Tuesday, September 16, 2025
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डीएम टिहरी बोले-भ्रष्टाचार बर्दास्त नहीं, डीएम रुद्रप्रयाग बोली- बेवजह हीरो न बनाएं।

देहरादून  (हि. डिस्ककर ब्यूरो रिपोर्ट)

ट्रांसफर प्रकरण में दोनों ही चर्चाओं में. ! फिजिक में भी छरहरे गोरे-चिट्टे। दोनों ही व्यवहारिक व आत्मसात करने में माहिर लेकिन प्रशासनिक कार्यप्रणाली जुदा-जुदा। शायद एक कि मजबूरी यह है कि वह जहां भी गए बस अपनी कार्यप्रणाली से छा गए। दूसरी भी कुछ वैसी ही लेकिन उस जनपद में काम करना अलग अनुभाव जिस में पूर्व में मंगेश घिल्डियाल जैसा जिलाधिकारी अपने सेवाकाल में आम जनता का सबसे लोकप्रिय जिलाधिकारी रहा हो।

आज जिलाधिकारी टिहरी के रूप में अपनी पहली ही बैठक में जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बहुत सख्त लहजे में अफसरों को हिदायत जारी की है कि वह आमजन से व्यवहार बदले व उन्हें अपनी व्यवहारिकता के परिचय से आत्मसात करे ताकि शासन प्रशासन का आम जनता से साकारात्मक संवाद कायम हो सके। उन्होंने कठोर शब्दों में सन्देश भी दिया है कि कार्य के प्रति लापरवाही व भ्रष्टाचार उन्हें कतई बर्दास्त नहीं।

वहीं जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग के रूप में मीडिया से मुखातिब हुई जिलाधिकारी वन्दना सिंह ने भी अपनी पारी की शुरुआत नए अंदाज से की। उन्होंने जहां पत्रकारों के साथ बहुत सहजता से परिचय व संवाद कायम किया वहीं स्पष्ट लहजे में यह भी कह दिया कि उन्हें कोई भी बेवजह हीरो न बनायें क्योंकि इसके बाद कार्यशैली में वे कार्य करने में असहजता होती है।

उन्होंने कहा कि हमें जिस कार्य के लिये सरकार द्वारा दायित्व दिये गए हैं, उन्हें हमने अपनी ईमानदारी व निष्ठा से पूरा करना है. हम अपने लिए नहीं, समाज को नए आयाम तक ले जाने की एक मिशाल कायम करने का भरसक प्रयास करते हैं. हमें अनावश्यक हीरो बनाने की कोशिश न करें।

अब यह तो तय है कि जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल अपनी कार्यशैली में आम जनता को सहजता से उपलब्ध हो जाते हैं व उनके चहेते इसलिए बन जाते हैं क्योंकि वह खास से ज्यादा आम व्यक्ति की परवाह करते हैं। वहीं जिलाधिकारी वन्दना सिंह कैसे उस भराव को बरकार रख पाएगी जो आम पब्लिक के दिलोदिमाग में अपने पुराने जिलाधिकारी  मंगेश घिल्डियाल के लिए था। हर अधिकारी के कार्य करने का अपना एक तरीका होता है जबकि प्रशिक्षण ज्यादात्तर एक ही संस्थान से लेते हैं व एक सा अनुभाव भी हासिल करते हैं लेकिन नए अधिकारियों में यह तो आ गया है कि वह उत्तर प्रदेश के दौर के अधिकारी नहीं रहे जिनकी ऐंठन किसी रस्सी से भी ज्यादा होती थी। उत्तराखण्ड के ज्यादात्तर जिलों के जिलाधिकारी अब जनता जनार्दन की भूमिका में ही दिख रहे हैं। यह ज्यादा सुखद कम से कम पहाड़ी जिलों के लिए तो है।

 

 

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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