*टिवंकल टिवंकल लिटिल स्टार पापा मेरे सुपरस्टार…..!
(शैलेन्द्र सेमवाल की कलम से)
दुनियादारी क्या होती है….छह साल की लावण्या को नहीं पता…। लेकिन उसे पता है कि उसके पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं। उसे ये भी पता है कि वो शहीद हुए हैं, ओर शहीद होने का मतलब क्या होता है। लावण्या ने अपने पिता के लिए एक छोटी सी कविता बनाई है……शायद, जब वह बड़ी होगी ये कविता भी उसके साथ बड़ी होती रहेगी। इस कविता की लम्बाई दुनियादारी की समझ आने के साथ ही बढ़ती रहेगी। कविता में नए चरित्र जुड़ते रहेंगे। पत्रकारिता की दुनिया में कई तरह की खबरें लिखी और अनुभव हासिल किए और ऐसा हमारे साथ होता रहता है…..कि, कोई अकस्मात वाकया अचंभित कर जाए…..इसलिए हम जैसे लोग इसके लिए हमेशा तैयार रहते हैं….। शहर के बाहरी छोर पर बसे हर्रावाला के एक कार्यक्रम का ये वाकया है। कार्यक्रम में मेयर सुनील उनियाल गामा शहीद दीपक नैनवाल की पत्नी ज्योति को सम्मानित कर रहे थे कि एकाएक ये हो गया….।
सम्मानित किए जाने पर ज्योति ने आयोजकों से अपने दिल के उदगार व्यक्त करने के लिए माइक मांगा और पति के शहीद होने के बाद अपने परिवार की उपेक्षा किए जाने पर जमकर दिल में जितना गुबार था उड़ेल डाला…,ज्योति बोली….पति के शहीद होने के आठ महीने बाद लोगों को उनकी याद आई है। ये आयोजन न हो रहा होता तो शायद उन्हें बुलाया भी न जाता। जिस जगह उनके पति का बचपन बीता, वो जगह उनका परिवार है। क्षेत्र के सभी बड़े उनके माता-पिता के समान हैं। इसलिए उन्हें उम्मीद थी कि कोई तो उनका दुख बांटने आता। उनके शहीद पति ने गर्व करने का मौका दिया है उसके बाद उन्हें किसी भी सम्मान की जरूरत नहीं है…..। …..वह ये सम्मान ले तो रही हैं पर…..उनका दिल नहीं कर रहा इसे लेने का…..। ज्योति ने बात पूरी की तो, पीछे खड़ी उनकी छह साल की बेटी लावण्या ने माइक थाम लिया। कक्षा एक में पढ़ने वाली लावण्या ने फिर जो कहा उससे, पांडाल में बैठे हरेक शख्स की आंखे भीग गई। लावण्या ने बेहद मासूमियत से अपनी बात शुरू की…आई प्राउड डाटर इज शहीद दीपक नैनवाल, टुडे आई वुड लाइक टू टेल अबाउट माई फादर, माई फादर इज बेस्ट, ही सेक्रीफाइज, ही लाइव फॉर अवर मदर लैंड..,फिर एक लाइन सुनाई…, जितना भी लहू था, बहा दिया वतन के वास्ते, एक कतरा भी न रखा तन के वास्ते, मरते तो हैं सब लोग, मौत होती है सबकी, पर मौत वहीं है जो आए काम वतन के वास्ते…,फिर, लावण्या ने एक कविता सुनानी शुरू की…।
टिवंकल-टिवंकल लिटिल स्टार
पापा मेरे सुपर स्टार
सूरज चांद सितारे गाते
मेरे पापा की जय जय कार
थोड़े-थोड़े गोरे, थोड़े-थोड़े काले,
पापा तो हैं मेरे सबसे प्यारे
मुझको बढ़ाना उनका नाम
करके हरदम अच्छे काम
टिवंकल-टिवंकल लिटिल स्टार, पापा मेरे सुपर स्टार….,
फिर लावण्या ने सबको अपने साथ बोलने को कहा…,मेरे पापा की जय…,देश के शहीद अमर रहे, अमर रहे.., भारत माता की जय,
थैक्यूं..हैव ए नाइस डे…।
लावण्या अपनी बात कहती जा रही थी और पांडाल में बैठे लोग अवाक होकर उसकी बात सुन रहे थे। हरेक की आंखे नम हो चुकी थी। लावण्या के पापा दीपक नैनवाल दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में दस अप्रैल 2018 की रात सेना की आंतकियों से 17 घंटे तक चली सीधी मुठभेड़ में गंभीर रुप से घायल हो गए थे। उनके शरीर के निचले हिस्से में पैरालाइज हो गया था। उन्हें पहले इलाज के लिए दिल्ली लाया गया। जहां से उन्हें पूणे के पैराप्लेजिक रहकेब सेंटर ले जाया गया। करीब एक महीने चले इलाज के बाद वे शहीद हो गए। दीपक के पिता चक्रधर प्रसाद भी सेना से ऑनरेरी कैप्टन के पद से रिटायर हुए हैं।
(शहीद की वीर नारी पत्नी ज्योति और वीर बेटी लावण्या का वीडियो साथ में दे रहा हूं…..आप भी शहीद के परिवार का दर्द महसूस करें।