(मनोज इष्टवाल)
*उत्तराखंड वेब मीडिया एसोसिएशन ने एसएसपी से मिलकर उठाये अनैतिक तरीके से गिरफ्तारी पर सवाल!
*पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा एक निर्भीक पत्रकार पर लगी ऐसी आपराधिक धाराएं बदले की भावना से प्रेरित! निंदा करता हूँ!
*एक कांग्रेसी नेत्री का नाम भी आ रहा है सामने ! जो इस प्रकरण में नीरज को लेकर गयी थी एसएसपी से मिलने!
नाटकीय घटनाक्रम के तहत हुई पर्वतजन के सम्पादक शिब प्रसाद सेमवाल की गिरफ्तारी पर अब सवालिया निशान लगने शुरू हो गए हैं क्योंकि जिस तरह से उन्हें उनके घर से 22 नवम्बर सुबह 10 बजे के आस-पास घर से उठाया गया था और गिरफ्तारी सांयकाल 5:02 बजे थाना सहसपुर में दिखाई गई वह सवालों के घेरे में है!
उत्तराखंड वेब मीडिया एसोसिएशन के पदाधिकारियों द्वारा एसएसपी देहरादून अरुणमोहन जोशी से मुलाक़ात कर उन्हें एक पत्र सौंपा गया है जिसमें स्पष्ट किया गया है कि पर्वतजन के सम्पादक शिब प्रसाद सेमवाल की गिरफ्तारी अनैतिक तरीके से की गयी है जिसमें नियम व कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है!
एसोसिएशन द्वारा इस प्रकरण पर एसएसपी से किसी उच्च अधिकारी से निष्पक्ष जांच करवाने की मांग की गयी है ताकि पुलिस कार्यवाही पर लगे सवालिया निशान पर अंगुली न उठायी जा सके! एसएसपी ने आश्वासन दिया है कि वे सम्पूर्ण प्रक्रिया का अध्ययन कर न्यायोचित्त कार्यवाही करेंगे वहीँ उन्होंने यह जांच अब एसपी को सौंपने के निर्देश भी जारी करने की बात स्वीकारी है!
वहीँ एक चर्चित कांग्रेसी नेत्री का भी इस प्रकरण में तेजी से नाम उभरकर सामने आया है जो नीरज राजपूत व एक अन्य महिला को लेकर एसएसपी के पास गयी थी! सूत्रों का कहना है कि यह कांग्रेसी नेत्री पूर्व में भाजपा में भी रही व कई राजनेताओं की बहुत करीबी भी रही है जिससे यह अंदेशा लगाया जा रहा है कि यह प्रकरण सिर्फ 5 लाख की रंगदारी का नहीं बल्कि हाई प्रोफाइल हो सकता है व कहीं न कहीं इसमें राजनेता व उच्च अधिकारियों की मिलीभगत है!
अब एक ओर जहाँ पुलिस पर्वतजन के सम्पादक सेमवाल पर आईपीसी की धारा 386 जोड़कर रंगदारी का मामला जोड़कर 14 दिन की पुलिस रिमांड लेने के बाद उन्हें लम्बे समय के लिए जेल में डालने की कोशिश पर लगी है वहीं सेमवाल के वकील का कहना है कि यह सारा मामला बेबुनियाद और झूठा है क्योंकि पुलिस ने जिन धाराओं में केस दर्ज किया अहि वह उसे साबित नहीं कर सकेगी!
इधर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा भी इस मामले में ट्वीट किया गया है! उन्होंने कहा है कि नीरज राजपूत उनके काल में कभी राज्यमंत्री रहा हो उन्हें याद नहीं है लेकिन एक निर्भीक पत्रकार पर इस तरह आपराधिक धाराएं लगाना बदले की भावना से प्रेरित कृत्य हैं वह इसकी घोर निंदा करते हैं!
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के इस वक्तब्य को भले ही प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ज्यादा तबज्जो न दे लेकिन यह वेब मीडिया पोर्टल /न्यूज़ पोर्टल के लिए संजीवनी से कम नहीं है! पत्रकारों द्वारा अब नीरज राजपूत की कुंडली खंगालने का काम शुरू हो गया है जिसमें नीरज पर नौकरी लगाने के नाम पर वसूली गयी करोड़ों की धनराशि, ऋषिकेश में अनैतिक तरीके से कांग्रेस सरकार के दौरान एक कांग्रेसी नेता की शह पर अपने नाम करवाई गयी कई बीघा जमीन, चोरखाले में बना उसका मकान इत्यादि कई तरह का फर्जीबाड़ा मात्र एक दिन की ही तहकीकात में सामने आ गया है! साफ़ है कि अब मजबूरन पुलिस को उस अर्जी पर भी कार्यवाही करने को मजबूर होना पड़ेगा जो नीरज के विरुद्ध सेमवाल पर दर्ज एफआईआर से पूर्व की है व पुलिस ने उसे ठंडे बस्ते में डाला हुआ है!