Friday, November 22, 2024
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जंगल में लगी आग बुझाने गए दो भाई। बोले-हम भी हैं चौकीदार…!


पौड़ी 2 मई 2019 (हि. डिस्कवर)

ये आजकल कुछ अजीब गजब नहीं हो रहा है क्योंकि देश का हर युवा स्वयं देश की तस्वीर बदलने के लिए चौकीदार बन रहा है। विकास खण्ड कल्जीखाल के पयासू गांव के ये दो भाई भी ऐसा ही कुछ करने चले हैं। सीमित संसाधनों के साथ अपने जंगल में फैली आग को बुझाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं।

जंगल के नजदीक घर होने के कारण जंगल में लगी आग देख दोनो भाई घर से दौड़े चले गए क्योंकि उन्हें पता है कि आग ज्यों ज्यों फैलेगी मीलों फैला उनका जंगल एक तो चीड़ बहुतायत है दूसरा नवांकुर के रूप में फुट रही नई पेड़ों की पौध जलकर स्वाहा हो जाएगी।

ये दोनों एक विवेक मलासी और दूसरे विमल मलासी हैं। जहां विवेक दिल्ली के प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करता है व आजकल छुट्टी पर घर है वहीं विमल बीएड करने के बाद फिलहाल रोजगार की तलाश में है। दोनो का कहना है कि कइयों ने बोला वन विभाग में फोन करो, किसी ने बोला-ग्रामीण वन पंचायत है। हम दोनों को लगा जब तक ये लोग आएंगे। आएंगे भी कि नहीं आएंगे तब तक तो जंगल स्वाहा हो जाएगा इसलिए सोचा जो प्रकृति हमें स्वच्छ हवा, पानी व शुद्ध पर्यावरण दे रही है हमें स्वयं भी उसकी चौकीदारी करनी चाहिए। हर काम हम सरकारी महकमे के भरोसे ही छोड़ देंगे तो फिर न जंगल सुरक्षित रहेंगे न हम। इन जंगलों पर न सिर्फ हमारी आर्थिकी टिकी है बल्कि देश का जल पर्यावरण सब के यही मुख्य स्रोत हैं इसलिए हमने भी देश के प्रधानमंत्री मोदी की तरह अपने अपने स्तर पर ऐसी चौकीदारी सुनिश्चित कर दी है। अब कोई इसे चुनाव से जोड़े तो जोड़ता रहे।

इनका कहना भी सच है। जिस धरा का हम अन्न जल वायु या पंचतत्व ग्रहण कर रहे हैं उसके प्रति हमारी भी जिम्मेदारी बनती है। जिस तरह इन्होंने अपने जंगल बचाने के लिए किसी के आने का इंतजार नहीं किया उसी तरह हम सब भी अगर अपनी अपनी चौकीदारी करें तो यकीन मानिए यहां के प्रकृति प्रदत्त संसाधन हम पर जन्म जन्मों तक अपना प्यार दुलार लुटाते रहेंगे। बहरहाल विवेक जानकारी देकर बताते हैं कि पिछली शाम पूरा गांव आग बुझाने के लिए आ गया था लेकिन जब आज सुबह फिर हमने आग लगी देखी तो हम चले आये।

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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