गंगोलीहाट का चण्डिका घाट! जहां गाय पीती हैं खून, खाती हैं मांस।
(मनोज इष्टवाल)
ये बात कोई आम व्यक्ति बताता तो कोई भी विश्वास नहीं कर पाता लेकिन जब यही बात प्रदेश के काबीना मंत्री बताएं तो हैरत में डालने वाली बात होती है। मेरी भी यही दशा हुई कि जब यह बात सुनी तो आश्चर्य से आंखें फैलती चली गयी। गाय भी खून पीती है और मांस खाती है यह कैसा तिलिस्म व तिलिस्मी लोक होगा।
विगत दिनों हाटकाली पर चर्चा चल ही रही थी कि पिथौरागढ़ के विधायक व संसदीय कार्य मंत्री बताना शुरू कर देते हैं कि सन 2002 में जब वे विधायक बने तब उन्होंने मन्नत के आधार पर चण्डिका की पूजा देनी थी पूरा विधान सभा क्षेत्र उनके आवास पर जुटा पड़ा था और सब तैयारियों के साथ जब वे बकरे सहित चण्डिका के लिए रवानगी भर रहे थे तभी एक बुजुर्ग पर गोलज्यू देवता अवतरित हुए और बोले- मैं तुम्हारा कुल देवता हूँ और तुमने मुझे भुला दिया। खैर हमने जैसे तैसे गोलज्यू की मन्नत की उन्हें मनाया और उनके गांव से 15 किमी दूर स्थित चण्डिका घाट जा पहुंचे। ज्ञात हो कि चण्डिका घाट में माँ चण्डिका के मंदिर गंगोलीहाट व कनालीछीना के मध्य में रामगंगा के तट पर स्थित है।
वित्त एवम संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत बताते हैं कि उन्हें हैरत हुई जब उन्होने चण्डिका घाट के आस पास टहल रही गाय देखी जो बकरा काटते ही उसके लहू पर झपट पड़ती और उसे पी लेती। ये गाय मांस भी उसी चाव से खाती हैं जिस स्वाद के साथ लहू पीती हैं। यह आश्चर्यजनक सच सुनने के पश्चात मैंने तय किया है कि अब अगले पड़ाव की डाक्यूमेंट्री फ़िल्म माँ चण्डिका के ऐसे रौद्ररूप पर केंद्रित होगी क्योंकि यहां का आम जनमानस कहता है कि माँ चण्डिका जिस पर एक बार चिपट गयी तो फिर उसका कोई सोलुशन नहीं है।
इसे पिथौरागढ़ के लोक समाज में पर्चे की देवी कहा जाता रहा है जो सिद्धि दात्री है व तुरन्त कल्याण भी करती है। रुष्ट होने पर वह कठोर दंड भी देती है ।