(संजय चौहान की कलम से)
आज देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) से पीओपी के अंतिम पग के साथ कुल 423 जेंटलमैन कैडेट पास आउट हुये। जिसमें भारत के 333 और मित्र राष्टों के 90 कैडेट्स अफगानिस्तान, तजाकिस्तान, भूटान, मॉरीशस, मालद्वीव, फिजी, पपुआ न्यू गिनी, श्रीलंका व वियतनाम की सेना का अभिन्न अंग बने।
यूपी से सबसे ज्यादा 66 जैंटलमैन कैडेट्स पास आउट हुए हैं। जबकि दूसरे स्थान पर हरियाणा के 59 और तीसरे स्थान पर उत्तराखंड और बिहार के संयुक्त 31 युवा भारतीय सेना के अभिन्न अंग बनें। अब बतौर सैन्य अधिकारी सेना में शामिल होने वाले कैडेट्स को भविष्य में सैन्य परंपराओं का निर्वहन कर आगे बढ़ना होगा। अब सेना ही नहीं बल्कि देश की प्रतिष्ठा व सुरक्षा भी इन युवा अफसरों के कंधों पर होगी। इन्हें सरहदों की हिफाजत के साथ साथ देश की हिफाजत भी करनी होगी।
भारतीय सेना के चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवाना ने आईएमए देहरादून में शनिवार सुबह 423 युवा अफसरों की पासिंग आउट परेड की समीक्षा की। चीफ जनरल की मौजूदगी में कदमताल के बाद कैडेटों को भारतीय सेना की शपथ दिलाई गई। ऐसा पहली हुआ कि आईएमए की पासिंग आउट परेड (पीओपी) के दौरान ड्रिल स्क्वायर पर सीना चौड़ा किए कदमताल करके अपने बेटे को देखने और उसके कंधों पर पीप्स (सितारे) सजाने की माता-पिता की इच्छा पूरी नहीं हुई। कोरोना संक्रमण की वजह से इस बार पीओपी में आईएमए की ओर से किसी भी कैडेट्स के परिजनों को बुलावा नहीं भेजा गया। परेड भी कैडेट मुंह पर मास्क पहनकर कर रहे हैं। कैडेट इस बार छुट्टी में अपने घरों को लौटने के बजाए अपनी-अपनी कमान में रिपोर्ट करेंगे।
भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून की ऐतिहासिक इमारत जहां तैयार होते हैं सरहदों के जांबाज रखवाले।
भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून के प्रांगण में हर साल सैकड़ों जांबाज अफसर अपनी बेहद कठिन प्रशिक्षण को प्राप्त कर पीओपी के जरिए भारतीय सेना के अहम अंग बनते हैं। ये इमारत ऐतिहासिक ही नहीं बल्कि जांबाज अफसरों को तैयार करने का कारखाना भी है। आसमान से बरसते फूलों और अनुशासित कदमताल के बीच…ये जिंदगी है कौम की, तू कौम पे लुटाए जा.. की धुन पर अंतिम पग पार करने के उपरांत भारतीय सैन्य अकादमी के नाम देश-विदेश की सेना को 62 हजार 562 युवा सैन्य अधिकारी देने का गौरव जुड़ गया। इनमें मित्र देशों को मिले 2503 सैन्य अधिकारी भी शामिल हैं।
सैल्यूट, जय हिंद…..।