Saturday, November 23, 2024
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देश मेरा…! अनीश, आशीष व मुकेश की आवाज में छनकर आये देश प्रेम के स्वर।

(मनोज इष्टवाल)

देश मेरा…..!
सचमुच देश इनका न होगा तो किनका होगा जिनका पूरा परिवार ही देश सेवा का समर्पित सिपाही रहा हो! पहाड़ का यह बेटा गायकी में अपनी जमीन तलाश रहा है वह भी अपने पिता व चाचाओं की तरह..! क्योंकि अपने कैरियर की शुरुआत के लिए उसने भी अपने खून में शामिल देश प्रेम की अविरल धारा को अपनी आवाज के माध्यम से देश प्रेमियों तक पहुंचाने का यह सफल प्रयास किया है!

पौड़ी गढ़वाल के कल्जीखाल विकास खंड, पट्टी-कफोलस्यूं के पयासू गाँव का यह उभरता गायक अनीश मलासी गर्व से कहता है कि उसे इस बात का अभिमान है कि उसके पिता जी व चाचाओं ने सैन्य जीवन अपनाकर देश सेवा का जज्वा हमारे अंदर बचपन से ही भरा है! अनीश मलासी ने कहा कि वह जब पढ़ता था तब बचपन में उसे बेसब्री से 15 अगस्त की प्रभात फेरी में लहराते तिरंगे को सलूट करने की एक ललक रहती थी! और आज जब मुझे अपने को गायकी के माध्यम से प्रस्तुत करने का मौक़ा मिला तो मेरी शुरुआत भी 15 अगस्त को ही मेरे गीत देश मेरा…! के साथ हुई है!

आध्यात्म-द बैंड” के माध्यम से गीतकार आशीष चानना के बोलों के साथ अनीश मलासी व मुकेश मलासी की साजी मेहनत से सुंदर कण्ठ व धुन में हुआ है वह सरगम प्रोड्क्शन के सचिन भाटिया के संगीत से सजकर व अनीश मलासी की आवाज में छनकर सामने आये है! अनीश कहते हैं कि मुकेश मलासी ने उन्हें कोरस में साथ देकर उनका उत्साह बढ़ाया है!
गीत के बोलों से ही पता लगता है कि गीतकार व ग़ायक आशीष चानना, अनीश मलासी व मुुुुकेशके हृदय में देश प्रेम की कैसी लौ जल रही है।

1- आशीष चानना 2-मुकेश मलासी 3- अनीश मलासी।

बनके लाल लहू तन में, दौड़ता कौन बता।
बनके दिल मेरी धड़कन में, दौड़ता कौन बता।।
जिसके साये में रोशन है, मुस्कराता ये घर मेरा।
जिसकी गोद में छिपता है,सहल जाने को सर मेरा
वो देश मेरा..देश मेरा देश मेरा।।।
गिटार के तारों से छनकर उसकी मधुर धुन सचमुच गीत सुनने को बाध्य कर देती है। अनीश को उनके उज्जवल भविष्य की कामना । उम्मीद है आपको भी यह गीत पसन्द आएगा।

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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