(मनोज इष्टवाल)
यह बात सितम्बर सन 2011 की होगी जब एक शोर सुनाई दिया कि कल्जीखाल विकास खंड क्षेत्र में एक धनवान दबंग व्यक्ति राजनीति में उतर रहा है और उसके इशारे पर ब्लाक प्रमुख कल्जीखाल जेष्ठ प्रमुख के खिलाफ ध्वनि मत से अविश्वास प्रस्ताव पारित हुआ है व कनिष्ठ प्रमुख अनिल कुमार को वर्तमान में प्रमुख की जिम्मेदारी सौंपी गयी है! बात यहीं नहीं रुकी और यह व्यक्ति उत्तराखंड हाई कोर्ट द्वारा कराये गए नवम्बर 2011 में ब्लाक प्रमुख कल्जीखाल की कुर्सी पर काबिज हो गया! सच कहें तब इस व्यक्ति को कई लोग राजनीतिक माफिया के रूप में प्रचारित करते दिखाई दिए!
बहरहाल समाज सेवा में अपनी शुरुआत करने से पूर्व महेंद्र सिंह राणा दिल्ली विकास अभिकरण में मालदार पोस्ट पर आसीन रहे! फिर जाने क्या हुआ कि 2008 में नौकरी त्याग कर राजनीति व समाजसेवा में उतर आये! मैं उत्सुक था कि आखिर ऐसा कौन व्यक्ति हमारे विकास खंड में आ गया जिसने दीपक तले अन्धेरा नामक विकास खंड को अचानक अपनी सरगमी से जगमगा दिया, एक दिन जब मुलाक़ात हुई तब महेंद्र सिंह राणा ने दुबारा प्रमुख की पारी खेलनी शुरू कर दी थी!
बेहद आत्मीयता और भरपूर मुस्कराहट के साथ जनता को मिलने वाले इस शख्स ने पल भर में मेरी वह सारी अवधारणा मिटा दी जो एक खाका महेंद्र सिंह राणा के लिए 2011 से दिलो-दिमाग पर काबिज था! तत्कालीन मंत्री प्रीतम सिंह के बेहद नजदीकी माने जाने वाले महेंद्र सिंह राणा से परिचय भी मेरा उन्हीं के कार्यलय में विधान सभा में हुआ तब पता चला कि यही वह व्यक्ति है जो प्रमुख के पद पर आसीन होकर हमारे विकास खंड में यशोगान का परचम लहरा रहा है! यही वह व्यक्ति है जो प्रदेश के प्रमुखों का भी प्रमुख है यानि प्रमुखों का अध्यक्ष! गठीले बदन व दरम्याने कद काठी के इस व्यक्तित्व ने जिस आत्मीयता के साथ मुलाक़ात की वह आज भी दिल में ज्यों की त्यों दिखाई देती है! तब महेंद्र सिंह राणा ने ही बताया था कि कैसे समाज सेवा के कुलबुलाते कीड़े के कारण वह राजनीति में उतरे और कैसे घरवालों को कई महीनो तक यह पता नहीं लगने दिया कि उन्होंने सरकारी नौकरी से त्याग-पत्र दे दिया है!
2014 के क्षेत्र पंचायत सदस्यों के चुनाव में चारों तरफ यही सुनाई देता था कि यह प्रमुख महेंद्र सिंह राणा का आदमी है इसी को वोट दो ताकि विकास खंड कल्जीखाल का भला हो सके! मैं तब मुस्कराता था कि पैंसे के बल पर किस तरह यह व्यक्ति चुनाव प्रभावित कर रहा है! हमारे गाँव से उनके आदमी के रूप में चुनाव लड़ने वाला व्यक्ति एक काबिल पढ़ा लिखा व्यक्तित्व का था इसलिए मुझ पर इस बात का फर्क नहीं पड़ा कि वह महेंद्र सिंह राणा का आदमी है! और अगर नाकाबिल कोई चुनाव लड़ रहा होता तो यह तय था कि मैं महेंद्र सिंह राणा के कारण उसे हराने का हर प्रयास करता! मुझे अपने क्षेत्र पंचायत का चुनाव लड़ रहे अनूप कंडारी पर पूरा भरोंसा था क्योंकि वह पौड़ी डिग्री कालेज के छात्र संघ का चुनाव भी अपने काल में जीत चुका था! खैर 2011 के बाद अपनी जबर्दस्त रणनीति कूटनीति और राजनीति के दम पर महेंद्र सिंह राणा 2014 में निर्विरोध प्रमुख चुने गए!
अब जबकि प्रमुख के कार्यों का प्रोफाइल खुलना प्रारम्भ हुआ तो मैं अचम्भित था! जिस कल्जीखाल ब्लाक को कोई जानता तक नहीं था वह पूरे प्रदेश में सुर्खियाँ बटोर रहा था! मुझे अंदर से आत्मग्लानि थी कि मैं कैसे व्यक्तित्व के बारे में कुछ लोगों के प्रभाव में अपनी सोच संकीर्ण किये हुए था! आखिर जब महेंद्र सिंह राणा ने अपनी दूसरी पारी में अपने कार्यों से अपने को साबित करना शुरू किया तब उनके आगे विधायक भी बौने नजर आने लगे! आजतक के उत्तराखंड राज्य निर्माण से लेकर अब तक ऐसा कार्य किसी शहरी प्रमुख द्वारा भी नहीं किये गए जो ठेठ ग्रामीण क्षेत्र के इस प्रमुख ने कर डाले!
मनियारस्यूं चोपड़ा गाँव के महेन्द्र सिंह राणा ने अपनी राजनीतिक, सामजिक और व्यवहारिक क्षमताओं से ऐसी मोहिनी फैलाई कि सारा युवा वर्ग उनका फैन हो गया! यह अकाट्य सच भी रहा है कि ” इतिहास उधर चल देता है जिस ओर जवानी जाती है!” हुआ भी यही कि इन युवाओं के माध्यम से महेंद्र राणा की लोकप्रियता का यह आलम हो गया कि क्या जवान, क्या बुजुर्ग और क्या मातृशक्ति, हर एक के मुंह में महेंद्र सिंह राणा का नाम सुनाये देने लगा! यह शायद पहला ऐसा बिरला व्यक्तित्व रहा जिसे प्रमुख के रूप में ही नहीं आम व्यक्ति के रूप में भी लोग बेहद पसंद करने लगे!
अब आते हैं उनके कार्यों की समीक्षा की ओर! बतौर प्रमुख कल्जीखाल महेंद्र राणा द्वारा पूरे विकास खंड की ग्राम सभाओं में सडक, पानी, रास्ता, पुलिया, स्कूल जीर्णोधार ही नहीं करवाए गए बल्कि विकास खंड में लगभग 4.50 करोड़ की लागत का एक ऐसा माडल विकास भवन बनाकर खड़ा कर दिया कि पूरे देश में इस विकास भवन की चर्चाएँ होनी शुरू हो गयी और यह मॉडल इतना लोकप्रिय हुआ कि भारत बर्ष के सबसे अच्छे विकास भवन के रूप में लगातार दो साल पुरस्कृत किया गया! यह भवन यकीनन उत्तराखंड जिले के किसी भी जिलास्तरीय विकास भवन से ज्यादा खूबसूरत व तकनीकी रूप से बेहद आकर्षक कहा जा सकता है! महेन्द्र राणा यहीं नहीं रुके उन्होंने पूरा पहाड़ काटकार विकास भवन की बगल में ही एक 60 लाख का स्टेडियम बना डाला!
अब इनके आगे क्या संस्कृति भवन, क्या फिश पोंड्स, क्या मॉडल यात्री शेड्स, क्या टूरिस्ट पॉइंट डेस्टिनेशन, क्या पंचायत भवनों का निर्माण, पार्क, शिक्षक भवन, गाँवों को जोड़ने वाली सड़कें, पर्यावरणीय सोच के आधार पर 4 लाख से ज्यादा वृक्षारोपण और जाने क्या क्या उनके वर्किंग प्रोफाइल में शामिल होते गए! वक्त बेवक्त किसी जरूरतमंद की सहायता बिना लाग-लपट यूँहीं कर देना इस व्यक्तित्व की छवि में चार चाँद लगा देता है!
विगत 24 फरवरी 2019 को उन्होंने विकास खंड कल्जीखाल में होली मिलन कार्यक्रम में जिस तरह मातृशक्ति को इकट्ठा कर अपनी उपलब्धियों का आगाज करवाया वह अतुलनीय है! यह कल्जीखाल विकास खंड के इतिहास में पहली बार हुआ जब हर ग्राम सभा से महिला दलों ने अपनी सांस्कृतिक छटा बिखेरते हुए यहाँ की आवोहवा में अपने सुरीले कंठों का संगीत और पैरों से उड़ती नृत्य धूल को गगनचुम्भी बना दिया! प्रमुख महेंद्र सिंह राणा ने इस दौरान मातृशक्ति के हर संगठन का न्यायोचित्त सम्मान भी किया! और तो और उन्होंने सर्वप्रथम एक ऐसी पहल भी कर डाली जो अन्य लोगों से उन्हें अलग जुदा करती है! उन्होंने स्वयं से 51 हजार और अन्य से 34 हजार की धनराशी एकत्र कर पुलवामा के वीर जवानों की शहादत हेतु 85 हजार का चेक जिलाधिकारी पौड़ी के माध्यम से प्रधानमन्त्री राहत कोष को भेंट किया!
यह पहली बार मुझे महसूस हो रहा है कि इस अदने से आदमी के कार्यों की समीक्षा में मेरी लाचार कलम खुद को बौनी साबित कर रही है क्योंकि यहाँ अंदर का पत्रकार जो जीवित है जो मुख्यमंत्री ही नहीं बल्कि देश के प्रधानमन्त्री से लेकर सभी राजनीतिज्ञों की कार्यप्रणाली में मीन मेख निकालती है वह एक प्रमुख के कार्यों की गुणवता पर प्रशंसा के शब्द उड़ेलती हुई आगे बढती गयी या फिर चाटुकारिता करती गयी! सच कहूँ तो कलम की यह चाटुकारिता आज जाने क्यों बेहद गर्वीली महसूस हुई ! शायद इसलिए भी कि यह मामला मेरे गृह जनपद व विकास खंड की उन कार्य योजनाओं का आइना है जिन्हें एक शख्स ने शीशे की तरह चमकाकर देश की दीवार पर टांग दिया है! तभी तो यह चेहरा “फेस इन द क्राउड!” के रूप में हर किसी के दिलो-दिमाग में जगमगा रहा है!