(मनोज इष्टवाल)
आज ठीक 4:30 बजे प्रातः बद्रीनाथ के कपाट 11 लोगों की मौजूदगी में खोल दिये गए हैं। जिनमें 4 लोग लक्ष्मी मंदिर व 7 लोग कपाट खुलने के बाद बद्रीनारायण के मुख्य द्वार पर पूजा अर्चना करते रहे। पहली पूजा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर मोदी के नाम से प्रारम्भ हुई जिन्होंने देश व विश्व के कल्याण के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है।
शास्त्रों के मतानुसार एक कहावत उत्तराखंड ही नहीं सम्पूर्ण विश्व में प्रचलित है कि “जो जाय बद्री, वो ना आये ओद्री” (जो बद्रीनाथ गया वह दुबारा माँ के उदर/पेट से जन्म नहीं लेता)। जिसका सीधा सा मतलब हुआ कि वह इस लोक में मोक्ष को प्राप्त हुआ इसीलिए हर एक कि कल्पना होती है कि अपनी जिंदगी में एक बार बद्रीनारायण के दर्शन जरूर कर आवे।
बद्रीनाथ के धर्माधिकारी पण्डित भुवन चंद उनियाल ने जानकारी देते हुए कहा कि कपाट नियत निर्धारित समय पर ही खोले गए जिसमें सभी ने कोरोना संक्रमण काल को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखा है । उन्होंने कहा कि इस दौरान मन्दिर में कुल 11 लोग डिम्बर पांडुकेश्वर के हक-हकूकधारी मौजूद रहे।
धर्माधिकारी पंडित भुवन चंद उनियाल ने भगवान बद्रीश से जुड़ी गोपनीय जानकारी साझा करते हुए कहा कि भगवान बद्रीश के तन पर घी का सरसब्ज होना इस बात का संकेत करता है कि आने वाले समय में देश को आर्थिक मंदी के दौर से मुक्ति मिलेगी व पूरे विश्व के लिए यह सुमंगल होगा। इस दौरान उनके साथ राजगुरु जगदम्बा प्रसाद नौटियाल भी मौजूद थे।