ग्राउंड जीरो से संजय चौहान।
(किस्त – 1)
आज बाबा केदार के कपाट खुलने के बाद केदार मंदिर के ठीक पीछे मौजूद दिव्य पत्थर को देखने श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। इसी पत्थर की वजह से केदारनाथ आपदा के दौरान मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा था।इसे भगवान शिव का चमत्कार मानकर कपाट खुलने के बाद श्रद्धालु इसकी पूजा कर रहें हैं। जो भी इस शिला को देख रहा है उसे बेहद आश्चर्य हो रहा है की आखिर ये विशालकाय पत्थर यहीं पर आकर क्यों रुक गया। भक्तजन इसे भोले की लीला मान रहें हैं। और इस पत्थर की पूजा कर रहें हैं। देखते ही देखते एक पत्थर को आज भगवान् के अंश का अहोदा मिल गया है। बाबा केदार की थाती में आस्था और विश्वास का इससे बड़ा उदाहरण नहीं हो सकता है।
—-मान्यता है की देवभूमि के कण कण में भगवान शिव यानि शंकर का वास है। ये शिव की तपोभूमि है। जहां पर साक्षात शिव विराजतें हैं। यहाँ पर विराजमान हिमालय भगवान शिव का निवास स्थान है। लोक में भगवान शिव के चमत्कार को लेकर सैकड़ों कथायें विद्यमान हैं। इन सबके बीच ११ वें ज्योतिर्लिंग भगवान केदारनाथ में 6 साल पहले १५ पर १६ जून को आये विनाशकारी जलजले ने न केवल पूरी केदारपुरी का भूगोल ही बदल कर रख दिया था। अपितु इस जलजले में हजारों लोग सदा सदा के लिए मौत के मुहँ में समा गए थे। इस विनाशकारी आपदा में जो सबसे आश्चर्य वाली बात वो केदारनाथ मंदिर को किसी भी प्रकार का नुकसान न पहुंचना। जबकि जलजले के साथ विशालकाय पत्थर केदारनाथ से लेकर गौरीकुंड तक बहे थे। बड़े बड़े मकान धराशायी हो गये थे। रामबाडा पडाव नेस्तानाबूत हो गया था।
लोगो का कहना था की १५ और १६ जून को आया जलजला इतना भयानक था की पलक झपकते ही पूरी केदारपुरी तबाह हो गयी थी। जलजले के साथ विशालकाय पत्थर और मलबे ने केदारनाथ में तीन मंजिला मकानों को पलक झपकते ही नेस्तनाबूत कर दिया था। लेकिन मंदिर के ठीक पीछे एक विशालकाय पत्थर हिमालय की तरह अडिग रहा इस पत्थर से मानों खुद जलजला ही हार गया हो। इस पत्थर की वजह से जो जलजला सीधे मंदिर की और बढ़ रहा था वो दो हिस्सों में विभक्त हो गया था। जिस कारण से मंदिर को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचा। लोगों का मानना है की कंही न कंही इस पत्थर में वो दैवीय शक्ति थी जिससे खुद जलजला भी हार गया। कई लोग इस पत्थर को शिव की शक्ति के रूप में मान रहे है।
अगर आप भी आने वाले दिनों में केदारनाथ जायें तो जरूर कीजिएगा इस दिव्य शिला के दर्शन।