पौड़ी गढवाल 25 जनवरी 2020 (हि. डिस्कवर)
प्रदेश स्वयंसेवी संस्था एसोसिएशन द्वारा एसोसिएशन के संरक्षक कैलाश थलेडी की अगुवाई में जिलाधिकारी पौड़ी को मांगपत्र सौंपा गया व नाराजगी जाहिर करते हुए इस बात का विरोध दर्ज किया है कि “जल जीवन मिशन” व बेस लाइन सर्वे के वर्तमान में एस.डब्ल्यू.एस.एम. द्वारा निर्धारित ग्रामश: दरें बेहद न्यूनतम हैं! व इन दरों के आधार पर प्रदेश के पहाड़ी जिलों में कार्य करना कठिन होगा क्योंकि पहाड़ी जिलों के लिए समय मानक व्यवहारिक तौर पर समय कम है!
(जिलाधिकारी को मांग-पत्र सौंपते एसोसिएशन के पदाधिकारी)
कैलाश थलेडी ने जानकारी देते हुए कहा कि “स्वयं सेवी संस्था एसोसिएशन” के संरक्षक के नाते शासन प्रशासन के उच्च अधिकारियो के साथ सचिवालय और स्वजल निदेशालय मे हुयी वार्ता के दौरान स्वयं सेवी संस्थाओं (NGOs) के “जल जीवन मिशन” परियोजना में उत्तराखंड स्तर पर चयनित एनजीओ के दरों व मानदेय में भारी कटौती के सम्बंध में एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ उन्होंने जिलाधिकारी धिराज गर्ब्याल को ज्ञापन सौंपा है! उन्होंने बताया कि इस सम्बन्ध में एसोसिएशन देहरादून जाकर स्वजल निदेशालय में स्वजल निदेशक उदयराज, एडिशनल डायरेक्टर डी.आर. जोशी के साथ भी वार्ता की है!
(स्वजल के अडिशनल डायरेक्टर डी आर जोशी से वार्ता करते एसोसिएशन के पदाधिकारी)
वहीँ एनजीओ एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि डीआईए द्वारा जो सर्वे प्रपत्र तैयार किये गए हैं वे भिन्न-भिन्न स्वरुप में हैं जो भ्रम की स्थिति पैदा करते हैं व इससे बेस सर्वे में दिक्कतें आ रही हैं! उन्होंने बताया कि उन्होंने जिलाधिकारी धिराज गर्ब्याल से अनुरोध किया है कि इस प्रपत्र की खामिया दूर कर SWSM द्वारा निर्धारित प्रपत्र से ही बेस सर्वे का कार्य करवाया जाय!
प्रदेश स्वयंसेवी संस्था एसोसिएशन द्वारा इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया गया कि अब नियमों में 10 प्रतिशत जिला क्रियान्वयन इकाइयों द्वारा धरोहर राशि के रूप में मांगी जा रही है , जो अवैधानिक है क्योंकि कोई भी एनजीओ लाभ के लिए या व्यवसायीकरण के लिए कार्य नहीं करते फिर धरोहर राशि का क्या औचित्य हुआ, इसलिए जिलाधिकारी को लिखे पत्र में उन्होंने डीआईए द्वारा थोपी जा रही इस अवैधानिक परम्परा को समाप्त करने की मांग उठाई है!
(स्वजल निदेशक उदयराज को मांग पत्र सौंपते एसोसिएशन के पदाधिकारी)
एसोसिएशन के संरक्षक कैलाश थलेडी ने जानकारी देते हुए कहा है कि उन्होंने बेस लाइन सर्वे करवाने से पहले यह मांग रखी है कि SWSM इस सम्बन्ध में पहले कार्यशाला का आयोजन कर प्रशिक्षण दे ताकि सभी एनजीओ बेस लाइन सर्वे बेहतरीन तरीके से कर सकें! उन्होंने कहा कि जिन दरों पर स्वयं सेवी संस्थाओं को कार्य बांटा जा रहा है वे दरें मनरेगा की दरों से भी न्यून हैं! वर्तमान में कोरोना महामारी के कारण वैसे भी स्वयंसेवी संस्थाओं को अपने कार्यक्षेत्र में काफी परेशानियों खड़ी हो गयी हैं, जिसके कारण ग्राम स्तर पर पूर्व की सहयोग मिलना भी असंभव सा है इसलिए एनजीओ के लिए इस महामारी के दौर में अलग से धनराशि का प्राविधान होना चाहिए, जिससे गांवों में प्रवेश करने से पहले या बैठकें शुरू करने से पहले ग्रामीणों को मास्क व सेनेटाइजर वितरित कर सके।
कैलाश थलेड़ी ने कहा कि दरें तय करते समय सिर्फ कर्मचारियों के मानदेय का ध्यान रखा गया है व स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रबंधन को नजरअन्दाज किया गया है, इसलिए ग्रामश: तय दरों में वृद्वि की जाय व एनजीओ प्रबंधन व्यय का भी इसमें प्राविधान हो।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड स्तर पर एनजीओ का चयन उनके 10 बर्ष के कार्य अनुभव पर किया गया है और डीआईए के माध्यम से जो भी सम्बन्धित कागजात माँगे जा रहे हैं, एनजीओ सभी प्रक्रिया करने को तैयार है लेकिन जब तक उच्च अधिकारियों के साथ SWSM की वार्ता पर एनजीओ के पक्ष में उचित फैसला नहीं आता तब तक एनजीओ कार्य प्रारंभ नहीं करेंगे।
उन्होंने आरोप लगाया है कि स्वजल के हर फॉर्मेट पर हम वार्ता कर चुके हैं व उनके सामने इन सभी समस्याओं को रख चुके हैं लेकिन लम्बे समय से आश्वासन के अलावा कुछ कार्यवाही प्रगति पर दिखाई नहीं दे रही है।
जिलाधिकारी को सौंपे अपने मांग-पत्र के बाद एसोसिएशन के पदाधिकारियों को भरोंसा है कि जल्दी ही इस पर उचित कार्यवाही जिलाधिकारी के माध्यम से होगी! जिलाधिकारी को मांग पत्र सौंपने के लिए एसोसिएशन के संरक्षक कैलाश थलेडी, अध्यक्ष देव सिंह मलासी व सचिव अनिल क्षेत्री मौजूद थे!