(मनोज इष्टवाल)
जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुक्ती ने भारत सरकार द्वारा अनुच्छेद 35ए की वैद्यता पर सुप्रीम कोर्ट में इस हफ्ते सुनवाई होने की आशंका को भांपते हुए आग उगलते हुए भारत सरकार को चेतावनी दे डाली कि अगर केंद्र की मोदी सरकार ने अनुच्छेद 35ए पर हमला किया गया तो उन्हें नहीं पता कि कश्मीर के लोग तिरंगे के बजाय कौन सा झंडा उठा लेंगे!
महबूबा ने सख्त तेवरों में कहा कि मोदी सरकार आग से खेलना छोड़ दे और 35ए का बाजा न बजाये ! कहीं ऐसा न हो कि आपको वह सब देखना पड़े जो 1947 से अब तक न हुआ हो! महबूबा ने शायद लिफ़ाफ़े का मजमून पहले ही भांप लिया है क्योंकि जिस तरह पुलवामा हमले में जवानों की शहादत के बाद मोदी सरकार ने दर्जनों अलगाववादी नेताओं को जेल में ठूंस दर्जनों आतंकियों को मार गिराया है व सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए को हटाने की मांग ने जोर पकड़ा है उस से जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ज्यादा ही विचलित नजर आई हैं! इसीलिए उसने एक तरह से मोदी सरकार को खुले शब्दों में चेतावनी दे डाली कि अगर अनुच्छेद 35ए पर हमला किया जाता है तो मैं नहीं जानती कि जम्मू कश्मीर के लोग तिरंगे की जगह कौन सा झंडा पकड़ने को मजबूर हो जाएंगे !
आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 35ए की संविधानिक मान्यता को चुनौती देने वाली पूर्व से ही कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हैं और इन पर निरंतर कार्यवाही भी चलती रही है लेकिन यह अनुच्छेद 14 मई 1954 को देश पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के आदेश पर संविधान में अनुच्छेद 35ए जोड़ा गया था! यह आदेश महाराजा हरि सिंह और भारत सरकार के बीच हुए समझौते के तहत दिया गया था! वहीँ आम लोगों का मानना है कि देश के पहले प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरु के कार्यकाल में इसे जानबूझकर लाया गया था इसलिए पूर्ववर्ती काग्रेस सरकार द्वारा इसमें बिशेष रूचि नहीं दिखाई गयी जिस से यह बर्षों से न्यायालय में लंबित हैं! पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद यह मामला जोर पकड़ना लाजिम था वहीँ जम्मू कश्मीर प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में अपना रुख साफ़ करते हुए कहा था की अनुच्छेद 35इ पर सिर्फ वहां की चुनी हुयी सरकार ही फैसला ले सकती है लेकिन जुडिशियल जानकारी रखने वाले लोगों का मानना है कि इस पर महामहिम राष्ट्रपति एकतरफा फैसला लेने में सक्षम हैं!
बहरहाल जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री की यह धमकी ऐन ऐसे समय आई है जब अनुच्छेद 35ए पर सुप्रीम कोर्ट में अब 26 से 28 फरवरी के बीच सुनवाई होनी सुनिश्चित हुई है! अब देखना यह है कि इस धमकी का असर आने वाले दिनों में कहाँ दिखने को मिलता है! वहीँ सुप्रीम कोर्ट में फैसला आने से पूर्व ही पूरे जम्मू-कश्मीर को मोदी सरकार ने सेना की बिशेष निगरानी में शामिल कर हर तरह से निबटने की तैयारी भी कर ली है!
क्या है अनुच्छेद 35ए?
अनुच्छेद 35ए जम्मू-कश्मीर की विधानसभा को राज्य में स्थायी नागरिक की परिभाषा तय करने का अधिकार देता है. इसके अनुसार जम्मू-कश्मीर से बाहर का कोई भी व्यक्ति यहां अचल संपत्ति नहीं खरीद सकता. इसके साथ ही किसी बाहरी व्यक्ति के यहां की महिला से शादी करने पर भी संपत्ति पर उसका अधिकार नहीं हो सकता!
14 मई 1954 को देश पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के आदेश पर संविधान में अनुच्छेद 35ए जोड़ा गया था! यह आदेश महाराजा हरि सिंह और भारत सरकार के बीच हुए समझौते के तहत दिया गया था! राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 370 (1) (d) के जरिए अनुच्छेद 35ए का प्रावधान किया था. इसके मुताबिक राष्ट्रपति जम्मू-कश्मीर के हित में कुछ खास ‘अपवादों और परिवर्तनों’ को लेकर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं!