प्रकृति के बेपनाह हुश्न के नजदीक राजाजी जंगल कैसल्स! जहाँ से दिखते हैं उत्तराखंड का चार शहर एक साथ!
छोटी विलायत की बात हो और चर्चाएँ न हों भला ऐसे कैसे हो सकता है! जहाँ एक ओर राजा जी नेशनल पार्क की घनघोर छटा वहीँ दूसरी ओर लगभग डेढ़ दर्जन गाँवों व लगभग 20 हजार की मानव आबादी का शुकून! भला उत्तराखंड के महानगरों से एकदम नजदीक के ऐसे गाँवों में आकर कौन न बसना चाहे!
इस सब शुकून को महसूस करने वाला एक शख्स ऐसा भी है जिसने आजादी से पहले भी इस इलाके के राजाजी नेशनल पार्क को अपने बाल्यपन में नापा है! इनके पिता स्व. हरिवंश जी सन १९२३ में गुरुकुल दीक्षा के लिए हरिद्वार के उस आईलैंड में आ गए थे जो गंगा नदी के बीचों-बीच स्वामी श्रद्धानन्द ने लगभग एक हजार एकड़ में बसाया था लेकिन प्रकृति की हटधर्मिता के बाद यह आइलैंड बाढ़ से तबाह हो गया फिर भी आज तक इसकी इमारतें अपना अस्तित्व बताने के लिए खंडहर के रूप में अवस्थित हैं!
एक ओर गुरुकुल कांगड़ी का ठेठ आश्रम पद्धति की शिक्षा में जंगल व आम मानव आबादी से दूर आइलैंड पर स्थित पाठशाला का शहर के नजदीक शिफ्ट होना हुआ और दूसरी तरफ इस शख्स का पढ़ाई के लिए पांडिचेरी के अरविंदो आश्रम जाना हुआ! राजाजी जंगल कैसल्स के सर्वेसर्वा उदययन परमार जिनकी सेवानिवृत्ति बर्ष २०११ में बतौर डीजीपी पुलिस अकादमी मुरादाबाद से हुई वे अपनी जिन्दगी भर की कमाई का तिल-तिल यहाँ अपने सपनों को साकार करने में लगाने पर लगे हुए हैं!
विगत दिनों छोटी विलायत भ्रमण के दौरान अपने मित्र उदित घिल्डियाल व गुजराती भाई मुकेश दवे के साथ इनके राजाजी नेशनल कैसल्स में ठहरना क्या हुआ हम इनके मुरीद हो गए! बेहद सरल व सौम्य व्यवहार के उदययन परमार ने चर्चा के दौरान जानकारी दी कि किस तरह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को गुरुकुल कांगड़ी के संस्थापक स्वामी श्रद्धानन्द ने सन १९१५ में महात्मा की उपाधि दी !
परमार बताते हैं कि वे बचपन में अपने अग्रजों के साथ इस इलाके में घूमने आ जाया करते थे ! तब बोतलों का ज़माना नहीं था इसलिए पानी की सुराही हाथ में पकड़कर वे व उनके भाई लोग राजाजी नॅशनल पार्क में घूमने आया करते थे ! तब तक इसमें घुसने की इतनी पाबंदियां भी नहीं थी ! आज जिस रूट से चीला से जंगल सफारी मूढाल चौड़, रिज के उपर मीठावाली, खारा आती है उसी तरीके से तब हम ११ किमी. पैदल घोमने यहाँ तक पहुँच जाया करते थे! मीठावाली बहुत ही खूबसूरत स्थान है यहाँ से लूनी नामक स्थान में ब्रिटिश काल का एक खूबसूरत गेस्ट हाउस है !
इस क्षेत्र के राजाजी पार्क की जानकारी देते हुए वे बताते हैं कि यहाँ गोहरी रेंज, चीला रेंज, रवासन रेंज,व श्यामपुर रेंज नामक चार रेंजों में राजा जी नेशनल पार्क बंटा हुआ है जिसमें ८ शेर हैं, चीतों की तादात का अनुमान लगाना मुश्किल है लेकिन गिनती में ५०० हाथी इस क्षेत्र में आते हैं जिसमें ३०० इस ओर व २०० गंगा पार की रेंज में हैं ! हिरन साम्भर बारहसिंघा और अन्य जानवर यहाँ बड़ी तादात में हैं!
राजाजी नेशनल कैसल्स तल्ला बनास गाँव के अंतर्गत गंगाभोगपुर से लगभग १३ किमी. दूरी पर डाडामंडल क्षेत्र में एक ऐसी खूबसूरत लोकेशन पर बसा हैं जहाँ से सूखी बीन नदी की चमचमाती रेत व गंगा नदी का बिहंगम दृश्य दिखाई देता है!
यह ऐसा स्थान है जहाँ से उत्तराखंड के चार शहर एक साथ दिखाई देते हैं! रात्रिकाल में जब महानगरों के वैभव की दमकती बिजली की टिमटिमाहट हो आसमान में चाँद हो तो वह दृश्य देखते ही बनता है! इसमें कोई बड़ी बात नहीं की आपको शेर व हाथियों की चिंघाड़ यहाँ तक सुनाई दे! यहाँ से हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून व मसूरी कतारबद्ध तरीके से एक साथ दिखाई देते हैं! सचमुच यहाँ से मैदानी क्षेत्र का नजारा अतुलनीय है वहीँ दिन में एक के बाद एक उठती शिवालिक पहाड़ियों पर लहलहाने वाले बादलों की सूर्यदेव से आँख मिचोली भी अपने आप में आपको प्रकृतिमय बना देती है!