Wednesday, January 15, 2025
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भारत ने की स्पेस सर्जिकल स्ट्राइक! मिशन शक्ति के दम पर भारत बना विश्व का चौथा शक्तिशाली देश!

नयी दिल्ली/देहरादून 28 मार्च 2019 (हि. डिस्कवर)

आखिर भारत ने ऐसा ब्रह्मास्त्र प्राप्त कर ही लिया जो जमीनी लड़ाई नहीं बल्कि अन्तरिक्ष की लड़ाई में विश्व की शक्तियों का आसानी से मुकाबला कर सकता है! बर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व रक्षा सलाहकार अजित डोवाल द्वारा इसरो व डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को दुनिया के शक्तिशाली देशों की कतार में खड़ा करने के लिए “मिशन शक्ति” के निर्माण की हरी झंडी देने के बाद आखिर वैज्ञानिकों ने वह कर दिखाया जिसे देख दुनिया ठगी की ठगी रह गयी! भारत ने मिशन शक्ति से न केवल सेटेलाइट को मार गिराने की विधा विकसित की बल्कि बैलिस्टिक मिसाइलों को पकड़ने (इंटरसेप्ट) वाली तकनीक का इससे आधार भी तैयार किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार दोपहर करीब साढ़े बारह बजे देश को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने कुछ ही देर पहले अंतरिक्ष में एक सैटेलाइट को मार गिराया है। भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है।

मिशन शक्ति के साथ जहाँ भारत अमेरिका, रूस और चीन के साथ चौथा बड़ा अन्तरिक्ष का शक्तिशाली देश हो गया है वहीँ पडोसी देश पकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इस परीक्षण के बाद इतने घबरा गए कि उन्हें तुरंत सर्वदलीय बैठक बुलानी पड़ी जबकि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ़ सुथरे शब्दों में कह दिया कि इस परीक्षण का मतलब कोई गलत न ले ! भारत हमेशा शान्ति दूत रहा है और अहिंसा का पुजारी !

आपको बता दें कि भारतीय रक्षा अनुसन्धान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा एक सफल परिक्षण में बुधवार सुबह 11 बजकर 16 मिनट पर ओडिशा के बालासोर से ए-सैट मिसाइल दागी गई। इसने 300 किलोमीटर ऊपर जाकर पृथ्वी की निचली कक्षा (लियो) में एक पुराने सैटेलाइट लो अर्थ आर्बिट को मार गिराया।  जहाँ एक ओर देश के महामहिम राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री ने देश के वैज्ञानिकों को इस उपलब्धि के लिए शुभकामनाएं दी वहीँ विपक्ष ने इस मसले पर भी प्रधानमंत्री को घेरते हुए इसे सन 2012 से शुरू किया गया प्रोजेक्ट बताया है!

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मात्र 3 मिनट में मिशन शक्ति ने लो अर्थ ऑर्बिट सेटेलाईट को 300 किमी. दूर अन्तरिक्ष में मार गिराया है इसमें किसी अन्तर्राष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन नहीं किया गया है! वहीँ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस उपलक्ष में ट्वीट करते हुए प्रधानमंत्री मोदी पर शब्द बाण चलाते हुए कहा- विश्व थियेटर दिवस की शुभकामनाएं! उन्होंने डीआरडीओ को शुभकामनाएं देते हुए कहा आपको शुभकामनाएं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को थियेटर दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं देता हूँ!

राहुल गांधी की इस प्रतिक्रिया पर कई दिग्गज नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया ब्यक्त करते हुए कहा है कि जाने राहुल कब बड़े होंगे! भाजपा नेता विकास प्रीतम ने राहुल पर तंज कसते हुए कहा है कि शुभकामनाएं देनी हैं तो जवाहर लाल नेहरु को दीजिये जिन्होंने इसरो बनाया है! इंदिरा गांधी को दीजिये जिन्होंने सेटेलाईट के सेमी कंडक्टर बनाए हैं, राजीव गांधी को दीजिये जो कम्प्यूटर लाये हैं, सोनिया जी को दीजिये जो मनरेगा लाई हैं इसमें डीआरडीओ और मोदी कहाँ है सब कुछ तो आप ही हैं!

बसपा की नेत्री मायावती ने जहाँ एक ओर इसे गौरवशाली क्षण बताया व डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को शुभकामनाएं दी वहीँ इसे चुनाव से जोड़ते हुए प्रधानमंत्री मोदी का यह चुनावी हथकंडा बताया व कहा चुनाव आयोग इसका संज्ञान ले! वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को कहा कि आज देश के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। खासतौर से वैज्ञानिकों के लिए, जिन्होंने आज वो क्षमता प्राप्त की जो अभी तक विश्व में केवल 3 देशों के पास थी।

विपक्ष का कहना है कि भारत में पिछले 12 सालों से इस तकनीक को विकसित करने पर काम चल रहा था। चीन ने जब 2007 में एंटी सैटेलाइट मिसाइल का परीक्षण शुरू किया, तब तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल दीपक कपूर ने कहा था कि चीन इस दिशा में तेजी से काम कर रहा है और भविष्य में अंतरिक्ष ही हाई मिलिट्री ग्राउंड होगा। इसके बाद 2012 में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के तत्कालीन प्रमुख वीके सारस्वत ने कहा था कि लो अर्थ ऑर्बिट में दुश्मन के उपग्रहों को मार गिराने के मकसद से एंटी सैटेलाइट हथियार बनाने के लिए भारत के पास पूरी तैयारी है।

वहीँ डीआरडीओ के पूर्व प्रमुख वी.के. सारस्वत ने टीवी चैनल्स की डिबेट में इसे साफ़ तौर पर मोदी सरकार की उपलब्धी बताते हुए कहा है कि बर्ष 2012 में उन्होंने इस सम्बन्ध में तत्कालीन कांग्रेस सरकार से परमिशन मांगी थी लेकिन जाने किस कारणवश वह नहीं दी गयी जबकि 2014 में प्रधानमंत्री मोदी व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल ने विचार विमर्श कर इस पर स्वीकृति प्रदान की है! वहीँ डीआरडीओ के चैयरमैन जी. सतीश रेड्डी ने भी इस बात की पुष्टि की है कि “मिशन शक्ति” पर 2014 से काम शुरू हुआ है!

आपको जानकारी दे दें कि एंटी सैटेलाइट टेक्नोलॉजी अमेरिका-रूस के बीच के कोल्ड वॉर के दौर से है। यह ऐसा हथियार है, जिन्हें मुख्य रूप से अंतरिक्ष में दुश्मन देशों की सैटेलाइट को नष्ट करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह के हथियार विकसित करने की शुरुआत अमेरिका ने 1950 में की थी। 1960 में रूस (उस वक्त सोवियत यूनियन) ने भी इस पर काम शुरू कर दिया था। 

वैज्ञानिकों का कहना है कि पृथ्वी की निचली कक्षा यानि पृथ्वी के सबसे नजदीक ऑर्बिट (कक्षा) लो अर्थ ऑर्बिट तक का परीक्षण बेहद जटिल होता है, जिसमें कई सालों का समय लग जाता है। यह आर्बिट पृथ्वी की सतह से 160 किलोमीटर और 2,000 किलोमीटर के बीच की ऊंचाई पर स्थित है। इसकी तैयारी का आधार दो दशक पहले तैयार हो चुका था।  ज्ञात हो कि जब प्रधानमंत्री वाजपेयी ने पोखरण परीक्षण के बाद इसी तरह प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी जानकारी दी थी, जिससे दुनिया चौंक गई थी! तब दुनिया के कई देशों ने भारत पर प्रतिबंध लगाए थे! हालांकि, इसके बावजूद भारत सरकार पीछे नहीं हटी थी! खास बात ये है कि उस मिशन का नाम ‘ऑपरेशन शक्ति’ ही था! उस मिशन में अहम भूमिका निभाने वालों में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अलावा तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस और रक्षा मंत्रालय में सलाहकार वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम भी शामिल थे!

सूत्रों की माने तो “मिशन शक्ति” के सफल परिक्षण के बाद पाकिस्तान में हडकम्प मच गया है ! आनन फानन प्रधानमंत्री इमरान खान ने हाई लेबल मीटिंग बुला दी! रेडियो पाकिस्तान के मुताबिक प्रधानमंत्री इमरान खान ने राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर उच्चस्तरीय बैठक बुलाई है, जिसमें सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा सहित कई आला अधिकारी मौजूद हैं। इससे पहले चीन ने भारत के उपग्रह रोधी मिसाइल परीक्षण पर बुधवार को सतर्कतापूर्वक प्रतिक्रिया जताते हुए उम्मीद जतायी कि सभी देश बाहरी अंतरिक्ष में शांति बनाये रखेंगे। भारत के मिशन शक्ति पर पाकिस्तान ने बुधवार को कहा कि ऐसे कदमों से बचने की जरूरत है जो हमें युद्ध की ओर ले जाए। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में वैश्विक समुदाय से कहा गया है कि वो भारत के इस कदम की ओर ध्यान दें।

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने एक बयान में कहा कि अंतरिक्ष मानवता की साझी विरासत है और हर देश की ज़िम्मेदारी है कि वह ऐसे कदमों से बचे जिनसे इस क्षेत्र का सैन्यीकरण होता हो। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान बाह्य अंतरिक्ष में हथियारों की होड़ के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का एक प्रबल समर्थक है। उन्होंने कहा कि भारत का परीक्षण काल्पनिक दुश्मनों से लड़ने जैसा है।

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