देहरादून (हि. डिस्कवर)
मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट “जल जीवन मिशन” यानि हर घर में हो नल के करोड़ों के प्रोजेक्ट पर विभिन्न जिलों में काम करने जा रही संस्थाओं द्वारा “जल जीवन मिशन” सम्बन्धी परियोजना पर एनजीओ के हित सम्बन्धी वंचित मुद्दों को लेकर न सिर्फ चर्चा की गयी बल्कि इन मुद्दों से सम्बन्धित ज्ञापन लोकसभा सांसद तीरथ सिंह रावत, पेयजल सचिव नितीश झा व जल जीवन मिशन ( को सौंपा!
प्रदेश स्वयंसेवी संस्था एसोसिएशन के पदाधिकारियों द्वारा इस बिषय को पूर्व भी विभिन्न प्लेटफॉर्म पर रखा गया लेकिन उत्तरोत्तर कार्यवाही लम्बित होते देखे पदाधिकारियों द्वारा सांसद गढ़वाल तीरथ सिंह रावत से मिलकर उनकी समस्याओं के निराकरण सम्बन्धी चर्चा कर मिशन से जुडी सभी क्रियान्वयन संस्थाओं के मुद्दे रखे गए! लोकसभा सांसद तीरथ सिंह रावत के कहने पर जैसे-तैसे पेयजल सचिव द्वारा संगठन के पदाधिकारियों को मुलाक़ात का वक्त दिया गया और संगठन ने विभिन्न बिषयों पर मौखिक चर्चा के बाद एक ज्ञापन पेयजल सचिव को सौंपा है!
यहाँ प्रश्न यह उठता है कि कोई सचिव क्या तभी किसी भी संगठन या व्यक्ति से मिल सकते हैं जब हाई प्रोफाइल परिचय हो! क्या आम व्यक्ति या समाज अपनी समस्याओं के समाधान हेतु शासन के किसी सचिव से मिल नहीं सकता? स्वयंसेवी संस्थाओं का संगठन जिन्होंने आने वाले समय में अपने लगभग 15 बर्ष पेयजल सम्बन्धी अनुभव में गुजारे हों उन्हें अपनी योजनाओं के क्रियान्वयन सम्बन्धी आम मुद्दों के लिए किसी मंत्री व सांसद को सीढ़ी बनाकर ही शासन तक अपनी बात रखनी होगी? आखिर क्यों ऐसे आये दिन प्रकरण आते हैं कि कोई संगठन जो समाज के हित में काम कर रहा हो या प्रतिनिधि मंडल अपनी समस्याओं के समाधान हेतु शासन व सरकार से समय लेने की कोशिश के बाद भी मिल नहीं पा रहा है!
फिलहाल यहाँ यह सब मुद्दा नहीं है क्योंकि प्रदेश स्वयं सेवी संगठन के पदाधिकारियों द्वारा “जल जीवन मिशन” परियोजना से सम्बन्धित मुद्दों व एनजीओ हित में कार्यों को शासन स्तर तक पहुंचाकर यह इंगित तो कर ही दिया है कि “जल जीवन मिशन” के शुरूआती चरण के प्रारम्भ होने से पूर्व संस्थाओं की विभिन्न समस्याओं का निराकरण किया जाना भी जरुरी है!
संगठन द्वारा 06 मुद्दों का एक ज्ञापन पेयजल सचिव नितीश झा को सौंपा गया जिनमें व्यवहारिक समस्याओं के निराकरण हेतु दुबारा से कुछ बातें शामिल की गयी हैं! संगठन के पदाधिकारियों ने VAP तैयार करने तथा VWSC गठित हेतु SWSM द्वारा जो धनराशी तय की गयी है उसे अत्यंत न्यूनतम बताया है क्योंकि जितना कार्य उपेक्षित है, वह उतनी कम धन राशि में किया जाना अत्यंत कठिन है! संगठन ने अपने ज्ञापन में कहा है कि किसी भी 100 परिवारों के गाँवों में कार्य प्रारम्भ करने के लिए कुशल व अर्ध कुशल कम से कम तीन व्यक्तियों को कार्य करने में लगभग चार दिन का समय लगता है, जबकि निर्धारित ड्रोन में इसे एक दिन का समय तय किया गया है, जो कि सम्भव नहीं है क्योंकि क्वाल एक दिन में ग्राम कार्य योजना तैयार करना ही सम्भव है!
संगठन ने ज्ञापन में कहा हिया कि मैदानी क्षेत्रों में अवस्थित गाँव कम से कम 1000 परिवारों और कई गाँव 2000 परिवारों से अधिक का होता है, इस सम्बन्ध में भी योजना बनाते हुए कोई विचार नहीं किया गया है! साथ ही ISA द्वारा सम्पूर्ण कार्य किया जाना है ऐसे में निर्धारित दरों के साथ एनजीओ प्रबन्धन व्यय तथा यात्रा व्यय इसमें शामिल नहीं किया जाना आश्चर्यजनक है क्योंकि बिना प्रारम्भिक व्यय के कोई भी स्वयंसेवी संस्था का प्रबन्धन कार्य प्रारम्भ कैसे कर पायेगा! संगठन ने मांग की है कि इसमें एनजीओ प्रबन्धन व राजस्व ग्राम दरों में वृद्धि की जाय!
संगठन द्वारा धरोहर राशि पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा है कि सभी स्वयंसेवी संस्थाएं “नन प्रोफिटेबल आर्गेनाईजेशन” होती हैं, ऐसे में वे धरोहर राशि के लिए किस फंड से पैंसा जुटाएंगी, इसलिए अनुबंध-पत्र में शामिल 10 प्रतिशत धरोहर राशि को समाप्त किया जाय! साथ ही संगठन द्वारा पेयजल सचिव के संज्ञान में यह बात भी लाइ गयी है कि अनुबंध पत्र में Taxes तथा Labour Law के अनुसार देनदारी होगी व उनका भुगतान क्रियान्वयन संस्था को देना होगा, किन्तु जब ISA को कार्य करने वाले व्यक्तियों को न्यूनतम प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी दी जा रही है, ऐसे में ISA द्वारा Taxes का भुगतान कहाँ से किया जाएगा! ऐसे में SWSM को Taxes व अन्य देनदारियों का भुगतान स्वयं करना चाहिए!
संगठन के संरक्षक कैलाश थलेडी ने जानकारी देते हुए कहा है कि संगठन द्वारा अपने 06 बिन्दुओं पर कार्यवाही हेतु मुख्यमंत्री, लोकसभा सांसद तीरथ सिंह रावत, मुख्यसचिव, प्रमुख सचिव, सचिव पेयजल इत्यादि को ज्ञापन सौंपा व प्रेषित किया गया है! उन्होंने बताया है कि भारत सरकार द्वारा जल जीवन मिशन कार्यक्रम की मार्गनिर्देशिका एवं विगत 24 फरवरी 2020 को सचिव पेयजल उत्तराखंड शासन द्वारा जारी शासनादेश में VWSC के सचिव पद पर पंचायत सचिव/पटवारी का उल्लेख किया गया है जिससे भ्रम की स्थिति बनी हुई है कि सचिव किसे बनाया जाय? सचिव ग्राम पंचायत को स्पष्ट निर्देश न होने के कारण असमंजस की स्थिति बनी हुई है व उनके द्वारा सहयोग नहीं किया जा रहा है! साथ ही कोरोना महामारी के कारण बैठकों में रोक लागई गयी है जिसके फलस्वरूप ग्राम सभा स्तर पर खुली बैठकों का आयोजन नहीं हो पा रहा है! ऐसे में शासन द्वारा ग्राम सचिव को स्पष्ट आदेश दिए जायं कि “जल जीवन मिशन” सम्बन्धी बैठकों का आयोजन ग्राम स्तर पर हो सकता है, यह आदेश हर जिले का सक्षम अधिकारी जारी करे ताकि संस्थाओं को कार्य प्रारम्भ करने में दिक्कतों का सामना न करना पड़े!
संगठन द्वारा पूर्व में भी परिवार सर्वे प्रपत्र में एकरूपता लाने सम्बन्धी ज्ञापन सौंपा गया था जिस पर कार्यवाही न होने के फलस्वरूप पुनः वह शासन व सरकार के संज्ञान में लाते हुए संगठन ने ज्ञापन में लिखा है कि प्रतयेक DIA द्वारा बेस लाइन सर्वे हेतु अलग-अलग प्रपत्र तैयार किये गए हैं! कई DIA तो DPR के बिन्दुओं का सर्वेक्षण भी ISA द्वारा करवाना चाहते हैं, जिस पर प्रत्येक मकान का अक्षांश व देशांतर गाँव के प्रत्येक नागरिक का आधार एवं मोबाइल नम्बर, जॉब कार्ड आदि को भी सर्वे पात्र में शामिल किया गया है! ऐसे में इतनी कम धनराशी में इतना अधिक कार्य किया जाना सम्भव नहीं है! इसलिए SWSM स्तर पर एकरूप सर्वे प्रपत्र सभी DIA को भेजे जायं!
संगठन द्वारा अंत में अपने ज्ञापन में मांग की गयी है कि VAP तैयार करने तथा VWSC के कार्य प्रारम्भ किये जाने से पूर्व SWSM द्वारा सभी ISA की कार्यशाला प्रशिक्षण आयोजित किया जाय!
ज्ञापन सौंपने वाले पदाधिकारियों में प्रदेश स्वयंसेवी संस्था एसोसिएशन के संरक्षक कैलाश थलेडी, प्रदेश संयोजक (टिहरी गढवाल) आदित्य कोठारी, प्रदेश संयोजक (जनपद हरिद्वार) लखबीर सिंह व प्रदेश संयोजक (जनपद देहरादून) कमल बहुगुणा शामिल थे!