Tuesday, October 21, 2025
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पुरुष प्रदान समाज के मुंह पर तमाचा।समाज सेविका ममता सिंह ने किया रिक्शा चालक का अंतिम संस्कार।

गाजियाबाद (हि. डिस्कवर)

*नही आया जब कोई अंतिम संस्कार को आगे तो महिलाओं ने कसी कमर*
*बबिता डागर ने किया प्रयास तो ममता सिंह ने श्मशान जाकर कराया गरीब बे सहारा रिक्सा वाले का अंतिम संस्कार*

समाज जब भी छिन्न-भिन्न होकर बिखरने के कगार पर खड़ा हुआ तो यह मातुल्य मातृशक्ति ही है जो दुर्गा, गौरा, गायत्री व करुणामयी माँ का रूप धारण कर युगों-युगों से खामोशी के साथ वह सब कर गुजरती है जिसके बारे में बाद में जब पुरुष समाज की चेतना लौटती है तो उसे भारी लज्जा महसूस होती है और वह अपने अन्तस से ग्लानि महसूस करता है।

ऐसा ही कुछ तब हुआ जब रामू नामक रिक्शा चालक की मृत्यु हो जाती है। रिक्शा चलाकर दो जून की रोटी से अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले रामू के इस कोरोना काल में मृत्यु हो जाने से अड़ोसी-पड़ोसी शंकित होकर उसे कांधा देने तक नहीं आता। अकुलाई व्यकुलाई रामू की उनके अंतिम संस्कार के लिए रोती-बिलखती जाने कितने घरों का दरवाजा खटखटाई होगी लेकिन निर्दयी समाज भला गरीब की कहाँ सुनने वाला था।

यह बात जब कालोनी निवासी बबिता डागर के कानों पड़ी तो उन्हें बड़ी शर्मिंदगी महसूस हुई। उन्होंने जाने कितनी जगह कितने माध्यमों से रामू के अंतिम संस्कार की अपील की।

ज्ञात हो कि शांति नगर ढूंढा हेड़ा (विजय नगर गाजियाबाद) निवासी रिक्शा चालक रामू की म्रत्यु हो गई वह शांति नगर कालोनी में रहता था अपना व अपने परिवार का भरण पोषण रिक्शा चला कर करता था आज सुबह उसकी मृत्यु होने पर किसी आस पड़ोस के लोगो में से उसके परिवार की सहायता को कोई नही आया, इस घटना की जानकारी चौधरी बबीता डागर को हुई तो उन्होंने रामू के अंतिम संस्कार के लिए काफी लोगो को मानवता के लिए सहयोग करने को की सामाजिक संस्था व सामाजिक ग्रुपों पर मैसेज किया।  व फोन कर भी मदद मांगी लेकिन ना तो कोई समाज सेवक आगे आया और ना ही कोई NGO और संस्था, किसी ने भी कोई मदद नही की।

थक हार कर चौधरी बबिता डागर ने  जब आनन्द सेवा समिति की अध्य्क्ष ममता सिंह को फोन पर जानकारी दी तब  उन्होंने बिना कुछ सोचे समझे चंद मिनटों में वहाँ आकर उसके अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू करा दी।  ममता सिंह व चौधरी बबिता डागर कहती हैं कि मोहल्ले के पुरुष समाज  बुलाने पर भी  कोई आगे नहीं आया।

आखिर इन महिलाओं ने ही रामू के अंतिम संस्कार का बीड़ा उठाया और अंतिम  यात्रा शुरू की।  इतना ही नही आज इन दोनों महिलाओं ने नया इतिहास रचा और किसी अनजान व्यक्ति के लिए समशान घाट जाकर वहां रामू की अंतिम क्रियाकर्म  का कार्य पूर्ण कराया, और उसको अंतिम विदाई दी।

चौधरी बबिता डागर  व ममता सिंह जैसी महिला ने इस बात से आम जनता को ये पैगाम दिया है,इंसानियत को इंसानियत के काम आना चाहिए फिर चाहे वो अपने हो या पराये, चॉधरी बबिता डगर व ममता सिंह ने आज इंसानियत का एक नया इतिहास लिख दिया।

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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