उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने समझौते को ऐतिहासिक बताया।
उत्तराखण्ड को मिलेगी 300 मेगावाट बिजली, पानी में भी होगी भागीदारी।
वर्ष 1992 से रूकी परियोजना को पुनः शुरू कराने के लिए मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र के रहे विशेष प्रयास।
केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण तथा जहाजरानी, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, उत्तर प्रदेश के श्री योगी आदित्यनाथ, राजस्थान की श्रीमती वसुन्धरा राजे, हरियाणा के श्री मनोहर लाल, हिमाचल प्रदेश के श्री जयराम ठाकुर और दिल्ली के श्री अरविंद केजरीवाल ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए।
मंगलवार को नेशनल मीडिया सेंटर, नई दिल्ली में लखवाड़ बहुद्देशीय परियोजना के निर्माण के लिए 06 राज्यों के मध्य एमओयू किया गया है। ऊपरी यमुना बेसिन क्षेत्र में 3966.51 करोड़ रूपए की लागत वाली लखवाड़ बहुद्देशीय परियोजना के एमओयू पर केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण तथा जहाजरानी, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की उपस्थिति में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ, राजस्थान की श्रीमती वसुन्धरा राजे, हरियाणा के मनोहर लाल, हिमाचल प्रदेश के जयराम ठाकुर और दिल्ली के अरविंद केजरीवाल ने हस्ताक्षर किए।
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने समझौते को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना, सभी साझेदार छः राज्यों, विशेष तौर पर उत्तराखण्ड के विकास के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। इससे राज्य को 300 मेगावाट बिजली प्राप्त होगी। परियोजना के बनने से क्षेत्र में पर्यटन सहित आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे। उत्तराखण्ड की बिजली जरूरतों को पूरा करने में यह योजना का अहम योगदान होगा। वर्ष 1992 में परियोजना का काम रूक गया था। उस समय तक 30 प्रतिशत निर्माण कार्य हो चुका था। परियोजना को दुबारा शुरू कराने के लिए मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री श्री नीतिन गड़करी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि जिस तरह से विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने लखवाड़ परियोजना के लिए आपसी सहमति बनाई, वह नए भारत के निर्माण में टीम इंडिया की भावना का अच्छा उदाहरण है।
गौरतलब है कि लखवाड़ परियोजना के तहत उत्तराखंड में देहरादून जिले के लोहारी गांव के पास यमुना नदी पर 204 मीटर ऊंचा कंक्रीट का बांध बनाया जाना है। बांध की जल संग्रहण क्षमता 330.66 एमसीएम होगी। इससे 33,780 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा सकेगी। इसके अलावा इससे यमुना बेसिन क्षेत्र वाले छह राज्यों में घरेलू तथा औद्योगिक इस्तेमाल और पीने के लिए 78.83 एमसीएम पानी उपलब्ध कराया जा सकेगा। परियोजना से 300 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। परियोजना निर्माण का काम उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड करेगा।
परियोजना पर आने वाले कुल 3966.51 करोड़ रुपये की लागत में से बिजली उत्पादन पर होने वाले 1388.28 करोड़ का खर्च उत्तराखंड सरकार वहन करेगी। परियोजना पूरी हो जाने के बाद तैयार बिजली का पूरा फायदा भी उत्तराखंड को ही मिलेगा। परियोजना से जुड़े सिंचाई और पीने के पानी की व्यवस्था वाले हिस्से के कुल 2578.23 करोड़ के खर्च का 90 प्रतिशत (2320.41 करोड़ रुपये) केन्द्र सरकार वहन करेगी जबकि बाकी 10 प्रतिशत का खर्च छह राज्यों के बीच बांट दिया जाएगा। इसमें हरियाणा को 123.29 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में से प्रत्येक राज्य को 86.75 करोड़ रुपये, राजस्थान को 24.08 करोड़ रुपये, दिल्ली को 15.58 करोड़ रुपये तथा हिमाचल प्रदेश के 8.13 करोड़ रुपये देने होंगे।
लखवाड़ परियोजना के तहत संग्रहित जल का बंटवारा यमुना के बेसिन क्षेत्र वाले छह राज्यों के बीच 12.05.1994 को किये गये समझौता ज्ञापन की व्यवस्थाओं के अनुरूप होगा। लखवाड़ बांध जलाशय का नियमन यू.वाई.आर.बी. के जरिए किया जाएगा।
लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना के अलावा ऊपरी यमुना क्षेत्र में किसाऊ और रेणुकाजी परियोजनाओं का निर्माण भी होना है। किसाऊ परियोजना के तहत यमुना की सहायक नदी टौंस पर देहरादून जिले में 236 मीटर ऊंचा कंक्रीट का बांध बनाया जाएगा। वहीं रेणुकाजी परियोजना के तहत यमुना की सहायक नदी गिरि पर हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में 148 मीटर ऊंचे बांध का निर्माण किया जाएगा।
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