Saturday, July 27, 2024
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इसोटी गाँव के होमस्टे इसोटी को मिला “इंडियन रेस्पोंसिबल टूरिज्म अवार्ड -2023”

इसोटी गाँव के होमस्टे “इसोटी” को मिला इंडियन रिस्पांसिबल टूरिज्म अवार्ड -2023।”

(मनोज इष्टवाल)

यह यक़ीनन ठिठुरन भरी सर्दी के दिनों में गर्म लिहाफ़ ओढे एक ऐसा दिव्य स्वप्न सा प्रतीत होता है जो जाड़े से किटकिटाते दांतों को रज़ाई की ओढ़नी में खुली आँखों से देखा गया सा लगता है, जो गर्माहट के बाद बेहद शुकुन प्रदान करता है। यही कुछ तो पौड़ी गढ़वाल के विकासखंड एकेश्वर के अमेली डांडा पर्वत शिखर के नीचे बसे शीतोष्ण गाँव इसोटी के साथ है। इसोटी गाँव को कुदरत ने सुंदर प्राकृतिक नज़ारों से संवारा है। गाँव के बामांग में छोटा सा बाज़ार व दाहिने हाथ में सुंदर बाँझ देवदारु की जड़ों से रिसता अमृत समान जल जो गदेरे के रूप में बहता है।वाइल्ड लाइफ़ से भरपूर व बर्ड वॉचर्स के लिए स्वर्ग कहे जाने वाला यह गाँव उपेक्षाओं के बोझ तले वर्षों से यूँही दबा रहा। राज्य निर्माण से पूर्व तक बिना सड़क यहाँ तक पहुँचना बहुत दूरूह होता था।बरसात में शीतोष्ण जलवायु के कारण ग्रामीण रास्तों में घोंघे और गाँव से ऊपर बाँज के जंगल में जोंक, सर्दियों में जबर्दस्त स्नो फॉल व गर्मियों में स्वर्ग इस गाँव की भौगोलिकता का दर्प हुआ करता था।

राज्य निर्माण के बाद जैसे ही सड़क पहुँची यह गाँव उतनी ही रफ़्तार से आगे बढ़ने लगा। गाँव से मजबूरी में पलायन कर रहे युवाओं ने घर की ओर रुख़ किया। और तो और मैदानों में रचे बसे गाँव के संभ्रांत घरानों की अपने घर आवत-जावत शुरू हो गई। अचानक राजनीति में उतरे कवींद्र इष्टवाल ने ग्रामीण व परिजनों की मदद से अमेली डांडा पर्वत शिखर दीवा मंदिर स्थापना व उमेश इष्टवाल व परिजनों ने काली मंदिर का जीर्णोद्धार कर इसोटी को चर्चाओं में ला दिया। कर्नल दिनेश इष्टवाल के पुत्र कर्नल आशीष इष्टवाल व पुत्री पूर्व में एनडी टीवी की प्रखर पत्रकार (वर्तमान में आजतक में स्पोर्ट्स पत्रकार) अंजलि इष्टवाल एक वैवाहिक कार्यक्रम में क्या लौटे कि आशीष व अंजलि ने मन बना लिया कि हरित हरियाली लिये शानदार पर्यावरणीय सुंदरता से भरपूर अपने गाँव में ऐसे सामूहिक प्रयासों की बानगी व थाती-माटी के प्रेम स्नेह में डूबे व्यक्तित्वों के साथ मिलकर कुछ नया किया जाय। इस दौरान ये भाई बहन अमेली डांडा पर्वत शिखर की उन सुरम्य वादियों घाटियों और गुफाओं में भी टहल के लिए निकले और शाम को गाँव उतरते समय जब इन्होंने डूबते सूरज के नयनाभिराम दर्शन किए तो ऐसे दृश्य पर मानो फ़ना हो गये हों। यहीं से उपजी दगड्या फ़ाउंडेशन और यहीं से जन्मा सन् 2018 ऑर्थेटिक हिमालयन विलेज होमस्टे इसोटी…। जिसे बर्ष 2023 में तमिलनाडु राज्य के नीलगिरी ज़िले के ऊटी में इंडियन रिस्पांसिबल टूरिज्म अवार्ड – 2023 से सम्मानित किया गया।

विगत 17 मार्च 2023 को ऊटी में आयोजित अवार्ड सेरेमनी में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन द्वारा इसोटी होम स्टे को वन्स टू वॉक श्रेणी का इंडियन रिस्पांसिबल टूरिज्म अवार्ड 2023 प्रदान किया गया। जिसे होमस्टे संचालक पूर्व ग्राम प्रधान हेम चंद इष्टवाल व वर्तमान प्रधान अर्जुन इष्टवाल द्वारा ग्रहण किया गया।

इंडियन रिस्पांसिबल टूरिज्म अवार्ड की अगर बात की जाय तो यह  भारत बर्ष के उन तमाम होम स्टे को दिया जाने वाला बड़ा पुरस्कार है जो अपनी सांस्कृतिक व सामाजिक धरोहरों के साथ-साथ पर्यटकों या अतिथियों के आदर  सत्कार में कोई कमी नहीं रखता व उनके कम्प्लीमेंट के बाद ही एक जूरी तय करती है कि कौन इस सूची के लिए उपयुक्त है। इस बर्ष इंडियन रिस्पांसिबल टूरिज्म अवार्ड के लिए नियुक्त ज्यूरी में राकेश कुमार ऑडिशनल सेक्रेटेरी मिनिस्टरी ऑफ़ टूरिज्म भारत सरकार, सीबी राजकुमार वाइस चेयर पर्सन, ग्लोबल सस्टेनेबल टूरिज्म काउंसिल, संजय सोंधी फाउंडर ट्रस्टी, तितली ट्रस्ट, वैभव काला फाउंडर एक्वाटेरा एडवेंचर एंड वाइस प्रेसिडेंट ऑटोई, राज बसु फाउंडर, हेल्प टूरिज्म एंड एडवाइजर, रूरल टूरिज्म एंड होमस्टे साउथ एशिया, मलिका विर्दी फाउंडर  डायरेक्टर हिमालयन आर्क, जोन्ना वन ग्रुइसेन ओनर-पार्टनर, सराय एट टोरिया एंड कंजरवेशनिस्ट इत्यादि शामिल थे।

कर्नल आशीष इष्टवाल बताते हैं कि उनके दिमाग में एक बात हमेशा कौधती रहती थी कि कैसे इस मूल्यवान धरोहर के माटी पाणी के सहपाठी अपने ग्रामीण समाज के लिए काम किया जाय। मैंने अपने मन की छटपटाहट साझा क्या की, अंजली व हमने मिलकर तय किया कि हम अपने गाँव के शुद्ध ऑर्गेनिक प्रोडक्टस को अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक ले जायेंगे ताकि इन्हे नई पहचान मिले। अंजली ने इन्हे दिल्ली जैसे बाजार में स्टॉल लगाकर प्रोडक्टस का प्रचार प्रसार किया। फिर दगड्या फाउंडेशन के माध्यम से होम स्टे जहन में आया जिसे हेम चंद इष्टवाल व अन्य ने शुरूआत में 2018 में जमीनी  अमलीजामा पहनाया। अंजलि यदा कदा दिल्ली से अपने साथ ब्लॉगर्स व अपने मित्रों को ले आती और आज मेरा गाँव अंतर्राष्ट्रीय पटल पर होम स्टे व प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाने लगा है। ज्यादात्तर यहाँ डूबते सूरज की लालिमा को अपने कैमरे में कैद करना पसंद करते है.

ऊटी में सम्मान पाकर गाँव लौटे होम स्टे के संचालक 70 बर्षीय हेम चंद इष्टवाल का कहना है कि वे अपनी पूरी उम्र में मात्र 10 बर्ष गाँव से बाहर देहरादून में रहे। 70 के दशक में गाँव क्या लौटे फिर गाँव के ही होकर रह गए। जब उन्होंने 2018 में होम स्टे शुरू किया तो यह सकुचाहट भी थी कि उनका गाँव ऑफ साइड टूरिज्म में पड़ता है जिसे भले ही आज लोग डार्क टूरिज्म का नाम देते हैं, फिर भला ऐसे में कैसे कोई यहाँ आएगा। गाँव के लोग भी इसे अटपटा ही समझते थे लेकिन अब शुरुआत तो करनी ही थी। दोनों बेटियों की शादी हो गई व बेटा भी बहु के साथ बाहर ही है। ऐसे में अपने 400 बर्ष पुराने पैतृक आवास को रिनोवेट करवाया व उसके दो कमरे होम स्टे के लिए तैयार हो गए। लेकिन 2018 के बाद दो बर्ष कोरोना काल ने लील लिए 2021 में फिर नई शुरुआत के साथ जुटे। अब पर्यटक हमारे लिए मेहमान कम घर के अधिक हो गए। जो हम अपनी नित दिनचर्या में खाते पकाते हैं, वही उन्हें भी खिलाते हैं। यह अतिथि देवो भव : की ही परम्परा कहिये कि जो भी मेहमान गाँव से विदा होते हैं वे फोन पर हमसे जुड़े रहते हैं और हर बार लौटकर आते हैं।

हेम चंद इष्टवाल व उनकी पत्नी श्रीमति दीपा देवी ने ग्रामीण परिवेश में जिस उम्र में होम स्टे की परिकल्पना की वह यकीनन मिशाल के तौर पर हम सबके लिए है क्योंकि वृद्धावस्था में जिस नेक नीयति के साथ श्रीमति दीपा देवी अपने पति हेम चंद का होम में हाथ बंटा रही हैं वह उस लोक समाज का अभिन्न अंग है जो हमारे समाज ने पतिव्रता के रूप में हमारी माँ बहनों को अंगीकार करने का सूत्र माना है। श्रीमति दीपा देवी पाक कला में बहुत निपुण हैं। उनके गढ़वाली पकवानों का स्वाद जिसकी भी जुबान पर चढ़ता है वह उतरने का नाम नहीं लेता। भोजन परोसते समय प्रेम व स्नेह, आराम करते समय  सुंदर फॉकलोर या भी कथा कतगुलियाँ उनके स्नेह में भिगोकर रख देती हैं। यही कारण भी है कि पहाड़ में पहाड़ सा विकट जीवन जीने की कला में हमारी मातृशक्ति हमेशा अबल रही है। दीपा देवी भी  उन नामों में एक नाम कहा जा सकता है जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन पहाड़ की घाटियों वादियों में उन्मुक्त हँसी ख़ुशी के साथ काटा, यही कारण है कि उनके होम स्टे का मूल्यांकन सुदूर भारत के दक्षिणी राज्य में हुआ और उसे पुरस्करित किया गया।

प्रधानमंत्री व होम स्टे संचालक प्रधान अर्जुन इष्टवाल कहते हैं कि इस अवार्ड के बाद अब दुगनी ऊर्जा मिल गई हैं क्योंकि हम जान चुके हैं कि हमारी गुणवत्ता का कहीं न कहीं मूल्यांकन अवश्य होता है। यह सिर्फ हमारे गाँव के लिए ही नहीं बल्कि पूरे जिले व प्रदेश के लिए सम्मान जनक बात हैं कि हम राष्ट्रीय स्तर पर अपनी सेवाओं पर खरे उतरे जिसका सम्मान हमें मिला है। ऐसे सम्मान उन युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन सकते हैं जो बाहर नौकरी कर तो रहे हैं लेकिन व्यस्थित नहीं हैं। उनके लिए यह समय रिवर्स माइग्रेशन के लिए सबसे उपयुक्त है। यही कारण भी है कि हमारे गाँव में आज लगातार होम स्टे बढ़ने लगे हैं।

ज्ञात हो कि इस बार चंबा में H2O हाउस और भीमताल में रिट्रीट को पर्यटन सुविधाएं प्रदान करने में नवप्रवर्तक होने के लिए क्रमशः स्वर्ण पदक और रजत पदक से सम्मानित किया गया। अपनी असाधारण होमस्टे सेवाओं के लिए पौड़ी गढ़वाल के इसोटी को वन्स टू वॉच गेस्टहाउस को भी मान्यता मिली है।

लैंसडाउन में उलार गेस्ट हाउस ने गेस्ट हाउस और बीएनबी श्रेणी में स्वर्ण पदक जीता और ऋषिकेश में गंगा पर आश्रय ने प्रीमियम होटल श्रेणी में जीत हासिल की। सांस्कृतिक कार्यकर्ता, उपन्यासकार और इतिहासकार लोकेश ओहरी को दून घाटी की प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में उनकी अग्रणी भूमिका के लिए सस्टेनेबिलिटी चैंपियंस पाथफाइंडर अवार्ड भी मिला।

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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