Monday, October 20, 2025
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लॉकडाउन के दौर में गाँव लौटे पवन/हरीश ने खोला सैलून! कमा रहे हैं 600 से एक हजार प्रतिदिन!

 (मनोज इष्टवाल)

कोरोना महामारी ने जहाँ बड़े बड़े व्यवसायियों की कमर तोड़ डाली तो आम मजदूर वर्ग का क्या हाल होगा यह हम सभी भले से जानते हैं! लेकिन यह भी सत्य है कि आप में कार्य करने की क्षमता हो तो कहीं भी काम की कमी नहीं है! पाँव से अपंग पवन अपनी किस्मत आजमाने दिल्ली गए थे , हरीश बेरीनाग में गाँव से दूर परिवार के लालन-पालन के लिए एक नाई की दूकान में काम करते थे! लॉकडाउन क्या हुआ सब कुछ पीछे छूट गया! भूखे रहने की नौबत्त आई तो बोरिया बिस्तर समेटकर अपने-अपने गाँव लौट आये लेकिन फिर भी फ़िक्र यही थी कि अब किस तरह जीवन यापन हो!

यह किस्सा है जपनद बागेश्वर के विकास खंड बागेश्वर के ग्राम कबराधारा कांडे कन्याल निवासी पवन व सिलंगदेव गाँव के हरीश का! यूँहीं एक दिन इन पर जब कांडा व्यापार मंडल अध्यक्ष दीप वर्मा की नजर पड़ी तो उन्होंने उनकी माली हालत की खबर जानी! फिर क्या दीप वर्थामा ने दोनों को बुलावा भेजा कहा- किसी काम में शर्म नहीं होती! शर्म हमेशा चोरी की होती है!  जो काम आप दूर शहर में कर रहे हो अपने क्षेत्र में करो! पैंसे भी बचेंगे, घर परिवार, खेत-खलिहान भी आबाद रहेंगे! पवन व हरीश ने दीप वर्मा को विश्वास दिलाया और इस विश्वास की बुनियाद इतनी मजबूत निकली कि दीप वर्मा ने दोनों को जीवन यापन के लिए सैलून की दुकान खोल कर दे दी!

दीप वर्मा कहते हैं कि इस सबके पीछे उनके दो मकसद थे, पहला यह कि वे दो परिवारों के जीवन यापन में भागीदार बने व दूसरा लॉकडाउन में महानगरों से बेरोजगार होकर घर लौट रहे युवाओं को यह संदेश देना कि आप में हुनर है तो अपने घर में काम की कोई कमी नहीं है! जब बाहर से आकर लोग यहाँ से कमाकर अपने शहरों में लौट रहे हैं तब हमारे अपने क्यों नहीं यह सब कर सकते!

पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण से जब टेलीफोन पर बात हुई तो उन्होंने तुरंत कांडा के वीरेंद्र नगरकोटि से कांफ्रेंस में बात करवाई! वीरेंद्र ने पवन व हरीश से ! यह अजब की बात थी कि दुकान में उन्हें फुर्सत नहीं मिल रही है! पवन का कहना था कि सुबह से लेकर शाम के 6 कब बज जा रहे हैं पता ही नहीं चल रहा है! उन्होंने दीप वर्मा का धन्यवाद किया व पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण द्वारा दुकान में आकर उनके मनोबल को बढाने की बात भी कही है! उन्होंने कहा- शुरूआती दौर पर उन्हें उम्मीद नहीं थी कि हम इतनी जल्दी दुकान को सम्भाल पायेंगे! अब देखिये कहाँ रह गया कांडा और कहाँ देहरादून! आपको वहां भी खबर लग गयी!

पवन बताते हैं कि वह 20 मार्च को गाँव पहुंचा था व 22 मार्च को लॉकडाउन होने के कारण यहीं फंसकर रह गया! ईश्वर जो भी करता है भला ही सोचकर करता है क्योंकि हम जैसे मेहनत मजदूरी करने वाले लोगों ने कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि अपने ही शहर में हम दुकान खोल पायेंगे! उन्होंने व्यापार मंडल अध्यक्ष दीप वर्मा का हृदय से धन्यवाद किया!

पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण बोले- मनोज भाई, यह मेरा विधान सभा  क्षेत्र पहले भी था आज भी है! क्योंकि विधायक बनने के बाद और विधायक न रहने के बाद भी आपका अगर क्षेत्र में एक सा संवाद हो तो लोग आपसे हृदय से जुड़े होते हैं! जैसे ही मुझे पता चला कि हमारे दो युवा सैलून चला रहे हैं तो मैं कांडा आया और उनकी पीठ थपथपाई! यह सचमुच एक साकारात्मक संदेश पूरे प्रदेश भर में जाना ही चाहिए कि अगर बाहर से आया आदमी आपके घर बाजार से महीना हजारों कमा रहा है तो हमारे अपने क्यों नहीं? यह हमें ही ढूंढना होगा कि हमारे अंदर कहाँ कमी रह जाती है कि हमें रोजगार की तलाश में महानगरों की धूल फांकनी पड़ती है! अब इस संक्रमण काल में जो देश की स्थिति है वह किसी से छिपी नहीं है! इसलिए जो युवा वापस अपने घरों को लौट रहे हैं उन्हें पवन व हरीश से सन्देश लेना चाहिए व अपने रूचि के अनुसार अपने लिए भी व्यवसाय ढूंढना चाहिए ताकि घर बैठे रोजगार भी हो व पलायन भी रुक सके!

पवन और हरीश ने सैलून खोला! यह बड़ी खबर नहीं होती अगर यही सैलून मुहम्मद व अकबर ने खोला होता क्योंकि यह उनका पेशेवर काम है! बड़ी खबर यह है कि अब पहाड़ के युवा भी सैलून इत्यादि खोलकर रोजगार करने में हिचकिचा नहीं रहे हैं बल्कि उन्होंने भी यह तय कर लिया कि कोई भी काम छोटा बड़ा नहीं होता! बस यही संदेश पहाड़ के युवाओं व उनके परिवार के लोगों के लिए सबलता का माध्यम बन सकता है, बशर्ते उसके पीछे हर युवा का दृढ निश्चय काम कर रहा हो!

(धन्यवाद हिमालयन पैराग्लाइडिंग व गरुडा कैंप के सीईओ मनीष जोशी जी, जो आपने मुझे इन दोनों युवाओं पर लिखने के लिए कहा! धन्यवाद इसलिए क्योंकि इस समय देश समाज व परिवार को ऐसे ही पुश-अप की जरुरत है ताकि हम इस महामारी काल में अपना आत्मबिश्लेषण कर सकें!)

Himalayan Discover
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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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