Sunday, September 8, 2024
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देश में नागरिक संसोधन विधेयक (CAB) होगा लागू! लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी पास! क्या है नागरिक संसोधन बिल…?

(मनोज इष्टवाल)

यह सचमुच मेरी जिन्दगी के कीमती बर्षों की पहली मिशाल है जब कोई पार्टी अपने घोषणा-पत्र का अक्षरत: पालन कर रही है! भारतीय जनता पार्टी ने अपनी दूसरी पारी में पूर्व पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के गृह मंत्री बनते ही मानों ठान ली है कि वे ऐसे ऐतिहासिक फैसले करेंगे जिससे न सिर्फ देश के बल्कि विश्व भर के नेताओं व देशों की निगाह भारत पर ही लगी रहेगी!

यह पहला अवसर है जब आम व्यक्ति लोक सभा राज्य सभा में जारी होने वाली लाइव बहस को महाभारत व रामायण सीरियल की तरह देख रहा है! क्या जम्मू कश्मीर में धारा -370 हटाना हुआ या फिर तीन तलाक पर ऐतिहासिक फैसला, राम मंदिर का सदियों से चल रहा विवाद निबटाना हो या फिर अब कैब यानि नागरिकता संसोधन बिल पास करना! सचमुच सब इतने हैरतअंगेज हैं की कांग्रेस क्या विपक्षी किसी भी पार्टी को समझ नहीं आ रहा है कि वे अब किन मुद्दों की लड़ाई पर चुनाव लड़ेंगे क्योंकि जिस वोट बैंक के खातिर वे जम्मू कश्मीर मसला, तीन तलाक व राममन्दिर मसले को छेड़ते तक नहीं थे! मोदी के नेतृत्व की इस सरकार ने इन सभी बिषयों पर ऐतिहासिक कदम उठाकर जो फैसले लाये उन्हें मुस्लिम समुदाय द्वारा भी अब सहर्ष स्वीकार कर दिया गया है!

आखिर अब CAB यानि नागरिकता संसोधन विधेयक भी लोक सभा व राज्यसभा में पास हो गया है! ऐसे में विपक्षियों के पास सिर्फ बाल नोंचने के अलावा कुछ और बचा नहीं है! पड़ोसी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न के चलते आए हिन्दू, सिख, ईसाई, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म को लोगों को सीएबी के तहत भारतीय नागरिकता मिल जाएगी।

नागरिक संसोधन विधेयक की प्रमुख बातें क्या क्या है आप भी जानिये –

*लोकसभा व राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill 2019) के पास हो जाने पर अब उसमें क़ानून बनने में ज्यादा समय नहीं लगने वाला! असम में भले ही इस विधेयक का पूर्व में भी विरोध हुआ और आज भी हुआ! इसीलिए असम के गोवाहाटी में सुबह 7 बजे तक कर्फ्यू लगा दिया है! यहाँ छुटपुट हिंसा की बारदातें जरुर सामने आई हैं लेकिन अब स्थिति सामान्य है! विगत 2018 में असम में नागरिकता संशोधन विधेयक-2016 के विरोध में 40 संगठनों ने बंद का आयोजन किया था।

भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी असम गण परिषद (AGP) ने वर्ष 2016 में लोकसभा में पारित किए जाते वक्त बिल का विरोध किया था, और सत्तासीन गठबंधन से अलग भी हो गई थी, लेकिन जब यह विधेयक निष्प्रभावी हो गया, असम गण परिषद गठबंधन में लौट आई थी!10- शिवसेना के सांसद संजय राउत का कहना है कि महाराष्ट्र में सरकार अपनी जगह और देश के प्रति कमिटमेंट एक जगह है। इसलिए हम लोग इस बिल का समर्थन करेंगे, लेकिन राज्यसभा में अंतिम समय पर वोटिंग में शामिल नहीं हुए।

1. नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 को लोकसभा में ‘नागरिकता अधिनियम’ 1955 में बदलाव के लिए लाया गया है। केंद्र सरकार ने इस विधेयक के जरिए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैन, पारसियों और ईसाइयों को बिना वैध दस्तावेज के भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव रखा है। इसके लिए उनके निवास काल को 11 वर्ष से घटाकर छह वर्ष कर दिया गया है। यानी अब ये शरणार्थी 6 साल बाद ही भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस बिल के तहत सरकार अवैध प्रवासियों की परिभाषा बदलने के प्रयास में है।
2.यह बिल लोकसभा में 15 जुलाई 2016 को पेश हुआ था जबकि 1955 नागरिकता अधिनियम के अनुसार, बिना किसी प्रमाणित पासपोर्ट, वैध दस्तावेज के बिना या फिर वीजा परमिट से ज्यादा दिन तक भारत में रहने वाले लोगों को अवैध प्रवासी माना जाएगा।

3.असम में बीजेपी की गठबंधन पार्टी असम गण परिषद बिल को स्वदेशी समुदाय के लोगों के सांस्कृतिक और भाषाई पहचान के खिलाफ बताया है। कृषक मुक्ति संग्राम समिति एनजीओ और ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) भी इस बिल के विरोध में मुखर रूप से सामने आए हैं। इसके अलावा विपक्षी दल कांग्रेस और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रैटिक फ्रंट ने भी किसी शख्स को धर्म के आधार पर नागरिकता देने का विरोध किया है।

4.यह भी विवाद है कि बिल को लागू किया जाता है तो इससे पहले से अपडेटेड नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) प्रभावहीन हो जाएगा। फिलहाल असम में एनआरसी को अपडेट करने की प्रक्रिया जारी है। एजीपी ने बिल के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत की है। पार्टी के सदस्यों ने कहा कि वह राज्य के लोगों से बिल के खिलाफ 50 लाख हस्ताक्षर इकट्ठा करने करेंगे जिसे जेपीसी के पास भेजा जाएगा। कांग्रेस ने भी बिल को 1985 के असम समझौते की भावना के खिलाफ बताकर इसका विरोध किया है।

5. इनका दावा है कि यह 1985 के ‘ऐतिहासिक असम करार’ के प्रावधानों का उल्लंघन है जिसके मुताबिक 1971 के बाद बांग्लादेश से आए सभी अवैध विदेशी नागरिकों को वहां से निर्वासित किया जाएगा भले ही उनका धर्म कुछ भी हो।

6.बता दें कि 7 मई को बिल को लेकर विभिन्न संगठन और व्यक्तियों की राय जानने के लिए जेपीसी की एक टीम राज्य के दौरे पर थी लेकिन यहां उसका जमकर विरोध हुआ। इस टीम की अध्यक्षता बीजेपी सांसद राजेंद्र अग्रवाल की ने की थी। इस समिति पर विधेयक में विभिन्न संगठनों और व्यक्तियों की राय शामिल करने के लिए जनता की तरफ से बेहद दबाव है।

7.गौरतलब है कि असम पब्लिक वर्क नागरिकता संशोधन विधेयकनाम के एनजीओ सहित कई अन्य संगठनों ने साल 2013 में राज्य में अवैध शरणार्थियों मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। असम के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने इसे एक बड़ा मुद्दा बनाया था।

8. साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और निगरानी में यह काम शुरू हुआ था, जिसके बाद गत 30 जुलाई में फाइनल ड्राफ्ट जारी किया गया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने, जिन 40 लाख लोगों के नाम लिस्ट में नहीं हैं, उन पर किसी तरह की सख्ती बरतने पर फिलहाल के लिए रोक लगाई है।

9.सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, असम में वर्तमान में नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) को अपडेट किया जा रहा है। इसे उन बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान करने के लिए अपडेट किया जा रहा है जो 24 मार्च 1971 के बाद भारत-बांग्लादेश बंटवारे के समय अवैध रूप से असम में घुस आए थे। 1985 असम समझौते में तारीख तय की गई थी जो प्रधानमंत्री राजीव गांधी और ऑल असम स्टूडेंट यूनियन के बीच समझौता हुआ था।

10.दरअसल, एनआरसी और नागरिकता संशोधन बिल एक-दूसरे के विरोधाभासी है। जहां एक ओर बिल में बीजेपी धर्म के आधार पर शरणार्थियों को नागरिकता देने पर विचार कर रही हैं वहीं एनआरसी में धर्म के आधार पर शरणार्थियों को लेकर भेदभाव नहीं है। इसके अनुसार, 24 मार्च 1971 के बाद अवैध रूप में देश में घुसे प्रवासियों को निर्वासित किया जाएगा। इस वजह से असम में नागरिकता और अवैध प्रवासियों का मुद्दा राजनीतिक रूप ले चुका है।

इस बार भाजपा ने पुरानी भूल को दोहराना उचित नहीं समझा व उसका निचोड़ निकालते हुए लोक सभा व राज्य सभा में इसे बहुमत के साथ पास करवा दिया है जिस पर अब क़ानून बनना तय है!

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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