भागीदारी प्रवासी उत्तराखंडियों की रही, जो रोजी—रोटी की जुगाड़ में उत्तराखंड की राजधानी देहरादून और दिल्ली जैसे महानगरों में नौकरी कर रहे हैं। यदि अकेले दिल्ली से जाने वाले उत्तराखंडियों के बारे में बात करें तो दिल्ली से 5 अक्टूबर, 2019 को चम्बा और जाखणीधार ब्लॉक में 5000 पांच हजार के लगभग गाड़ियां गई। इसमें कुछ मैक्स और कुछ टेम्पो ट्रैवलर शामिल हैं।
एक गाड़ी का औसत किराया यदि 10,000/— (दस हजार रुपए, आने—जाने का किराया) मान लें तो 5 हजार गाड़ियों का मतलब हुआ — 5,00,00,000 पांच करोड़ रुपए के लगभग पैसे अकेले इन दो ब्लॉकों में सिर्फ गाड़ियों के किराए पर ही खर्च हुए। बाकी इनके खाने—पीने की व्यवस्था में जो पैसे खर्च हुए होंगे ओ अलग। यदि औसतन 5 करोड़ रुपए भी मान लेते हैं तो इन दो ब्लॉकों में प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य एवं जिला पंचायत सदस्यों के द्वारा ये 5 करोड़ रुपए खर्च किए गए।
इन दो ब्लॉकों में वोट देने वाले साथियों ने बातचीत में बताया कि इन दो ब्लॉकों में लगभग 150 गांव हैं। साथ ही उनका कहना है कि इसी ब्लॉक के एक छोटे से गांव में 40 गाड़ियां सिर्फ एक ही गांव में दिल्ली से गई। ऐसे ही कुछ लोग देहरादून से भी इन दो ब्लॉकों में वोट देने गए होंगे।
क्या हम वाकई लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं या हम इसे एक भ्रष्टतंत्र बना रहे हैं यह एक विचारणीय प्रश्न है? कहीं ऐसा तो नहीं कि हम लोकतंत्र को मजबूत करने की बजाय एक भ्रष्टतंत्र तो खड़ा नहीं कर रहे? बाकी पब्लिक तो समझदार है ही…।