Monday, October 20, 2025
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शिक्षिका उत्तरा बहुगुणा पन्त ने फिर कुरेदे जख्म। मुख्यमंत्री से पूछा- इनकी ईज्जत तो ईज्जत है और दूसरे तो बेईज्जत हैं।

देहरादून 16 मई 2020 (हि. डिस्कवर)

लगभग दो बर्ष पूर्व मुख्यमंत्री दरबार में शिकायत लेकर पहुंची अध्यापिका श्रीमती उत्तरा बहुगुणा पंत ने फिर सोशल साइट पर मुख्यमंत्री व सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कुछ सवाल दाग दिए हैं । लगता है फिर राजनीतिक हलकों में इस शिक्षिका का मामला हंगामा काटने वाला है।

ज्ञात हो कि लगभग दो बर्ष पूर्व श्रीमती उत्तरा पन्त बहुगुणा अपने स्थानांतरण मामले को लेकर मुख्यमंत्री दरबार में हाजिर हुई थी। इस दौरान हंगामा हुआ और उत्तरा पन्त बहुगुणा मुख्यमंत्री दरबार की वीडियो वायरल में अखबार व टीवी चैनल्स की सुर्खियों में आ गयी। देश के बड़े मीडिया घरानों ने भी इस प्रकरण को प्रमुखता से दिखाना शुरू कर दिया जिसके बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री दरबार लगाना ही बन्द कर दिया है।

एक बार फिर यही शिक्षिका सुर्खियों में आ गयी है। उन्होंने फेसबुक में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर कई प्रश्न दागते हुए अपने विभाग व सरकार की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह खड़े किए हैं।

श्रीमती उत्तरा बहुगुणा पंत ने लिखा है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी। यदि मेरा जनता दरबार में आना विपक्षी पार्टी कांग्रेस की साजिश थी। तो कांग्रेस पार्टी के Tajbar sing Kanwasi द्वारा मेरे लिए इस प्रकार की झूठी और अभद्र टिप्पणी लिखवाने में किस की साजिश है। क्या आपके द्वारा जनता दरबार पहले खुद और फिर दूसरों के द्वारा अपमानित कराने के लिए लगाया गया था। यदि मैं गलत और आप सही थे। तो दो साल व्यतीत हो जाने के बाद भी मेरे द्वारा खुद अपनी जो जाँच करवाई गई थी। उसकी जाँच करके सार्वजनिक क्यूँ नहीं किया गया है? जिसमें मेरे द्वारा 25 – 26 पेज शिक्षामंत्री से लेकर शिक्षा सचिव एवं अन्य बड़े छोटे अधिकारियों द्वारा प्राप्ति प्रमाण प्रस्तुत किए गए हैं। मेरे साथ विद्यालय में ही शिक्षामित्र संगीता नौटियाल और सी आर सी उर्वि दत्त गैरोला द्वारा साजिश की गई थी। इसलिए मैंने अथाह समर्थन मिलने के बाद भी विभाग द्वारा जाँच करवाना उचित समझा। जिसका ठोस प्रमाण मैं यहाँ भी प्रेषित कर रही हूँ। जब मैं माह मई को ग्रीष्मकालीन अवकाश पड़ने के एक दिन पूर्व कार्यालय में ये सूचना लिखित रूप में देती हूँ कि विद्यालय में छात्र संख्या शून्य है। तो माह जून में बंद विद्यालय में किसके द्वारा नौ छात्रों का प्रवेश करवाया गया। जिसके आधार पर विद्यालय की जाँच पड़ताल किए बिना मेरा समायोजन नियम के विरुद्ध एक ब्लॉक से दूसरे ब्लॉक में किया गया। यदि छात्र संख्या कम थी। तो उसी माह जुलाई में दूसरी अध्यापिका की नियुक्ति कैसे की गई।

क्या उत्तराखंड राज्य की स्थापना इसीलिए की गई थी। की उत्तराखंड में जिन लोगों को राजनीति करनी नहीं आती है। या जिन लोगों की पहुँच सरकार तक नहीं होगी? उनके भविष्य और मान सम्मान के साथ जैसा मर्जी वैसा खिलवाड़ किया जाए। क्या इसलिए बनाया गया उत्तराखंड की उत्तराखंड के दूर दराज गाँवों में बच्चों को शिक्षा देने वालों को यूँ सरेआम बेइज्जत किया जाए। इस प्रकार की टिप्पणी लिखने वाला ये व्यक्ति अब मुझे पुलिस के समक्ष प्रमाण सहित जवाब देगा। उत्तराखंड में उत्तरा पंत बहुगुणा को आखिर समझ क्या रखा है। एरु गैरु जो मर्जी उसके ऊपर उंगली उठा दे।

इस तरह की टिप्पणी लिखने से पहले जिस बत्तमीज आदमी ने ये नहीं सोचा कि यदि हरीश रावत जी से और हरक सिंह रावत जी से मेरी इतनी घनिष्ठता होती। तो क्या मैं इतने सालों तक घर से दूर रहती। क्या मुझे अपमानित होने का शौक था। जो कि मैं जनता दरबार में जाती। मेरे जीवन में इन सब परिस्थितियों का आने का कारण वो परिवार है। जहाँ घर के अंदर ही मेरे खिलाफ साजिश पे साजिश की जाती रही हैं।

एक कहावत है। जैसा दूध, वैसा पूत। जैसी मैड़ि ( माँ ) वैसी जैड़ि ( जड़ बेटी ) नीच खानदान के लोग, अपने दूध और परवरिश तथा संस्कारों का परिचय दे रहे हैं।

Tajbar Sing Kanwasi- Ravi Bisht जी हरीश रावत जी को भी इन्हीं ने अपने जाल में फसाया था …… यें महोदय हरक सिंह रावत जी के अभिन्न मित्रों मैं से हैं ….।

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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