Sunday, September 8, 2024
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प्रदेश की 5 हजार वनस्पति नस्ल में 12 सौ औषधीय पादप- डॉ हरक सिंह रावत

देहरादून 14 जून 2018 (हि. डिस्कवर)। औषधीय पादपों पर केन्द्रित, समय साक्ष्य द्वारा प्रकाशित डॉ. बी.के. मुखर्जी की पुस्तक ‘‘ वैल्थ ऑफ मेडिस्नल प्लान्ट रिर्सोसेज एन्ड कर्न्जेवेसन’’ का लोकार्पण होटल सिटी स्टार में राज्य के कैबिनेट मंत्री डॉ हरक सिंह रावत, सगंध पादप केन्द्र के निदेशक डॉ. नृपेन्द्र सिंह चौहान, भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण के उपनिदेशक डॉ. कुमार अम्बरीश, भारतीय वन्यजीव संस्थान के डीन डॉ. जी.एस. रावत द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।

इस अवसर पर वन, पर्यावरण एवं आयुष मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि यह पुस्तक औषधीय पादपों की जानकारी देने वाली एक महत्वपूर्ण पुस्तक है। उन्होंने कहा कि पुस्तक के लेखक डॉ. बी. के. मुखर्जी द्वारा दस वर्ष से अधिक की मेहनत के बाद हिमालयी प्रान्तों की 161 औषधीय पादपों की सटीक जानकारी पुस्तक में दी गई है। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक का फायदा छात्रों, शोधकर्ताओं के साथ ही आयुष व्यवसाय से जुड़े उद्यमियों व किसानों को भी निश्चित ही होगा। इस पुस्तक से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी औषधीय पादपों की स्वीकार्यता बढ़ेगी। उन्होने कहा कि डॉ. मुखर्जी ने जिन 161 औषधीय पादपों का जिक्र अपनी पुस्तक में किया है उनमें से 104 औषधीय पादप अकेले उत्तराखण्ड में मौजूद हैं जो हमारे लिए बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि हम गंगा जमुना दो संस्कृति जीने वाले लोग हैं और विगत दिनों पर्यावरण दिवस पर दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में हमारा राज्य पर्यावरणीय दृष्टि से पुरस्कृत भी हो चुका है। डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड सरकार औषधीय पादपां और आयुष विकास के क्षेत्र में निरन्तर कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लगभग 5 हजार किस्म की वनस्पति पाई जाती हैं जिसमें 12 सौ किस्म की वनस्पतियों की अभी तक औषधीय पादप के रूप में पहचान हुई है।

लोकार्पण समारोह में बोलते हुए सगन्ध पादप केन्द्र उत्तराखंड के निदेशक डॉ. नृपेन्द्र सिंह चौहान ने कहा कि औषधीय पादप और सगंध पादपों का गहरा अंर्तसंबंध होता है। अधिकांश औषधीय पादपों में विशिष्ट सुगंध भी होती है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक औषधीय पादप जगत में अध्ययन के लिए मील का पत्थर साबित होगी।
भारतीय वन्यजीव सर्वेक्षण के उपनिदेशक डॉ. कुमार अम्बरीश ने कहा कि मूलतः भूगर्भ विज्ञान से जुड़े रहे डॉ. बीके मुखर्जी ने औषधीय पादपों से जुड़ा यह विस्तृत अध्ययन कर एक बुनियादी काम किया है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक डॉ. मुखर्जी की मेहनत और लगन को सार्थक करती है।

पुस्तक के लेखक डॉ. बी.के. मुखर्जी ने कहा कि इस पुस्तक के लेखन में पूरे दस वर्ष का समय लगा है। इसको लिखने में अनेक बार हिमालयी क्षेत्र की यात्राएं की। उन्होंने कहा कि आम जीवन में हमारे आसपास पाए जाने वाले अनेक पादप औषधीय गुणों से परिपूर्ण हैं। जिसकी जानकारी भी इस पुस्तक में दी गई है। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक को लिखने का उद्देश्य औषधीय पादपों के बारे में जानकारी बढ़ाने का है ताकि आयुर्वेद से जुड़े छात्र और शोधार्थी भी इस लाभ ले सकें। कार्यक्रम का संचालन गिरीश सुन्दरियाल द्वारा किया गया। इस अवसर पर रानू बिष्ट, रतन सिंह असवाल, प्रवीन कुमार भट्ट, गीता गैरोला, डॉ. विजय बहुगुणा, दिनेश कंडवाल, मनोज इष्टवाल, प्रोजिता मुखर्जी, नेत्रपाल सिंह यादव आदि मौजूद थे।

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