Wednesday, July 16, 2025
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मा. उच्चतम न्यायालय की भाषा हिंदी हो-मुख्यमंत्री

देहरादून 15 सितम्बर, 2018(हि. डिस्कवर)
 सर्वे चौक स्थित आई.आर.डी.टी. सभागार में भारतीय भाषा अभियान उत्तराखण्ड द्वारा आयोजित ‘‘जनता को जनता की भाषा में न्याय‘‘ विषयक संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि हमें अपनी भाषा एवं परम्पराओं पर गर्व होना चाहिए। अपनी भाषा में अपनत्व का भाव होता है। हमारा प्रयास है कि जनता को उसकी भाषा में न्याय मिले। मा.उच्च न्यायालय में अंग्रेजी के साथ हिन्दी में भी निर्णय दिये जाने की व्यवस्था हो, इसके लिये मा.उच्च न्यायालय को आवश्यक धनराशि उपलब्ध करायी जायेगी।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि प्रदेश में अपनी बोली, भाषा, संस्कृति व वेशभूषा को बढ़ावा देने के लिये भी प्रयास किये गये हैं। विश्वविद्यालयो में दीक्षान्त समारोह में स्वदेशी वेशभूषा का चलन आरम्भ किया गया है। हमें अपनी भाषा के महत्व को समझना होगा। आज विश्व में प्रतिदिन एक भाषा तथा प्रतिघंटे एक बोली समाप्त हो रही है। भाषा के जानकार इसके महत्व को समझते है व इस दिशा में चिन्तित भी है। इस चिन्ता का निदान हमें स्वयं अपने से करना होगा, यदि हम इस दिशा में दृढता से पहल करेंगे तो निश्चत रूप से अपनी भाषा को बढ़ावा देने में सफल होंगे। हमारी भाषा हमारे अन्तर्मन को भी प्रभावित करती है। हम सपने भी अपनी भाषा में देखते है। विदेशी भाषा के बाहरी आवरण को तोडने का हमें प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा कि अपनी थाईलेण्ड, सिंगापुर आदि देशों की यात्रा के दौरान भी उन्होंने वहां निवास कर रहे भारतीय मूल के प्रवासियों से जब हिन्दी में बात की तो उन लोगों ने इसकी काफी सराहना की। यह अपनी भाषा व संस्कृति के प्रति लोगों का लगाव प्रदर्शित करता है।
मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र ने कहा कि आज हिन्दी की स्वीकार्यता देश ही नही विदेशों में भी बढ़ी है। अमेरिका के 32 विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जा रही है, तो वेबसाइटों की 07 भाषाओं में हिन्दी भी सम्मिलित है। मा.उच्च न्यायालयों व मा.उच्चतम न्यायालय की भाषा हिन्दी भी हो इसके प्रयास होने चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हमें अपने महापुरूषों की शिक्षाओं के प्रसार की भी जरूरत है। इसके लिये स्कूलों में उनकी जयन्ती के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है। रामायण में श्री हनुमान ऐसे पात्र हैं, जिन्होंने कभी हार नहीं मानी, जो कभी असफल नही हुए, वे सबसे बड़े मेनेजमेंट गुरू है। इस प्रकार की जानकारियां छात्रों को होनी चाहिए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री को संरक्षक भारतीय भाषा अभियान श्री अतुल कोठारी ने शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली की पत्रिका भी भेंट की।
इस अवसर पर संरक्षक भारतीय भाषा अभियान मुख्य वक्ता श्री अतुल कोठारी ने कहा कि देश में राज्यों की संरचना भाषा के आधार पर की गई तथा 14 सितम्बर, 1949 को राज भाषा हिन्दी बनाई गई। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं बिहार के मा.उच्च न्यायालयों में अंग्रेजी के साथ-साथ हिन्दी में निर्णय दिये जाने की व्यवस्था है। यह व्यवस्था उत्तराखण्ड में भी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के मा.न्यायालयों में अंग्रेजी के साथ-साथ हिन्दी में भी कार्य होने चाहिए। इसके लिये उन्होंने इच्छा शक्ति की जरूरत बतायी। उन्होंने कहा कि हमारा विरोध अंग्रेजी भाषा से नहीं है, लेकिन इसे जबरदस्ती नही थोपा जाना चाहिए। उन्होंने अधिवक्ताओं से भी इसमें सहयोग की अपेक्षा की। उन्होंने इसके लिए वैचारिक आन्दोलन चलाये जाने पर भी बल देते हुए कहा कि इससे अपनी भाषा में कार्य व्यवहार करने के लिये सकारात्मक परिणाम मिलेंगे।
कार्यक्रम में न्यायमूर्ति  लोकपाल सिंह वर्मा, अध्यक्ष राज्य विधि आयोग न्यायमूर्ति  राजेश टण्डन, अध्यक्ष राज्य उपभोक्ता विवाद परितोष आयोग न्यायमूर्ति ब्रहम सिंह वर्मा ने भी जनता को जनता की भाषा में न्याय दिलाये जाने की जरूरत बतायी। इस अवसर पर भारतीय भाषा अभियान के उत्तराखण्ड प्रभारी आशीष राय तथा अध्यक्ष बार एशोसिएशन  मनमोहन कण्डवाल ने भी विचार व्यक्त किये।
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