Saturday, October 19, 2024
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राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मौर्य का एक वर्ष का कार्यकाल हुआ पूरा। लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय।

25 अगस्त 2019 (हि. डिस्कवर)

उत्तराखण्ड की राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मौर्य ने 26 अगस्त, 2018 को उत्तराखण्ड की 7वीं राज्यपाल के रूप में शपथ ग्रहण की। 26 अगस्त, 2019 को श्रीमती मौर्य के कार्यकाल का प्रथम वर्ष पूर्ण हो रहा है। राज्यपाल का पद संवैधानिक पद है और राज्य का शीर्षस्थ पद है। पिछले एक वर्ष में राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने संवैधानिक दायित्वों का गरिमापूर्वक निर्वहन किया है और सदैव इस बात को महत्व दिया है कि राज्य में एक लोकप्रिय चुनी हुई सरकार है, जिसको संवैधानिक मर्यादाओं और दायित्वों की सीमा में रहते हुए मार्गदर्शन प्रदान करना है।

राज्यपाल श्रीमती मौर्य के पास एक लम्बा प्रशासनिक और सार्वजनिक जीवन का अनुभव रहा है जिसकी पूरी छाया उनके प्रथम वर्ष के कार्यकाल में दिखी। श्रीमती मौर्य प्रारंभ से ही महिलाओं और बच्चों के हितों के लिए समर्पित रही हैं। राज्यपाल पद पर कार्यभार ग्रहण करने के एक माह के भीतर ही उन्होंने प्रदेश के सभी जनपदों में रात्रि निवास कर वहाँ लोगों से मुलाकात की। उन्होंने जनपदों की महिलाओं, किसानों तथा जनप्रतिनिधियों से मुलाकात की और वहाँ की समस्याओं के साथ-साथ वहाँ की संभावनाओं को भी निकट से देखा। राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने प्रदेश के गढ़वाल और कुमाऊँ मण्ड़लों का व्यापक भ्रमण किया।

जनपदीय अधिकारियों के साथ बैठकें की और प्रदेश को बेहद करीब से समझा है। जनपदों के भ्रमण के दौरान राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने बालिका विद्यालयों का विशेष रूप से भ्रमण किया और छात्राओं से बात की। उन्होंने जनपदों में ‘महिला स्वयं सहायता समूहों‘ से मुलाकात कर उनके उत्पादों को देखा। राज्यपाल श्रीमती मौर्य का दृढ़ विश्वास है कि महिलाओं के स्वरोजगार को प्रोत्साहित कर पर्वतीय क्षेत्रों की अर्थ व्यवस्था में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने राजभवन, नैनीताल में क्षेत्र के विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी विद्यालयों के विद्याार्थियों तथा प्रधानाचार्यों के साथ विभिन्न विषयों पर चर्चा की।

उन्होंने सभी शिक्षण संस्थानों द्वारा नाबालिग बच्चों के साथ दुष्कर्म और बच्चों को नशे से दूर रखने के लिए किये जा रहे प्रयासों की जानकारी ली।राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने एक औपचारिक आदेश निर्गत कर स्वयं को ‘महामहिम’ या ‘हर एक्सीलेंसी’ जैसे संबोधनों से पुकारे जाने पर रोक लगा दी। कार्यभार ग्रहण के प्रथम सप्ताह में उन्होंने देहरादून स्थित नारी निकेतन का औचक निरीक्षण किया और वहाँ की व्यवस्थाओं के प्रति अधिकारियों को निर्देश दिये। राज्यपाल राज्य के स्कूलों और अस्पतालों में शिक्षकों और चिकित्सकों तथा सपोर्ट स्टाफ की नियुक्ति के लिए गंभीर रही हैं और इस दिशा में उच्चाधिकारियों को समय-समय पर निर्देश दिये हैं।

राज्यपाल श्रीमती मौर्य प्रदेश के राजकीय विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति भी हैं और इस नाते भी वे उच्च शिक्षा को लेकर बेहद संवेदनशील रही हैं। राज्यपाल का मानना है कि विश्वविद्यालयों को सरकार और समाज के साथ ‘‘एक्टिव पार्टनरशिप’’ करनी चाहिए तथा शोध कार्यों के द्वारा विभिन्न सामाजिक एवं आर्थिक चुनौतियों के लिए समाधान तलाशना चाहिए।विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों को रोजगारपरक बनाने पर भी उनका जोर रहा है। विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर भी वे सदैव सजग रही हैं। पिछले एक वर्ष में 06 विश्वविद्यालयों के कुलपति नियुक्त किये गये हैं। विद्यार्थियों के भविष्य से जुड़े एक अत्यंत महत्वपूर्ण फैसले में राज्यपाल ने पिछले कई वर्षों से लंबित काॅलेजों की सम्बद्धता के प्रकरणों के पारदर्शी निराकरण हेतु ‘‘वन टाइम समाधान’’ के रूप में विश्वविद्यालयों की कार्यपरिषद को अधिकृत किया। इससे शिक्षा पूरी कर चुके हजारों विद्यार्थियों की डिग्री की मान्यता की समस्या का भी समाधान होगा जिनके काॅलेज की संबद्धता का प्रकरण निस्तारित नहीं हुआ था। इससे संबंधित शासनादेश में कहा गया कि ‘‘वर्ष 2018-19 व इससे पूर्व के लम्बित सम्बद्धता प्रकरणों के सम्बन्ध में उपरोक्त व्यवस्था अपवाद के रूप में, मात्र एक बार के लिए मान्य होगी और इसे भविष्य के लिए दृष्टान्त नहीं माना जायेगा। उपरोक्त सैद्धान्तिक सहमति के क्रम में विश्वविद्यालय/कुलपति इस सम्बन्ध में एक समिति गठित कर कार्यपरिषद में प्रकरण रखते हुये अनिवार्य रूप से प्रत्येक दशा में छः माह के भीतर समुचित निर्णय लेते हुए कार्यवाही पूर्ण करेंगे व कृत कार्यवाही की सूचना कुलाधिपति महोदया के अवगतार्थ भी उपलब्ध करायेंगे। यदि इस निर्धारित अवधि में लम्बित प्रकरणों का निस्तारण विश्वविद्यालयों के स्तर से नहीं किया जाता है तो सम्बन्धित के विरूद्ध कार्रवाई की जायेगी।’’इसके साथ ही नियमित रूप से आने वाले संबद्धता के प्रकरणों हेतु बाकायदा एक कैलेण्डर बनाकर विश्वविद्यालयों हेतु निर्देश जारी किये गये।

उच्च शिक्षा से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण गतिविधियाँ निम्नवत हैं।ऽ निम्नलिखित विश्वविद्यालयों से सम्बद्ध विभिन्न संस्थानों/महाविद्यालयों के विभिन्न सत्रों की अस्थाई सम्बद्धता प्रस्तावों का अन्तिम निस्तारण किया गया है-1. उत्तराखण्ड तकनीकी विश्वविद्यालय से संबंधित 22 आदेश निर्गत।2. श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय से संबंधित 21आदेश निर्गत।3. कुमाऊँ विश्वविद्यालय से संबंधित 61 आदेश निर्गत।4. हे0न0ब0उ0चि0शिक्षा विश्वविद्यालय से संबंधित 05आदेश निर्गत।ऽ उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन विधेयक, 2018 बिल, निजी हिमालयीय आयुर्वेद विश्वविद्यालय संबंधी बिल पर अनुमोदन।ऽ निम्नवत् राज्य विश्वविद्यालयों में नये नियमित कुलपति की नियुक्तियाँ की गयींः-

1. उत्तराखण्ड तकनीकी विश्वविद्यालय, देहरादून2. उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार3. उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय, हल्द्वानी4. गो0ब0पंत कृषि एवं प्रौ0 विश्वविद्यालय, पंतनगर5. हे0न0ब0उ0चि0शि0विश्वविद्यालय, देहरादून6. वी0च0सिं0ग0उत्तराखण्ड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, भरसार।
ऽ राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने कुलपतिगण व शासन के उच्चाधिकारियों के साथ ‘‘कुलपति सम्मेलन’’ आयोजित किया। ऽ राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने अपने पूर्ववर्ती राज्यपालों द्वारा स्थापित श्रेष्ठ परंपराओं को न सिर्फ जारी रखा बल्कि उसमें रूचि लेते हुए पहले से अधिक आकर्षक एवं उपयोगी बनाने के निर्देश दिए।ऽ विगत वर्षों की भांति राजभवन देहरादून में ‘‘पुष्प प्रदर्शनी’’ का आयोजन किया गया। इस बार ‘‘पुष्प प्रदर्शनी’’ का विस्तार करते हुए पुष्पों के साथ-साथ स्थानीय लघु उद्योग के उत्पादों को भी स्थान दिया गया। ऽ राजभवन नैनीताल में ‘‘गवर्नर्स कप गोल्फ’’ का आयोजन किया गया। इस टूर्नामेंट में विद्यालयी छात्रों हेतु भी एक प्रतियोगी वर्ग रखा गया।  ऽ राज्यपाल श्रीमती मौर्य द्वारा 25 अप्रैल, 2019 को ‘‘बेस्ट रिसर्च अवार्ड’’ वर्ष 2018 कार्यक्रम का आयोजन किया गया। राज्यपाल शोध पुरस्कार हेतु स्थानीय भाषा-संस्कृति की श्रेणी में पुरस्कार जोड़ा। ऽ नियमित रूप से प्रदान किए जाने वाले राज्यपाल शिक्षक पुरस्कार हेतु संस्कृत के शिक्षकों की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिये।  ऽ राजभवन की पत्रिका ‘देवभूमि संवाद’ का प्रकाशन किया गया। 

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