Sunday, September 8, 2024
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योगी नहीं शामिल होंगे अपने पिता के अंतिम संस्कार में।

(मनोज इष्टवाल)

यही तो हुई सच्ची योग माया। बहुत कठोर फैसला…! आम सांसारिक प्राणी के लिए यह फैसला अक्षम्य लेकिन जिसने सांसारिक मोहमाया, ममता, मायाजाल छोड़ परम् सिद्धि प्राप्त कर ली हो वह भला क्या पिता क्या पुत्र। उसके लिए सृष्टि के सभी उपादान पुत्र समान ही हुए।

योगी आदित्यनाथ ने भी कुछ ऐसा ही फैसला लिया है। उन्होंने साढ़े कागज पर सन्देश लिखा है कि ” अपने पूज्य पिताजी के कैलाशवासी होने पर मुझे बहुत दुःख क शोक है। वे मेरे पूर्वाश्रम के जन्मदाता हैं। जीवन में ईमानदारी, कठोर परिश्रम एवं निस्वार्थ भाव से लोक मंगल के लिए समर्पित भाव के साथ कार्य करने का संस्कार बचपन में उन्होंने मुझे दिया। अंतिम क्षणों में उनके दर्शन की हार्दिक इच्छा थी, परन्तु वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खिलाफ देश की लड़ाई को उत्तर प्रदेश की 23 करोड़ जनता के हित में आगे बढाने के कर्तब्य बोध के कारण मैं न कर सका। कल 21 अप्रैल को अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में लॉक डाउन की सफलता तथा महामारी कोरोना को परास्त करने की रणनीति के कारण भाग नहीं ले पा रहा हूँ। पूजनीय माँ, पूर्वाश्रम से जुड़े सभी सदस्यों ने भी अपील है कि वे लॉक डाउन का पालन करते हुए कम से कम लोग अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में रहें। पूज्य पिताजी की स्मृतियों को कोटि कोटि नमन हुए उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। लॉक डाउन के बाद दर्शनार्थ आऊंगा।

योगी आदित्यनाथ

इन नपे तुले शब्दों ने योगी के उस विशाल स्वरूप का परिचय दे दिया है जिसे सन्यास आश्रम कहते हैं। उनके एक एक शब्द में वह अथाह ज्ञान है जिसका रसपान करके व्यक्ति अमरत्व प्राप्त कर लेता है। उन्होंने 23 करोड़ जनमानस का पहले खयाल रखा है क्योंकि वे जानते हैं कि देह त्यागने के बाद उसके प्राण पखेरू उड़ते ही मोक्ष द्वार खुल जाते हैं। यहां मुख्यमंत्री योगी ने एक साढ़े कागज में श्रंद्धाजलि अर्पित कर बतौर किसी प्रदेश का मुख्यमंत्री होने से पूर्व एक बेटा होने का फर्ज अदा किया है। अपनी जननी को व पिता को पूर्वाश्रम की माँ व पिता लिखकर उन्होंने उन सभी अटकलों पर विराम लगा दिया है जो संशय पैदा कर रहे थे कि क्या योगी पिता के अंतिम संस्कार या मुखजात्रा में शामिल होंगे।

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