मौत परिवार निगलती रही….! और रजाई पर लिपटी १४ बर्षीय बबली यह सब देखती रही!
सच में मौत कितनी निष्ठुरता से अपना काम करती है इसका अनुभव बबली से ज्यादा कौन महसूस कर सकता है! मिटटी पानी और पत्थरों के बीच चीखते पुकारते उसके घर के एक एक सदस्य कैसे दम तोडकर मलवे में समां रहे थे यह वे आँखें भी कुछ ही देर देख सकी क्योंकि ऐसा खौफनाक दृश्य दिखाने वाले विधाता ने उसे उसी की ओडी हुई रजाई में लपेटकर एक पत्थर के नीचे बनी गुफा में आश्रय देकर ऊपर से मिट्टी पत्थर लकड़ी पानी के रूप में गुजरती मौत के क्रूर हाथों से बचा दिया! जो एक एक करके सबको अपने आगोश में ले रही थी। शायद यह कहकर की अभी तुझे और भी कुछ देखना है!
यह कहानी बूढाकेदार क्षेत्र के कोटगाँव की उस बबली की है जिसका पूरा परिवार प्रकृति के कहर में जमीदोज हो गया और मलवे के नीचे ज़िंदा दफन होते तिल-तिल मरते तड़फते माँ बाप भाई बहन उसकी आँखों के सामने लगातार बढ़ते मिटटी-पत्थर व पानी के बहाव में समां रहे थे! उसे लग रहा था कि वह भी अब गयी और तब गयी!
(बबली)
कुदरत ने इस बेटी का भाग्य ना जाने किस क्रूर कलम से लिखा था। अपनी आंखों से सामने अपने माता-पिता, चाची और भाई-बहनों को चीख पुकार मचाता देखकर बबली के दिल में ना जाने क्या बीती होगी। जिस मलवे में दबे मरे उसके परिवार के सदस्यों को घंटों बाद निकाला गया था उसी मलबे दबी पड़ी जिंदा निकाली गई है बबली। बबली रजाई में लिपटी थी और उसकी सांसें चल रही थी। होश आने पर बबली ने बताया कि सुबह जब उसकी आंख खुली तो उसने खुद को पत्थरों से बनी बनी गुफा जैसी जगह पर पाया।
(बबली के पारिवारिक जनों की अर्थियां)
यह उसका भाग्य था या कुदरत का करिश्मा लेकिन अपनी आँखों से मौत को इतने करीब से देख चुकी बबली क्या अभी नार्मल हो चुकी होगी या फिर रह रहकर कई रात उसे वही डरावने सपने आते रहेंगे! इस लड़की के भविष्य के बारे में सरकारी स्तर पर क्या पहल हुई होगी यह जानना भी जरुरी है! किस तरह किसके सहारे वह अपनी आगामी जिन्दगी को देखेगी! कौन रिश्तेदार आकर उसकी मजबूती से बांह पकड़कर उसकी ऐसी खौफनाक मंजर वाली याददास्त उसके दिलो-दिमाग से निकाल पायेगा यह सचमुच बहुत कठिन कार्य है लेकिन यह भी सत्य है कि पहाड़ की बेटियों में कलेजा भी पहाड़ जैसा ही होता है! उम्मीद है बबली के लिए पूरा समाज खड़ा मिलेगा और हर कदम इस बेटी के साथ होगा!