Friday, November 22, 2024
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पंकज डंगवाल को विशिष्ट सेवा के लिए भारतीय पुलिस सेवा पदक।

पंकज डंगवाल को विशिष्ट सेवा के लिए भारतीय पुलिस सेवा पदक।

(वरिष्ठ पत्रकार वेद विलास की कलम से)

पंकज डंगवाल को हम कालेज में प्रिंस कहते थे। वह रहता भी कुछ इसी नफासत के साथ था। कभी नहीं लगता था कि वह गढवाल विश्वविद्यालय के श्रीनगर कैंपस में वह ठीक -ठाक पढाई करने आया है। कभी पढाई की बात वो करता भी नहीं था। और उसे अपनी उस आवारगी पर मानो फक्र -सा था।

थियेटर कला का खास शौक और भारतीय सेना के लिए खासा आकर्षण। अंग्रेजी विभाग में डा राकेश काला और डा डी आर पुरोहित के सानिध्य में जो सांस्कृतिक गतिविधियां होती थी, उनमें पंकज की उपस्थिति रहती थी। साथ ही कट्टा- पिस्तौल की बातें भी वो कर लिया करता था।

अक्सर पंकज कहता था उसे जासूस बनना है। वो ऐसा कुछ ऐसी छवि में दिखना चाहता था कि उसे खास अभियानों में भेजा जाए। स्कूली छात्र जीवन में उसे डिबेट में भी हिस्सा लेने का रुझान था वो शौक विश्वविद्यालय मे आते -आते गायब हो गया। शायद ही उसने डिबेट में कहीं भाग लिया हो। पंकज यानी कालेज की तफरी। परीक्षा की तैय्यारी के दिनों भी उसे साथियों के साथ के साथ चाय की दुकान में बैठे गप्प मारते हुए देखा जा सकता था। कालेज मे उसका एक अपना खास ग्रुप था । क्या होगा पंकज का आगे, यह सवाल उसके हर शुभचिंतक की जुबान पर रहता था।

लेकिन पंकज को पता था कि जाना कहां है और मंजिल कहां है।एसएसबी की सेवा में लिए जाने के बाद जब भी उससे मुलाकात होती थी वह बाकि बातों को छोड अपने अभियानों अपने सेना के टारगेट की स्टोरी कुछ इस तरह सुनाया करता था जैसे रंजीत के लिखे किसी जासूसी उपन्यास की कहानी बता रहा हो। वह एसएसबी में कमाडेंट बना। जब भी उससे सुनो एक ही बात, मुझे मैडल पाना है। और यह मैडल जरूर मिलेगा। न जाने कितने अभियानों में , खास मुश्किल टास्क में उसने अपनी सेवाएं दीं। उसकी जद्दोजहद, लगन, समर्पण से आज उसे अपना मुकाम मिल गया।

एसएसबी के कमाडेंट पंकज डंगवाल को एसएसबी में उनकी विशिष्ट सेवाओं के लिए भारत सरकार ने भारतीय पुलिस सेवा पदक का सम्मान देने की घोषणा की है। जल्दी ही समारोह में उसे मैडल दिया जाएगा।
पंकज डंगवाल मूल रूप से नरेंद्र नगर के रहने वाले हैं। उत्तराखंड के जाने माने पत्रकार स्व राजेन टोडरिया की पत्नी स्मिता, उनकी बहन हैं.। इस परिवार का उत्तराखंड की संस्कृति लेखन से गहरा जुड़ाव रहा है। अब सैन्य पुलिस में राष्टीय स्तर पर विशिष्ट सेवा मैडल भी परिवार के पास होगा।

पंकज ने आपना वादा निभाया। कहा था जब कभी नेशनल मेडल मिलेगा तुझे सबसे पहले बताऊंगा। आज उसका फोन आया । मैडल मिल गया है।

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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