Sunday, September 8, 2024
HomeUncategorizedपुत्र को खुला आशीर्वाद मिला तो ही चेले से ले सकेंगे टक्कर।

पुत्र को खुला आशीर्वाद मिला तो ही चेले से ले सकेंगे टक्कर।

(अजय रावत की कलम से)

जब से इन उंगलियों को मिट्टी में रौंदने लगा हूँ तब से यह उंगलियां सियासती मुद्दों पर चलने से हिचकने लगी हैं, लेकिन अंदर बैठा ‘पटरकार’ कहाँ मानता है,।

कांग्रेस प्रत्याक्षी मनीष खण्डूरी लोकसभा सीट गढ़वाल

पौड़ी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र की बात करें तो यह निर्विवाद रूप से कहा जा सकता है कि 2014 की भांति न सही , लेकिन अंदरखाने आम मतदाता अभी भी मोदी मैजिक के तिलिस्म से बाहर नहीं आ पाया है।


वहीं कांग्रेस उस हथियार के भरोसे है, जिस पर वह एक माह पूर्व तक चुका हुआ, 5 साल तक नदारद रहने का आरोप पानी पी पी कर लगा रही थी। और ऊपर से तुर्रा कि अभी तक पिता ने खुलकर या आधिकारिक रूप से बेटे के पक्ष में अपनी जुबान नहीं खोली है।


भाजपा लोकसभा प्रत्याक्षी गढ़वाल तीरथ सिंह रावत।

कांग्रेस तब जाकर ही एकाएक दौड़ में समांतर आ सकेगी, जब जरनल सार्वजनिक मंच से अपना आशीर्वाद एकमुश्त पुत्र के पाले में खिसका दें, अन्यथा कांग्रेस के लिए ‘जरनल खंडूरी’ फैक्टर सिर्फ और सिर्फ गर्म दूध ही रहेगा। 15 मार्च तक तो कांग्रेस के लिए पौड़ी लोकसभा क्षेत्र में तो इस चुनाव में जरनल खंडूरी की निष्क्रियता ही सबसे सहज व सॉफ्ट टारगेट था।


भाजपा के लिए मोदी मैजिक, तीरथ का आंतरिक गुटबाजी से दूर रहना, पार्टी का जमीनी स्तर पर जबरदस्त नेटवर्क व संगठन, पार्टी के मजबूत संसाधन व जरनल खंडूरी की चुप्पी एडवांटेज साबित हो रही हैं। इसके विपरीत कांग्रेस के तरकस में जो एक हथियार था, यदि उसे वह चलाती है तो वह उल्टे उसी की तरफ आएगा, ऐसे में एक ही भावनात्मक हथियार कांग्रेस को रणक्षेत्र में बराबर के मुकाबले में ला सकता है, कि यदि पिता खुलकर पुत्र के पक्ष में कुरुक्षेत्र में उतर जाएं।
यह तस्वीर मतदान से 10 रोज पहले की है, वैसे सियासत में 10 रोज में काफी तब्दीलियां भी आ जाती हैं।

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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