“सुनिन्द से ग्ये झाँपु रे” नामक विवादित गीत से प्रदेश के मुख्यमंत्री की छवि खराब करने पर पांडे ने दर्ज कराई रिपोर्ट।
(मनोज इष्टवाल)
जिस बात का डर था आखिर वह हो ही गया और मेरे खयाल से होना भी चाहिये था। लोकतंत्र आपको अभिव्यक्ति की आजादी जरूर देता है लेकिन किसी की व्यक्तिगत छवि को हूबहू परोसकर बिना पुख्ता साक्ष्यों के गलत ढंग से परोसने की कतई नहीं। यहां यही हुआ और आखिर प्रदेश के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत की छवि खराब करने के लिए हरिद्वार बाईपास रोड निवासी अनिल कुमार पांडे ने नेहरू कालोनी देहरादून स्थित थाने में तहरीर लिखवाई है जिसमें कहा गया है कि मुख्यमंत्री के खिलाफ समाज और प्रदेश में द्वेष भावना फैलाने व उनकी छवि को खराब करने के लिए उन पर गीत “झाँपु” में असत्य और आधारहीन आरोप लगाए गए हैं।
तहरीर में कहा गया है कि इस गीत के माध्यम से मुख्यमंत्री उनके परिजन व उनके साथ जुड़े लोगों की छवि खराब करने व साख गिराने की जानबूझकर कोशिश की गई है। तहरीर में अनिल कुमार पांडे ने 15 लोगों के नाम नामजद रिपोर्ट दर्ज करवाई है इनमें वीडियो निर्माता दीपक नेगी, गायक पवन सेमवाल, वीडियो प्रमोटर रोशन रतूड़ी, शिव प्रसाद सेमवाल, रवि सेमवाल, सतीश उनियाल, राहुल रतूड़ी, सविता जोशी भट्ट, दीपक रावत, त्रिलोक चन्द्र, नितेश कुमार, अरुण सेमवाल, अब्बल बिष्ट और उदय रावत शामिल हैं।
ज्ञात हो इससे कुछ दिन पूर्व दुबई में रह रहे रोशन रतूड़ी जिन्हें समाजसेवी कहा जाता है द्वारा एक वीडियो सोशल मीडिया पर डाला गया जिसमें उन्होंने इस गीत में अपनी संलिप्तता पर साफ मना करते हुए कहा है कि उनका इस गीत से कोई वास्ता नहीं है लेकिन फिर विगत दिवस उन्होंने फिर सोशल साइट पर एक वीडियो के माध्यम से ट्वीट करते हुए कहा कि वह समाज के साथ हैं।
यहां पहले ही लग रहा था कि इस गीत पर कई नप सकते हैं क्योंकि इसमें सबसे बड़ी गलतियां यह की गई हैं कि इस टीम ने सीधे सीधे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के फोटो गीत के साथ चस्पा कर दिए जिस से यह बेहद निजी प्रहार समझा जा सकता है, निर्माता या निर्देशक व टीम अगर इसे सांकेतिक रूप से ठेठ उसी तरीके से फिल्माती जिस तरीके से लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी के गीत नौछमी नारैण या अब कतगा खैल्यू में फिल्माया गया तब इसे अभिव्यक्ति की आजादी कही जा सकती थी लेकिन इस गीत को पूरी तरह बार बार मुख्यमंत्री की फोटो के साथ चस्पा कर इस टीम ने अभिव्यक्ति की आजादी के अनुशासन को तोड़ा है ऐसा प्रतीत होता है। गीत के बोल कुछ इस तरह हैं:-
उत्तराखण्ड के जाग जाओ, अब बेहोशी में मत सो ओ रे। बेटी बहुओं की लाज बचाने अब आगे आओ रे।
बेटी बहुवें लूट रही हैं, परिवार हो रहे तबाह रे।
मजे में सोया है झाम्पू ताऊ, बेहोशी में सरकार रे।।
हटाया सर का आँचल, कर गए टुकड़े टुकड़े रे।
घर घर में दके खुले हैं, दारू चढ़ी है सिर पे रे।
भीतर के बाहर बसे हैं बाहर के भीतर है रे।
राजनीति का चस्का भाइयों, कर गया तित्तर बित्तर रे।
जैसे देश में मोदी अर, यूपी में योगी रे।
उत्तराखण्ड के चमचे ऐसा झाम्पू कहाँ से लाये रे।
विकास के नाम पर अभी तक कुछ नहीं किया रे,
जो पत्थर जहां रखा था, वहीं का वहीं रखा है रे।
गीत को मुख्यतः हाल ही में उत्तरकाशी की बेटी से जुड़े एक प्रकरण पर केंद्रित बताया जा रहा है। इसमें मुख्यमंत्री को झाम्पू संबोधन दिया गया है। ऐसे में कहीं न कहीं प्रथम दृष्टा लगता तो जरूर है कि इसके वीडिओ फिल्मांकन के एडिटोरियल पक्ष में जानबूझकर मुख्यमंत्री की फोटो चस्पा कर इस पूरे गीत को मुख्यमंत्री से जोड़कर उनकी सामाजिक छवि पर जोरदार प्रहार किया गया है।