खुदेर : भीष्म कुकरेती (गढ़वाली लेख)
मुंबई म जंगळौ नजीक ड्यार हो तो क्या बुन तब ! मि अब नेशनल पार्क याने राष्ट्रीय जंगल उद्यान का बिलकुल बगल म रौंद। हमर बिल्डिंग अर पार्क मध्य सड़क अर सरकारी दिवाल च बस। सड़क क नजीक सरकारी मुलाजिमों भरस्टाचार मानसिकता , झुग्गी निर्माताओं लाभ प्रवृति से अनऑथराइज्ड बस्ती बस झुग्गी छह , मुंबई म जगा नी त यु हूण इ छौ। झुपड़ी दूर दूर छन बीच बीच म बण्या डाळ बूट छैं छन। बेर या केर का कंटीली झाड़ी बि छन। मि तै जब बि मौक़ा लगद मि जंगळ दिखण लग जांदु। ब्याळि दुफरा म भैर भयंकर दुफरा घाम छौ मि एयर कंडीशंड रूम या कुठड़ी से भैर राष्ट्रीय वन तै दिखणु छौ। अपर ड्यार म मि अर मेरी ब्वे नेशनल पार्क तै दिखणम बिगरौ समजदा। हम द्वी अबि तक गंवड्या ही छंवां बाकी सब अर्बन मेंटेलिटी इ न अर्बन जनम्या छन ।
दुफरा म चटीलो घाम म मीन द्याख बल तीन चार बच्चा बेर या केर का डाळ म चढ़िन , ऊंन बेर तोड़ीन , फिर हैंक बेर का तरफ गेन। डाळम चढ़िन , बेर तोड़ीन अर तिसर डाळ तरफ चल गेन। उना कुछ हौर डाळ बि छा तो नि दिख्यायि बल ऊंन कथगा डाळ ुं बिटे बेर तोड़िन धौं।
मि तैं गाँव याद ऐ गे। रुड्युं दिन छुट मा जब तक हमर उमर तास चौपड़ खिलण जोग नि ह्वे (मतलब वयस्क हम तै अपर दगड़ नि बैठांद छा ) तब तक हम बच्चा दुफरा म घर बार म सीणो जगा पुंगड्युं पुंगड़ी डबखणां रौंद छा। रुड़ी मतलब गढ़वाळम फलुं मौसम। सबसे पैल सौंग छौ गांव नजीक या दूर कच्चा आम टिपण या तुड़ण , खुट्या आम खाण अर बकै कच्चा आमुं तै अपर अपर चिन्हायीं जगा म खड़्यार दीण फिर कुछ समय बाद यदि आम पक गे तो खाई लींद छा बिंडी ह्वावन त ड्यार बि लये आंद छ। हमर गाँव म द्वी तरां आम छा क्या छन एक बड़ा बड़ा आम याने राजापुरी अर दुसर छुट आम याने बड़ हड्यल /गुठली वळ आम। बड़ा आम पर सामूहिक गांव वळुं हक्क छौ जु पकण पर बंटे जांद छौ। बकै छुट आम पकण से पैलि बच्चा या बड़ों गीच चल जांद छा। कुछ आम एक मुंडीत क बगीचों म बि छा , यूं आमुं चोरी कठिण छौ किलैकि ऊक जोगी ददा जी रात बि जग्वाळ करदा छा।
कच्चा आम ज्यादा नि खै सकदा छा किलैकि हर साल एक या द्वी नौन -नौनी तै काटण लगदी छौ अर ऊंका दुःख ही शिक्षण संस्थान छौ बल बिंडि कच्चा आम नि ख़ांण।
आम का बाद बेडु तिमल पर हमला की बारी हूंदी छे। कच्चा फलूं से शुरू ह्वेक गळगळा फल तक यात्रा हूंदी छे। जन जन रुड़ी अगनै सरकदी छे बेडु तिमल पकण प्रक्रिया शुरू हूंदी छे। रुड़युं अंतिम पड़ावम तिमल पर नेक्टर’सफेद शहद जन आण लग जांद छ तो हमर डबखण म ऑवर बि गति ऐ जांद छे। बेडु बारा म आम धारणा छे अब ज्यादा खाण से काटण लगद त हम बच्चों का जोर तिमलों पर बिंडी हूंद छा। अर तिमलों बान एक दिन म दुफरा म दूर दूर दु दु तिन तिन मील भ्रमण ह्वेई जांद छौ। कबि कबि दुसर गाँव चौहद्दी म बि चल जांद छौ पर जंगली फल खाण , लिजाण चोरी नि मने जांद छौ। बड़ा डाळ म चढ़दा छा छुट सिखदा छा।
हमर गांवम नजिक हिसर कम था तो हम तै दुसर गांव याने ग्वील वळुं पुंगड़ु पुंगड़ ढंढकण पड़द छौ। पणया या भ्यूं काफळ कुण डबखण नि पड़द छौ। मथि पंद्यरम जावो खाणै त खावो नि खाणै त नि खावो कौन सा बसंती का टैक्स दीण छौ।
जैक गाँव म बांज बि नि होला वै गाँव म काफळो डाळ खुज्याण इनि छौ जन बिरळौ औंर खुज्याण। त पता नि बल बच्चा काफळ कन टिपदा या कलेक्ट करदा छ। किनग्वड़ , फळिंड , मेळू आदि बरसात का ही फल छ तो यूं तै कट्ठा करणो काम बरसात म इ हूंद थौ।
एक बात जो अमूनन हूंद छे बल लड़का या नौन त फल अफु खै जांद छा घर नि लांद छा किन्तु चार साल की लड़की बि कुछ फल अवश्य घर लांदी इ छे। लड़की चार साल म इ ब्वै ददि रूप ले लींदन।