Saturday, November 23, 2024
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मार्गेट लैगी!– 80 साल पहले रंग बदलती फूलों की घाटी में सदा के लिए चिरनिंद्रा में सो गयी…।

(एक श्रद्धांजली –4 जुलाई 1939)


ग्राउंड जीरो से संजय चौहान!
रंग बदलती फूलों की क्यारी यानि फूलो की घाटी में आज ही के दिन 80 साल पहले चिरनिंद्रा में सो गयी थी मार्गेट लेगी। फूलों की घाटी में आज भी जिन्दा है मार्गेट लैगी की यादें। इस लेख के जरिए मार्गेट लेगी को श्रद्धाजंलि।

— जोन मार्गेट लैगी!

1938 में विश्व के मानचित्र पर फूलों की घाटी के छा जाने के बाद 1939 में क्यू बोटेनिकल गार्डन लन्दन की और से जोन मार्गेट लैगी, जिनका जन्म 21 फ़रवरी 1855 को हुआ था इस घाटी में मौजूद 500 से अधिक प्रजाति के फूलों का अध्यन करने के लिए आई थी। इसी दौरान अध्ययन करते समय दुर्भाग्यवश फूलों को चुनते हुए 4 जुलाई 1939 को एक ढाल धार पहाड़ी से गिरते हुए उनकी मौत हो गई और फूलो की इस घाटी में वह सदा सदा के लिए चिरनिंद्रा में सो गई। जोन मार्गेट लैगी की याद में यहाँ पर एक स्मारक बनाया गया है जो बरबस ही घाटी में घुमने पर लैगी की याद दिलाती है। जो भी पर्यटक यहाँ घूमने आता है वह लैगी के स्मारक पर फूलों के श्रद्धा सुमन अर्पित कर श्रद्धाजंलि देना नहीं भूलता है।

पर्वतारोही फ्रेक स्माइथ की खोज!

गढ़वाल के ब्रिटिशकालीन कमिश्नर एटकिंसन ने अपनी किताब हिमालयन गजेटियर में 1931 में इसको नैसर्गिक फूलों की घाटी बताया। वनस्पति शास्त्री फ्रेक सिडनी स्माइथ जब कामेट पर्वत से वापस लौट रहे थे तो फूलों से खिली इस सुरम्य घाटी को देख मंत्रमुग्ध हो गए। 1937 में फ्रेक एडिनेबरा बाटनिकल गार्डन की ओर से फिर इस घाटी में आए और तीन माह तक यहां रहे।

-पांच सौ प्रजाति से अधिक फूल!

फूलों की घाटी में तीन सौ प्रजाति के फूल अलग-अलग समय पर खिलते हैं। यहां जैव विविधता का खजाना है। यहां पर उगने वाले फूलों में पोटोटिला, प्राइमिला, एनिमोन, एरिसीमा, एमोनाइटम, ब्लू पॉपी, मार्स मेरी गोल्ड, ब्रह्म कमल, फैन कमल जैसे कई फूल यहाँ खिले रहते हैं। घाटी मे दुर्लभ प्रजाति के जीव जंतु, वनस्पति, जड़ी बूटियों का है संसार बसता है।

हर 15 दिन में रंग बदलती है ये घाटी।

फूलों की घाटी में जुलाई से अक्टूबर के मध्य 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं। खास बात यह है कि हर 15 दिन में अलग-अलग प्रजाति के रंगबिरंगे फूल खिलने से घाटी का रंग भी बदल जाता है। यह ऐसा सम्मोहन है, जिसमें हर कोई कैद होना चाहता है।

कहां है फूलों की घाटी!

उत्तराखंड के चमोली जिले में पवित्र हेमकुंड साहब मार्ग स्थित फूलों की घाटी को उसकी प्राकृतिक खूबसूरती और जैविक विविधता के कारण 2005 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया। 87.5 वर्ग किमी में फैली फूलों की ये घाटी न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। फूलों की घाटी में दुनियाभर में पाए जाने वाले फूलों की 500 से अधिक प्रजातियां मौजूद हैं। हर साल देश विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं। यह घाटी आज भी शोधकर्ताओं के आकर्षण का केंद्र है। नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान और फूलों की घाटी सम्मिलित रूप से विश्व धरोहर स्थल घोषित हैं।

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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