Thursday, July 31, 2025
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जी हां…भारत बर्ष में 41 बर्ष पूर्व से है ई मेल सर्विस। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 1988 में अगर मेल किया गया तो वह प्रामाणिक सत्य।

देहरादून 20 मई 2019 (हिमालयन डिस्कवर)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लोकसभा चुनाव के दौरान किसी चुनावी सभा में अपने भाषण के दौरान कहा गया था कि उन्होंने 1988 में सर्वप्रथम मेल किया था तब क्या विपक्ष और क्या पक्ष। सोशल साइट पर मोदी के इस भाषण को हास परिहास का माध्यम बनाकर उन्हें नीचा दिखाने की हर किसी ने कोशिश की। और तो और कई ऐसे व्यक्ति भी थे जिन्होंने पुराने कैमरों की खेप ही सोशल साइट पर डालकर तरह तरह की पोस्ट लिखते हुए इस बात पर प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की जमकर खिली उड़ाई। किसी ने यह नहीं सोचा कि एक देश का प्रधानमंत्री अगर यह बात कह रहा है तो उसकी कोई वजह होगी। इस वजह को ढूंढा आईटी फील्ड के छात्र रहे एक प्राइमरी अध्यापक ने जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा पूर्व में सम्मानित किया जा चुका है

पौड़ी गढ़वाल के कल्जीखाल विकास खण्ड के नैल गांव के मनोधर नैनवाल पेशे से शिक्षक हैं व वर्तमान में प्राथमिक विद्यालय कल्जीखाल में कार्यरत हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा कही बात की वजह जानने के लिए गूगल गुरु का सहारा लिया और यह सच्चाई हम सबके सामने आ गयी।

मनोधर ने सोशल साइट पर लिखा- हाल हीं में माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा अपने किसी चुनावी भाषण में वर्ष 1988 में ईमेल भेजे जाने का जिक्र किया गया। इस बात पर पूरे देश में तरह-तरह की चर्चाएं जारी हैं। चूंकि प्रधानमंत्री का भाषण चुनावी था इसलिए विपक्षियों ने मुद्दे को हाथों-हाथ लपक लिया। प्रधानमंत्री ने 1988 में ईमेल भेजा अथवा नहीं यह तो व्यक्तिगत रूप से वे ही जान सकते हैं लेकिन मेरे मन में मुख्य रूप से एक प्रश्न पैदा हुआ कि- क्या 1988 में भारत में ईमेल सेवा प्रचलन में थी अथवा नहीं? और इस प्रश्न का जवाब तलाशने के लिए मैंने गूगल, विकिपीडिया जैसे सूचना के स्रोतों को खंगालना शुरू किया। और थोड़ी सी मेहनत के बाद कोलकाता से प्रकाशित इंडिया टाइम्स की एक रिपोर्ट पर जाकर ठहर गया जो वर्ष 2012 में प्रकाशित हुई है और इस रिपोर्ट का शीर्षक है ईमेल के 41 वर्ष। यह रिपोर्ट नीचे दिए गए लिंक में आपके साथ साझा कर रहा हूं।

https://docs.google.com/document/d/1T95IVeiup4v-z5WLUfsx9zRLEhmBj302FI0QJPZgZ8I/mobilebasic

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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