(मनोज इष्टवाल)
एक ओर पूरे देश में तबलीगी जमात की कारस्तानियों ने एक समाज के लिए नफरत पैदा कर दी है, वहीं दूसरी ओर माँ भारती की यह बेटी अपने लिए ढेरों दुआएं व खुदा का नूर बटोर रही हैं। नाम है शाहिदा परवीन।
ऋषिकेश मुनिकीरेती थाने में तैनात सब इंस्पेक्टर शाहिदा परवीन ने जिम्मेदारी की ऐसी मिसाल कायम की है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए भी नजीर बन जाएगी। शाहिदा ने अपनी आने वाली खूबसूरत जिंदगी के आगे वर्दी के फर्ज को चुना और कोरोना को हराने के बाद ही निकाह करने का फैसला लिया।
उत्तराखंड के कंहारवाला भानियावाला देहरादून में जन्मी शाहिदा परवीन का यह फैसला नजीर बन गया है। आम लोगों में ही नहीं यह बेटी सोशल साइट पर भी चर्चाओं में है क्योंकि अगर कोरोना संक्रमण न होता तो शाहिदा दुल्हन के रूप में विगत 5 अप्रैल को अपनी ससुराल चली गयी होती। लेकिन मुंह में मास्क लगाए व हाथ में कर्तब्य का डंडा लिए यह पुलिस अफसर वर्दी की आन बान शान के खातिर अपनी ड्यूटी निभाती नजर आई।
यह बात दिखने व सुनने में भले ही छोटी लगती हो लेकिन युवा धड़कनों में निकाह/विवाह जीवन के सबसे हसीन पलों का इंतजार होता है जिसके लिए इंतजार में कई हसीन रंगीन सपने आंखों में होते हैं। शायद शाहिदा परवीन द्वारा उठाया गया यह कदम तब ज्यादा महत्वपूर्ण रहा होगा जब निकाह के कार्ड बंट गए होंगे, निकाह के जश्न की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी होंगी। ऐसे में शाहिदा परवीन के इस फैसले पर उनके पिता रहीम शाह व होने वाले शौहर शाहिद शाह व परिजन कितने अचंभित हुए होंगे। जाने घर में अम्मी के कितने ताने सुने होंगे ससुराल पक्ष का कितना दबाब रहा होगा लेकिन शाहिदा इस सब के लिए भी कैसे अपने आप को तनावमुक्त कर रही होंगी, यह बात सोचने योग्य है।
ज्ञात हो कि वर्ष 2016 बैच की भर्ती सब इंस्पेक्टर शाहिदा परवीन पुत्री रहीम शाह निवासी कान्हरवाला, भानियावाला देहरादून वर्तमान में मुनिकीरेती थाने में तैनात है। उनका निकाह लक्सर जिला हरिद्वार निवासी शाहिद शाह पुत्र गुलाम साबिर के साथ पांच अप्रैल को तय हुआ था।
शाहिदा के पति शाहिद शाह वर्तमान में हरिद्वार रेलवे में टीटीई के पद पर कार्यरत हैं। दोनों ही परिवारों ने निकाह की पूरी तैयारी कर ली थी। और तो और सब इंस्पेक्टर शाहिदा परवीन ने निकाह के लिए 50 दिनों के अवकाश के लिए पुलिस महकमे में आवेदन भी कर दिया था। लेकिन विगत 25 मार्च को लॉकडाउन की पीएम नरेंद्र मोदी ने घोषणा की और शाहिदा परवीन ने निकाह से पहले अपने फर्ज को पूरा करने की ठानी।
शादी कुछ समय के लिए स्थगित करने के फैसले से पूर्व उन्होंने अपने होने वाले शौहर से इस सम्बंध में बात की और कोरोना खत्म होने तक निकाह न करने का फैसला किया, जिसे उनके पढ़े-लिखे शौहर शाहिद शाह ने सहर्ष स्वीकार भी किया। शाहिदा ने बताया कि यदि पुलिस अपनी जिम्मेदारी नहीं समझेगी तो इसका गलत प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने आगे कहा कि मैंने जब से खाकी वर्दी पहनी है, मेरे लिए लोगों की परेशानी और ड्यूटी पहले है। यही कारण है कि लॉकडाउन में निकाह से पहले ड्यूटी को चुना। परवीन ने बताया कि निकाह की तारीख बदलने से सबसे ज्यादा उनकी मां अनीशा निराश हुईं। इसके बावजूद मां ने बेटी के फैसले को सहर्ष स्वीकारा।
शाहिदा परवीन का यह फैसला सिर्फ एक मुस्लिम बेटी होने के कारण चर्चाओं में नहीं है बल्कि इसकी चर्चा इसलिए भी ज्यादा है कि वह मुस्लिम समाज के उन लोगों के लिए मिशाल कायम कर रही हैं जिनका मनोबल अपने ही समाज में जन्में उन गन्दे कीड़ों की वजह से टूट रहा है जो कोरोना जैसे वायरस संक्रमण को फैलाने के लिए देश भर में एक जाल की तरह फैल चुके हैं। जो उन लेडी डॉक्टर्स व नर्स के आगे नङ्गे घूमकर अश्लीलता दिखा रहे हैं जो उनके कोरोना संक्रमित होने के बावजूद भी उनके इलाज के लिए तत्पर हैं। जो पुलिस वालों व उनकी वर्दी पर थूक रहे हैं।
इसे कहते हैं नाम कमाना, इसे कहते हैं धर्म मजहब और ईमान को अपने कर्मों से ऊंचा करना। इसे कहते हैं नफरत की दीवारों को तोड़ना। हमें देश की, उत्तराखण्ड में जन्मी इस बेटी पर नाज है जिसके लिए हर समाज की आंखों में इज्जत व सम्मान है। इनके होने वाले शौहर को भी सलाम जिन्होंने अपनी होने वाली दुल्हन के फैसले का सम्मान करते हुए खुद में खुद को बड़ा होने का फर्ज निभाया।