Sunday, December 22, 2024
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संस्कृति विभाग बना दलालों का अड्डा। विभाग पर जमकर बरसे लोकगायक किशन महिपाल।

देहरादून 13 सितंबर 2019 (हि. डिस्कवर)

आखिर छलक ही गयी एक लोकगायक की पीड़ा। जिसने जमकर निकली संस्कृति विभाग पर अपने दिल की भड़ास। चमोली के लोकगायक किशन महिपाल को भला कौन नहीं जानता होगा। किशन महिपाल ऐसे लोकगायक हुए जिन्होंने बहुत खूबसूरती से चमोली जनपद के मारछा, तोलछा जाति के लोकगीतों के साथ चमोली की लोकसंस्कृति के हर पहलू को छुआ है। ” किंगर का डाला घुघुती, बंगर का छाला घुघुती। कै देश की होली घुघुती । तू घुर्र घुरान्दी घुघुती..!” जैसे गीत से सम्पूर्ण उत्तराखण्डी जनमानस के दिलों में उतरने वाले इस लोकगायक ने हिल्लीवुड न्यूज़ को दिए गए अपने साक्षात्कार में उत्तराखण्ड के संस्कृति विभाग पर आरोप लगाते हुए कहा है कि उत्तराखण्ड का संस्कृति विभाग दलालों का अड्डा बन चुका है जहां पांच-पाँच, दस-दस हजार की बोलियां लगती हैं।

उन्होंने कई उदाहरण देते हुए कहा कि जहां एक ओर कैलाश खेर जैसे गायक को 18 लाख उसके पहुंचने से पहले ट्रांसफर कर दिए जाते हैं व उनके लिए एडवांस कमरे बुक हो जाते हैं वहीं उत्तराखण्ड के लोककलाकार की ध्याडी के 400 रुपये प्रति कलाकार साल भर तक अटका दिए जाते हैं जिन्हें 26 जनवरी पर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करना होता है या फिर अपने संस्कृति के विभिन्न नृत्यों व लोकगायनों के लेकर मुम्बई, भोपाल, दिल्ली इत्यादि बड़े मंचों पर प्रदेश का मान बढ़ाना होता है।

उन्होंने आरोप लगाया कि चमोली गढ़वाल के लोककलाकार प्रेम सिंह हिंदवाण का 7-8 लाख संस्कृति विभाग में 7 साल से फंसा है लेकिन वह भी बिना लिए दिए नहीं निकल पा रहा है। उनका यानि किशन महिपाल का 35 हजार का पेमेंट संस्कृति विभाग तीन साल में चुकता करती है और बाहरी कलाकारों का एडवांस चेक बनाकर तैयार रखते हैं। प्रदेश के आम कलाकार को जब बुलाया जाता है उसकी ध्याडी 400 रुपये है लेकिन दल नायक को वह पेमेंट निकालने के लिए साल भर अपनी जूतियां घिसनी पड़ती हैं जबकि दलाल 5 या 10 हजार देकर इनसे जैसा मर्जी जो मर्जी पेमेंट निकाल लेते हैं। इन दलालों का वहीं जमावड़ा लगा रहता है।

उन्होंने कहा कि यह विभाग कुमाऊं के सुप्रसिद्ध लोकगायक नैन नाथ रावल को ऑडिशन टेस्ट के लिए बुलाता है जिनकी पूरी उम्र गायकी में गुजर गई और उन्हें बी ग्रेड देती है जबकि दूसरे के गीतों को ग़ा रहे नए कलाकारों को ए ग्रेड दे रही है। किशन महिपाल को इसलिए कार्यक्रम नहीं देती क्योंकि वह ऑडिशन में शामिल नहीं होता लेकिन जागर गायक प्रीतम भरतवाण व लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी को खूब कार्यक्रमों में आमंत्रित किया जाता है। क्या उन्होंने भी यहां स्वर परीक्षा का ऑडिशन दिया है।

क्या कहते हैं लोकगायक किशन महिपाल आप भी सुनिए:-

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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