Friday, November 22, 2024
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दून की स्कूली छात्राओं के बारे में डॉ प्रभाकर का चौंकाने वाला बयान! तेजी से बढ़ रहे हैं प्रैग्नेंसी के प्रकरण।

देहरादून 24 जुलाई 2018 (हि. डिस्कवर)
एक टीवी चैनल को दिए दिए गए बयान ने सचमुच अभिवाहकों को चौकन्ना रहने को मजबूर कर दिया है क्योंकि बयान ही कुछ ऐसा है। देहरादून की जानी मानी प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ अमिता प्रभाकर ने खुलासा किया है कि 13 से 17 साल की स्कूली छात्राओं में दिनों-दिन प्रैग्नेंसी के प्रकरण बढते ही जा रहे हैं जो यकीनन बेहद गंभीर मामला है। डॉ प्रभाकर की माने तो वह अभी तक ऐसे 60 से अधिक मामले देख चुकी है जिसमें इस उम्र की लड़कियों ने उनसे मेडिकल चेकअप करवाया है।


उन्होने बताया कि ऐसे प्रकरण ज्यादात्तर उन लड़कियों में देखने को मिले हैं जो पढ़ाई करने के नाम पर होस्टल या कमरा लेकर गांव से यहां रह रही हैं। अपने को शहरी माहौल में मॉडर्न दिखने के नाम पर वे जल्दी से बहकावे में आकर वे ये गलतियां करती ही जा रही हैं।


वहीं सूत्रों का कहना है कि इस से बड़ी उम्र की लड़कियों में तेजी से ड्रग्स की आदतें बढ़ रही हैं और वे इसके लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। वहीं ऐसे प्रकरणों को कई लव जिहाद जैसे मामलों से जोड़कर देखते हैं। आंकड़ों की अगर माने तो अक्सर स्कूल में जाते समय व स्कूल से छुट्टी होते समय शहर के सभी मनचले स्कूली गेटों के आस पास जमा रहते हैं। जो बाइक्स लेकर हाथों में जान बूझकर रोली तागा बांधकर यह जताने की कोशिश करते हैं कि वे हिन्दू हैं, लेकिन कभी पुलिस प्रशासन यह जहमत नहीं उठाता कि इनकी आइडेंटी चेक की जाय कि आखिर ये हैं कौन और किसलिए बालिका विद्यालयों के बाहर जमा होते हैं।
डॉ अमिता प्रभाकर के इस खुलासे के बाद शासन व पुलिस प्रशासन हरकत में तो आया है और उन्होंने गोपनीय तरीके से पुलिस कर्मियों को यह निगरानी सौंप दी है लेकिन वहीं आईजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार की माने तो 18 साल से ज्यादा उम्र की लड़कियों के लिए ऐसा कोई कानून नहीं है लेकिन जबरदस्ती शारीरिक शोषण ही कानून के दायरे में आता है।
बहरहाल स्कूली कम उम्र की छात्राओं का यह यौनाचार और गर्भवती होने जैसे प्रकरण जिस तेजी से राजधानी में बढ़ रहे हैं उस से हर अभिवाहक को अपने बच्चों की हर हरकत पर निगाह रखने की आवश्यकता है और हर बेटी को भी यह समझना जरूरी है कि वह चन्द जरूरतों के लिए अपना सर्वस्व क्यों खो रही है। वहीं इस पर ख़ुफ़िया तन्त्र को भी अलर्ट होने की जरूरत है कि कहीं ये बढ़ते प्रकरण लव जिहाद के प्रकरण तो नहीं।

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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