Monday, July 14, 2025
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हिंदी पखवाड़ा के तहत बोले मुख्यमंत्री- लोकतन्त्र में लोक व लोक भावनाएं सर्वोच्च!

देहरादून 16 सितम्बर, 2018(हि. डिस्कवर)
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बीजापुर अतिथि गृह में भारतीय भाषा अभियान उत्तराखण्ड एवं विधि आयोग उत्तराखण्ड के सयंुक्त तत्वाधान में हिंदी पखवाड़ा के तहत उत्तराखण्ड के न्याय अधिकारियो के साथ आयोजित विचार-विमर्ष गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया।
 इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतन्त्र में लोक व लोक भावनाएं सर्वोच्च है। भारतीय भाषा अभियान के तहत हिन्दी व अन्य मातृभाषाओं के प्रचार प्रसार के लिए किए जा रहे कार्य  भारत की आत्मा को जागृत करने का प्रयास है। जीवन में मातृ भाषाओं का अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है। हम अपनी वास्तविक व गहरी मानवीय संवेदनाएं व भावनाएं अन्य भाषाओं में व्यक्त नही कर सकते। राज्य सरकार की ओर से हिन्दी व मातृभाषाओं के संरक्षण व प्रोत्साहन हेतु हर संभव सहायता व सहयोग दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय भाषा अभियान की इस विचार विमर्ष गोष्ठी के परिणामस्वरूप विचारों, सुझावों पर सरकार द्वारा गम्भीरता से विचार किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य विधि आयोग द्वारा राज्य सरकार को दण्ड प्रक्रिया संहिता 438 (सीआरपीसी 438) को पुनर्जीवित करने सम्बन्धित रिपोर्ट सौंप दी गई है। राज्य सरकार द्वारा शीघ्र ही इसे कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा। विधि आयोग की सिफारिश पर  रैवन्यू मामलों के जल्द से जल्द निपटारों के लिए रैवन्यू कोर्ट की नई सरंचनाओं के विकास की संभावनाओं पर विचार किया जाएगा।  इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने दिव्य हिमगिरि ‘‘हिन्दी के विकास में हिमवंत का योगदान’’ पुस्तक का विमोचन भी किया।
इस अवसर पर न्यायमूर्ति  लोकपाल सिंह वर्मा, अध्यक्ष राज्य विधि आयोग न्यायमूर्ति राजेश टण्डन, अध्यक्ष राज्य उपभोक्ता विवाद परितोष आयोग न्यायमूर्ति ब्रहम सिंह वर्मा, न्यायमूर्ति सर्वेश गुप्ता, संरक्षक भारतीय भाषा अभियान अतुल कोठारी एवं अन्य न्याय अधिकारी व अधिवक्ता उपस्थित थे!
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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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