Friday, November 22, 2024
Homeउत्तराखंडबदहाल शिक्षा व्यवस्था के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में न पानी न...

बदहाल शिक्षा व्यवस्था के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में न पानी न रजाई! ऐसे में कैसे बढ़ेगी छात्र संख्या!

*रजाई के अंदर से दिखते हैं तारे! 

*पेयजल न होने से पीना पड़ता है दूषित पानी! 

(मनोज इष्टवाल)

मौक़ा था रवाई लोक महोत्सव! और शिरकत करने पहुंची थी कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय की एसएसए व रम्सा की छात्राएं! अपनी प्रतिभाओं का लोहा मनवाती इन छात्रों के अभिनय को लेकर देहरादून से पहुंचे पत्रकारों में चर्चा हुई तो कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में कैसे बच्चे बढ़ते हैं कैसे वहां की अध्ययन प्रणाली होती है और किस तरह आवासीय व्यवस्थाओं से उनका सामना होता है यह सब मैंने छोटे से सार में सभी को बता दिया क्योंकि मैं इन विद्यालयों की बर्ष 2013 से 15 के अंतर्गत मोनिटरिंग स्टडी कर चुका था! सबका मन हुआ कि क्यों न विद्यालय जाकर देखा जाय! मैंने वह बात भी स्पष्ट कर दी कि आप जा तो सकते हैं लेकिन आप हॉस्टल के अंदर बिना विभागीय परमिशन के कदम नहीं रखेंगे इसलिए सभी ने उसका अनुपालन किया और हमारे लिए मैदान में ही कुर्सियां लग गयी! छुट्टी का दिन था इसलिए सभी छात्राएं अपनी अपनी दिनचर्या में मशगूल थी!

जब हम कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय गंगनानी पहुंचे तब सबसे ज्यादा भीड़ आवासीय विद्यालय भवन के बाहर हैण्डपम्प पर लगी थी जहाँ रम्सा यानी 9वीं कक्षा से 12 कक्षा तक की छात्राएं अपने कपडे धोने पानी भरने पर लगी थी! नाली न होने के कारण पानी व कीचड़ की फिसलन सीधे भवन के द्वार तक थी! दूसरे छोर पर कुछ बेटियाँ कनस्तरों में पानी गर्म कर रही थी तो कुछ आस-पास से लकडियाँ इकट्ठा कर ला रही थी जबकि एसएसए की छात्राएं मैदान में लगे नलखे के पास जमा थी! हमें आते देख शिष्टाचार निभाते हुए सभी ने हमारा अभिवादन किया! इस तरह इतने सारे पत्रकारों को विद्यालय परिसर में पाकर स्टाफ थोड़ा बहुत विचलित लगा लेकिन अतिथि देवो भव: वाली बात जो थी! चाय पानी हुआ तो हमारा दायित्व भी बनता था कि बेटियों को उनके उज्जवल भविष्य के सम्बन्ध में दो दो आखर अपने अनुभवों के आधार पर सुनाये जायं! एक लड़की का हाथ उठा उसने प्रश्न किया – सर ! क्या मैं अपने स्कूल की समस्याएं रख सकती हूँ! हम सबकी नजर उधर थी ! शायद वह 12वीं कक्षा की छात्रा थी क्योंकि उसे इस बात की बिलकुल प्रवाह नहीं थी कि उसे ऐसे पूछने पर मैडम की डांट भी पड़ सकती है! वह बोली- सर हम आये दिन यहाँ लेक्चर सुनते हैं! हमारी बिल्डिंग में 33 कमरे हैं जिनमें 25 कमरे 100 लड़कियों की व्यवस्था के लिए हैं! ठण्ड पड रही है लेकिन हमारी रजाइयां उसे बचाए रखने के लिए माकूल नहीं हैं! हमारी वार्डन कहती हैं बच्चों आओ किसी दिन छुट्टी पर हम किसी गाँव चलकर और उन जरुरत मंद लड़कियों को यहाँ छात्रावास में लाते हैं जिनके यहाँ मुफ्त रहने की व्यवस्था ही नहीं बल्कि सब कुछ मुफ्त में है! ऐसे में हम सोचती हैं कि हम ही ठंड से मर रही हैं तो औरों को कैसे बोलें! मैंने प्रश्न किया- क्यों, आप लोगों के पास रजाई नहीं है! उनमें से एक लड़की बोली सर..! रजाई तो है लेकिन उसके अंदर से रात को आसमान के तारे साफ़ दिखाई देते हैं! सब हंसने लगे मैडम कुछ कहती कि उस से पहले दूसरी लड़की बोल पड़ी सर- बिल्डिंग तो बना दी है लेकिन खिडकियों पर एक भी पर्दा नहीं है! हमें कपडे बदलने के लिए भी बाथरूम में जाना पड़ता है! तीसरी बोली- सर, न पानी गर्म करने के लिए सोलर सिस्टम है न बिल्डिंग में पानी की ही व्यवस्था है ! हम स्कूल से थक हार कर आते है तो पानी भरने पर लगे रहते हैं! सफाई कर्मी भी नहीं है! सबसे बड़ी बात तो यह है कि जो हैण्डपम्प बाहर लगा है उस से पीला पानी निकलता है व रेतीला भी! बड़ी दिक्कतों का समाना करना पड़ता है! इस से अच्छा तो एसएसए (6 से 8वीं कक्षा) भवन है जहाँ यह सब ठीक तो है! तब तक 8वीं की एक छात्रा खड़ी होकर बोली – सर किसी दिन आप लोग विभागीय परमिशन लेकर आना और अंदर चेक करना क्योंकि वहां नलखों की फिटिंग तो है लेकिन पानी का कनेक्शन नहीं है! पुनः सब हंस पड़े तो बीच बचाव के लिए एसएसए की वार्डन श्रीमती मीनाक्षी रावत बोल पड़ी- सर हंस फाउंडेशन ने हमें एक बड़ा सा एलेक्टिक वाटर फ़िल्टर दे रखा है जिस से हम बाहर का पानी लाकर बच्चों को पानी फिल्टर करके देते हैं!

रम्सा की वार्डन श्रीमती सरोजनी रावत बोली- सर, हमारे पास तो अभी तक पानी का कनेक्शन ही नहीं है वाटर फिल्टर तो बात की बात है! आप भी देख रहे होंगे कि हैण्डपम्प ऐसी जगह पर लगा है जहाँ रास्ते का ढाल सीधे हमारी बिल्डिंग के लिए है! पानी से पूरा रास्ता कीचड़ युक्त होता है और यही रास्ता नीचे शमशान घाट तक पहुंचता है! जब भी कोई अर्थी इधर से गुजरती है तब लडकियां दौड़ती हुई अंदर भागती हैं ! उस समय यही डर रहता है कि कहीं कोई गिर गयी तो क्या होगा! तब तक लड़कियों की भीड़ से आवाज आई तभी तो अब लडकियां यहाँ से छोड़कर जा रही हैं पहले 80 हो गयी थी अब 74 ही रह गयी हैं! मैडम खामोश हो गयी फिर बोली- सर हम अपनी तरफ से हर सम्भव विभाग को पानी के लिए लिखते आ रहे हैं अब यह सब विभागीय बजट व हमारे अधिकारियों पर निर्भर करता है कि वह इस सम्बन्ध में क्या कदम उठाते हैं!

इन सब दिक्कतों से रूबरू होकर हम सब जब व्यथित होकर लौट रहे थे तब समाजसेवी भार्गव चंदोला बोले- धिक्कार है हम सबके लिए कि हम इन बेटियों के लिए कुछ नहीं कर पाए! तय हुआ कि हम सभी जिनमें देहरादून डिस्कवर के सम्पादक व पूर्व वैज्ञानिक दिनेश कंडवाल, लोकसभा में कार्यरत सुभाष त्राण, जनसत्ता व अमर उजाला के पूर्व सब एडिटर वेद विलास, समाजसेवी इंद्र सिंह नेगी, समाज सेवी भार्गव चंदोला और स्वयं मैं) देहरादून पहुँचने के बाद अपने अपने माध्यमों से सरकारी व गैर सरकारी सिस्टम से इन बेटियों के लिए कुछ न कुछ ऐसा करेंगे ताकि ये बेटियाँ मायूस न हों व रम्सा की औसतन 100 छात्राएं विद्यालय परिवार में शामिल हों!

भार्गव चंदोला इस सम्बन्ध में अपने माध्यम से प्रदेश के मुक्यमंत्री से लेकर जिलाधिकारी उत्तरकाशी तक पत्र-व्यवहार कर रहे हैं उन्होंने  अपने पत्र को सोशल साईट पर उजागर करते हुए लिखा कि इस आवासीय विद्यालय में कक्षा  6 से 8 तक जिसमें 50 बेटियां रहती हैं जिसमें डॉक्टर व एक शिक्षक की कमी प्रमुख समस्या है। दूसरा 9वीं से 12वीं तक का 100 बेडेड रमसा छात्रावास है, जिसमें मौजूदा समय में 70 बेटियां रहती हैं, वो भी एकमात्र वार्डन के भरोसे चल रहा है, छात्रावास में पानी का कनेक्शन ही नहीं जोड़ा गया है, बेटियाँ दूर जाकर हैण्डपम्प से पानी लाने को मजबूर हैं, उस हैंडपम्प का पानी भी इतना दूषित है कि स्वस्थ मनुष्य पी ले तो बीमार पड़ जाए, नहाने के लिए बेटियों को जंगल से लकड़ियाँ लाकर कनस्तर में पानी गर्म करना पड़ता है, बिना परिवहन व्यवस्था के 11वीं व 12वीं की छात्राओं को 3 किलोमीटर दूर पढ़ने स्कूल जाना पड़ता है, छात्रावास में वार्डन के अलावा सिर्फ 3 भोजनमाता व एक सफाई कर्मी है, मैथ्स,साइंस, इंग्लिश तक का शिक्षक नहीं है जिससे बेटियों का भविष्य ख़राब हो रहा है, छात्राओं की सुरक्षा हेतु सुरक्षा गार्ड तक नहीं है, बिमार पढ़ने पर नर्स, डॉक्टर तक नहीं है, उपरोक्त समस्याओं के कारण बेटियाँ तनाव में हैं।

आप देख सकते हैं इस वीडियो के जरिये:-

Himalayan Discover
Himalayan Discoverhttps://himalayandiscover.com
35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
RELATED ARTICLES