Tuesday, October 21, 2025
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डॉ निशंक ने एनआईटी सुमाड़ी के लिए स्वीकृत किये 909.85 करोड़ स्वीकृत।

(मनोज इष्टवाल)

यह सचमुच उत्तराखण्ड प्रदेश के लिए बहुत बड़ी सौगात कही जा सकती है क्योंकि जिस राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान का एनआईटी संस्थान की रिव्यू कमेटी बोरिया बिस्तर बांधने को तैयार हो गयी थी व इसे उठाकर ऋषिकेश तक ले गयी थी, उसे ही एक दृढ़ निश्चयी पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल “निशंक” वापस सुमाड़ी लाकर ही माने। इसे 2017 में मौजूदा सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसे टॉप एजेंडे पर रखा व क्षेत्रीय विधायक व उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने लगातार केंद्र से संवाद बनाये रखा जिसके फलस्वरूप पूरे 10 बर्ष बाद इसका शिलान्यास हो सका व 10  साल साढ़े 7 माह बाद इसके 909.85 करोड़ की स्वीकृति केंद्रीय सरकार ने दी।

आपको बता दें कि एनआईटी सुमाड़ी की शुरुआत भी केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा ही की गई थी, तब वे प्रदेश के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। उन्होंने एनआईटी के पास भवन न होने के कारण इनकी प्रारम्भिक शुरुआत श्रीनगर से करवाई। बाद में सुमाड़ी गांव के ग्रामीणों द्वारा अपनी सरहद में इसके भवन निर्माण हेतु संस्थान को 125 जमीन दान दी गयी। कई सालों तक इस जमीन का मामला लटका रहा क्योंकि शुरुआती दौर में इसके निर्माण पर लगभग 5 करोड़ की अनुमानित लागत का आगणक लगाया गया था लेकिन संस्थान के अधिकारियों द्वारा इस प्रोसेस को जानबूझकर ढीला छोड़ दिया गया। लोगों का मानना है कि संस्थान के अधिकारी किसी भी हालत में नहीं चाहते थे कि देश भर के छात्र या फिर वे स्वयं मैदानी भू भाग की आरामदेह जिंदगी छोड़ पहाड़ों के टेढ़े मेढ़े रास्तों से गुजरकर सुमाड़ी जैसे स्थान में रहें, जहां न मार्केट है न कोई शॉपिंग मॉल या फिर मनोरंजन के साधन। इसलिए लड़कों के माध्यम से विद्रोह करवाया गया व इसे साल 2016-17 में  जबरन ऋषिकेश के आस पास क्लासेस चलाने के बहाने शिफ्ट करने की तैयारी की गई। 2016 में  एनआईटी के निदेशक प्रो. एच थोराट ने एक बयान देकर इसे और जटिल बना दिया। उन्होंने कहा कि सुमाड़ी में बनने वाले एनआईटी की निर्माण लागत में अब 5 करोड़ के स्थान पर 1500 करोड़ का व्यय हो सकता है।

2016 में  एनआईटी के निदेशक प्रो. एच थोराट ने एक बयान देकर इसे और जटिल बना दिया। उन्होंने कहा कि सुमाड़ी में बनने वाले एनआईटी की निर्माण लागत में अब 5 करोड़ के स्थान पर 1500 करोड़ का व्यय हो सकता है

यह सब जानने के बाद वे गढवाली समाज में भारी रोष के बाद त्रिवेंद्र सरकार हरकत में आई व इसे सुमाड़ी में ही बनाये रखने के लिए हर सम्भव केंद्र से पत्राचार किया।

(फ़ाइल फोटो)

डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय का पद भर ग्रहण करते ही इस पर त्वरित कार्यवाही करनी शुरू करवा दी और पूरी विवेचना के बाद 19 अक्टूबर 2019 को पूरे 10 साल बाद अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर पंख लगवाते हुए सुमाड़ी में ही प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मौर्य, लोकसभा सांसद तीरथ सिंह रावत, नैनीताल सांसद अजय भट्ट, क्षेत्रीय विधायक व उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत व प्रदेश के कई मंत्री व विधायको के साथ भूमि पूजन कर डाला। इस दौरान पेयजल हेतु 20 करोड़, व आकस्मिक निधि हेतु 05 करोड़ संस्थान को तुरंत उपलब्ध करवाए गए।

ज्ञात हो कि एनआईटी की शुरुआत साल 2009 में उस वक्त हुई थी जब मौजूदा मानव संसाधन विकास मंत्री निशंक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री थे। इसके बाद उत्तराखंड में 3 और मुख्यमंत्री बदले, जिनमें भुवन चंद्र खंडूरी, विजय बहुगुणा और हरीश रावत शामिल रहे। लेकिन कोई भी मुख्यमंत्री एनआईटी का परमानेंट कैंपस फाइनल नहीं कर पाया। 2017 में मौजूदा सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसे टॉप एजेंडे पर रखा, लेकिन बात फाइनल तभी हो पाई जब मई 2019 में हरिद्वार से सांसद और पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री का पद संभाला। उन्होंने फाइनल फैसला कर दिया कि श्रीनगर से एनआईटी कहीं शिफ्ट नहीं होगा और शिलान्यास सुमाड़ी गांव में ही होगा।
अब जबकि केंद्र सरकार द्वारा 909.85 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की है तब एनआईटी सुमाड़ी जल्दी है अपने विशाल स्वरूप में नजर आएगा।
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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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