Monday, January 27, 2025
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11वां डाॅ० बी.पी घिल्डियाल स्मृति व्याख्यान आईसीएआर-केंद्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान गोवा में सम्पन्न।

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गोवा (हि. डिस्कवर )

देश में क़ृषि के क्षेत्र में दिए जाने वाले सर्वोच्च सम्मान ( रफी अहमद किदवई पुरस्कार) से सम्मानित स्व० डाॅ० बी.पी घिल्डियाल स्मृति व्याख्यान में देशभर के क़ृषि वैज्ञानिक जुटे। इस व्याख्यान में पहुंचे वैज्ञानिकों ने मुख्यत : अपने= अपने ब्याख्यानों में भारत में किसानों के लिए एक ऐसी सकारात्मक सोच के साथ के साथ उसे जल्दी धरातल में उतारने के लिए क़ृषि क्षेत्र में किसानों को बेहतर बीज, प्रबन्धन और उपज की तकनीकों को उपलब्ध कराने  पर मंथन किया गया है।

आईसीएआर-केंद्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान गोवा व इंडियन सोसाइटी फाॅर एग्रोफिजिक्स द्वारा संयुक्त रूप आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार के अंतर्गत स्मृति व्याख्यान के मुख्य वक्ता डाॅ० एक.के सिंह ( कुलपति- रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी , उत्तरप्रदेश) ने बताया कि मौजूदा समय में खेतों में पैदावार कैसे बढाया जाय जिससे किसानों कि आय को दोगुना करा जा सके , इसके लिए वैज्ञानिकों के अनुसंधानों को खेतों तक पहुंचाने कि प्राथमिकता होनी चाहिए , छोटी जोत के किसानों पर ज्यादा ध्यान देने कि जरूरत है , नई तकनीक को किसानों तक पहुंचाने से पहले अनुसंधान केंद्रों गहन अध्ययन होना चाहिए, डाॅ० सिंह ने बताया कि भारत में सब्जी व उद्यान का क्षेत्रफल बड़ा है।

व्याख्यान में मौजूद स्व०डाॅ० घिल्डियाल के पुत्र उदित घिल्डियाल ने परिवार की तरफ से व्याख्यान के आयोजकों व मौजूद सभी वैज्ञानिकों का धन्यवाद प्रकट किया। साथ ही सोसाइटी की तरफ परिवार की प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए घिल्डियाल परिवार की ओर से रूपए पांच लाख ( 5,00000) दान कि घोषणा की।व्याख्यान में मौजूद डा० एस.के चौधरी ( डी.डी.जी , आई.सी.आर ) , डाॅ० वाई.के शिवे ( अध्यक्ष- आई.स.ए.पी),डाॅ० प्रवीण कुमार ( निदेशक-आईसीएआर-केंद्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान गोवा)डाॅ० प्रगति प्रमाणिक, बंग्लादेश से डाॅ० देबाशीष चक्रबर्ती समेत तमाम वैज्ञानिक मौजूद रहे ।

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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