(अजय रावत ‘अजेय’)
पहाड़ से हो रहे बेतहाशा पलायन के लिए स्वास्थ्य व चिकित्सा सुविधाओं की कमी को एक अहम कारण माना जाता रहा है। अच्छी चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में पहाड़ में बचे खुचे बुजुर्ग भी अपने परिजनों के साथ शहरों की ओर पलायन करने को मजबूर हैं, ऐसे में पौड़ी जनपद की नयार घाटी में भोले जी महाराज व माता मंगला जी की पहल उम्मीद की नई किरण लेकर आई है। सतपुली के दयालपुरम में करीब 265 करोड़ की लागत से निर्मित अत्याधुनिक असपताल में सैकड़ों की संख्या में प्रतिदिन पहुंच रही मरीजों की संख्या इस बात की तस्दीक करती है कि यह अस्पताल चिकित्सा कि नाम पर हो रहे पलायन को रोकने में अहम भूमिका निभाने लगा है।
पहाड़ में सरकारी स्वास्थ्य एवं चिकित्सा व्यवस्था की दुर्दशा किसी से छुपी हुई नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो चिकित्सा सेवाओं के नाम पर केवल बड़ी बड़ी इमारतें खड़ी कर दी गई, और कहीं कंही तो पूरा अस्पताल एकमात्र सफाई कर्मी के भरोसे संचालित किए जा रहे हैं। नयारघाटी के केंद्र सतपुली में तो स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के नाम पर स्थापित किया गया चिकित्सालय भगवाल भरोसे चल रहा है। घाटी क्षेत्र की हजारों की आबादी को उपचार हेतु मजबूरी में कोटद्वार, देहरादून जाना पड़ता था। रिटायरमैंट के बाद गांव में ही निवास कर रहे बुजुर्ग ऐसी परिस्थितियों में इलाज हेतु पलायन करने को मजबूर थे।
इस बीच हंस फांउडेशन की संस्थापक माता मंगला जी व भोले जी महाराज ने सतपुली के निकट दयालपुरम में करीब दो सौ पैंसठ करोड़ की मदद से एक अत्याधुनिक अस्पताल निर्माण का फैसला लिया जो दो वर्ष पूर्व बनकर तैयार हो गया, और आज क्षेत्र ही नहीं जिले भर की जरूरतमंद जनता के लिए यह अस्पताल संजीवनी बन गया है। अस्पताल में हर रोज तीन से चार सौ की ओपीडी से साबित होता है कि इस अस्पताल के प्रति लोगों के विश्वास में किस तेजी से बढ़ौत्तरी हो रही है। अस्पताल प्रशासन द्वारा सतपुली से लगातार मरीजों के लिए निशुल्क बस की व्यवस्था के साथ ही जिला मुख्यालय तक भी मरीजों की आवाजाही के लिए नियमित निशुल्क बस की व्यवस्था की गई है। इतना ही नहीं अस्पताल प्रशासन की मोबाइल वैन के द्वारा नियमित रूप से जिले के विभिन्न क्षेत्रों में मेडिकल कैंप संचालित किए जा रहे है। अस्पताल द्वारा एंबुलेस की भी सेवाएं दी जा रही हैं। वहीं अटल आयुश्मान योजना के तहत अस्पताल को सूचीबद्ध किए जाने के बाद अब यहां जरूरतमंद गरीब आसानी से सरकारी निशुल्क स्वास्थ्य सेवा का लाभ उठा रहे हैं।
आज जब सरकार से लेकर तमाम राजनैतिक दल व सामाजिक संगठन पहाड़ से हो रहे पलायन पर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं ऐसे दौर में हंस फाउंडश्ेन के इस प्रयास ने बिना कोई शोर शराबा किए पलायन की दर को कम करने की दिशा में एक अभिनव व ऐतिहासिक पहल कर दी है। आज पौड़ी व कोटद्वार शहरों से भी लोग इ्रस अस्पताल में आकर स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं। अस्पताल की स्वच्छता व्यवस्था व आधुनिक कक्ष, उपकरण व बैडिंग देश के नामी गिरामी निजी व बेहद मंहगे अस्पतालों को भी आइना दिखा रहे हैं। वर्तमान में पलायन जैसी चुनौती से लोहा लेने में हंस फाउंडेशन के ऐसे प्रयास ही पहाड़ से पलायन की दर को कम कर सकते हैं।