ग्राउंड जीरो से संजय चौहान!
(किस्त-2)
मई का महीना और बर्फ के बडे बडे हिमखंड / ग्लेशियर, जी हां ये हकीकत है। एक ओर जहां पूरे देश में गर्मी से लोग बेहाल हैं वहीं चारधाम यात्रा में आये तीर्थयात्रियों के को इस बार धामों के दर्शन करने के साथ साथ चार धाम यात्रा के मार्गों पर जगह जगह अटे पड़े विशालकाय हिमखंड / ग्लेशियरों के दीदार करने का मौका मिल रहा है। इन हिमखंडों को देखकर तीर्थयात्री रोमांचित हो रहें हैं। कोई इन हिमखंडों में तप कर रहा है तो कोई फोटो खींचकर इसे अपने कैमरे में कैद कर रहा है।
चार धामों में गंगोत्री घाटी के धराली में चांगथांग का हिमखंड, यमुनोत्री मंदिर के निकट यमुना नदी में लगभग 200 मीटर हिमखंड तीर्थयात्रियों को अभिभूत कर रहा है। तीर्थयात्री इन हिमखंडों में जमकर सेल्फी खींचा रहे हैं। वहीं केदारनाथ मार्ग में तीर्थयात्रियों को इस बार बरसों बाद ऐसे हिमखंड दिखाई दे रहें हैं। केदारनाथ धाम की पैदल यात्रा इस बार श्रद्धालुओं के लिए रोचक और नए अनुभवों को संजोने वाली साबित हो रही है। देश के कोने-कोने से पहुंच रहे शिव भक्तों, तीर्थयात्रियों विशेषकर युवा पीढ़ी विशालकाय हिमखंड व बर्फ की मोटी चादर देखकर गदगद हो रहे हैं। गौरीकुण्ड से केदारनाथ के मध्य भीमबली, रामबाड़ा, छोटी लिंचोली, बड़ी लिंचोली, रुद्राबैंड, छानी कैंप तक ग्लेशियर मौजूद हैं। इसके अलावा पूरी केदारपुरी क्षेत्र में बड़े-बड़े हिमखंड जमे हुए हैं। वहीं पैदल रास्ते पर पांच से छह फीट बर्फ जमा है। प्रशासन को हिमखंड व ग्लेशियर को काटकर रास्ता बनाना पडा है। दूसरी ओर बद्रीनाथ धाम की यात्रा के दौरान यात्रियों को प्रकृति के अद्भुत नजारे देखने को मिल रहें हैं। बदरीनाथ धाम से हनुमानचट्टी तक अलकनंदा नदी में बडे बडे हिमखंडों तीर्थयात्रियों को अभिभूत कर रहे हैं। तीर्थयात्री इन हिमखंडों में सेल्फी खींचा रहें हैं ताकि मई महीनों के इन हिमखंडों और ग्लेशियरों को सदा के लिए यादगार बना सकें।
— सर्दियों में हुई रिकार्ड बर्फबारी का परिणाम!
इस साल पहाडों में शीतकाल के दौरान चारधामों सहित अन्य स्थानों पर बरसों बाद रिकार्ड तोड बर्फबारी ग्लेशियरों और हिमखंडों को नवजीवन दे गयी। इसी बर्फबारी की वजह से चारों धामों में इस बार जगह जगह तीर्थयात्रियों को विशालकाय हिमखंड व ग्लेशियरों के दीदार हो पा रहें हैं।
हिमखंडों के पिघलने से खतरा भी, तीर्थयात्रियों को रहना होगा सावधान…।
यात्रा के दौरान हिमखंड और ग्लेशियरों के संग प्रकृति के इन अद्भुत नजारों को कैमरे में कैद करने या इनके साथ सेल्फी लेने की तमन्ना हर यात्री संजोए होता है। यात्रियों को इस दौरान बेहद चौकन्ना और सावधान रहना होगा। तीर्थयात्रियों को हिमखंडों के नजदीक जाने से परहेज करना चाहिए। मई और जून महीने में गर्मी की वजह से ये हिमखंड तेजी से पिघलते हैं, जिससे ये अंदर ही अंदर और नीचे से खोखले हो जाते हैं। ऐसे में अगर कोई यात्री इनके ऊपर या नजदीक जाता है तो फिसलने से या हिमखंड टूटने से कभी भी कोई बड़ी घटना घट सकती है ऐसे में दूर से ही इनका दीदार करें और तस्वीरें खींचे..
वास्तव में देखा जाए तो इस बार बरसों बाद चार धाम यात्रा के मार्गों पर ऐसे हिमखंड दिखाई दे रहें हैं जो की पर्यावरणीय दृष्टि से बेहद शुभ संकेत हैं वहीं मई माह में बर्फ देखने की तमन्ना लिए तीर्थयात्रियों के लिए ये हिमखंड और ग्लेशियर उनके लिए सपनों का हकीकत में बदलने जैसा है, साथ ही मन की मुराद पूरी होना भी। अगर आप भी इन हिमखंडों व ग्लेशियरों को बेहद करीब से देखना चाहते हैं तो चले आइये चार धाम यात्रा पर। जहां आपको शांति, शुकून, आध्यात्म के अलावा प्रकृति के इन दिलकश नजारों के दीदार करने का भी मौका मिलेगा…..।