Saturday, October 19, 2024
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कश्मीर के मजदूरों से सेव व अखरोट के  बीजू पौधों में बंधवाये जा  रहें है  ग्राफ्ट।

कैसे बनेगा उत्तराखंड आत्मनिर्भर?
(डा० राजेंद्र कुकसाल। उद्यान विशेषज्ञ)।
 तकनीकी विभाग का दम भरने वाला उद्यान विभाग जिसमें तीन हजार पांच सौ से अधिक अधिकारियों व कर्मचारी कार्यरत हैं तथा जिस पर   प्रतिबर्ष कर्मचारियों के वेतन पर लगभग एक सौ बय्यालिस करोड़ रुपए खर्च होता है कश्मीर से सेव व अखरोट के बीजू पौधे तथा साइन उड उच्च दामों में मंगा कर कश्मीर के मजदूरों से करवा रहा है राजकीय पौधालयों में ग्राफ्टिंग के कार्य।
यह खुलासा श्री बीरवान सिंह रावत देहरादून द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत निदेशालय उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण उत्तराखंड चौबटिया रानीखेत के कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार हुआ। जनपदों के मुख्य उद्यान अधिकारियों द्वारा निदेशालय की स्वीकृति दरों पर राज्य की राजकीय व व्यक्तिगत पंजीकृत नर्सरियों को दर-किनार कर कश्मीर व हिमाचल की व्यक्तिगत पंजीकृत नर्सरियों से लाखों रुपए के सेब व अखरोट के बीजू पौधे , साइनवुड, विभिन्न किस्मों के सेव के कलमी पौधे उच्च दामों में क्रय कर मंगाये गये है यही नहीं बल्कि राजकीय पौधालयों में ग्राफ्ट बांधाने हेतु मजदूर भी कश्मीर से बुलाये गये है ।
एक रिपोर्ट-
बर्ष 2021-22 में छः माह के अंतराल में निदेशालय द्वारा दो बार में 50 से 200% बढ़ाई गयी सेव के पौधों की दरें –
 निदेशालय द्वारा 15 मई 2021 को सेव सीडलिंग की दरें  10 से 15, सामान्य कलमी प्रजाति के पौधे 40 – 80 , डबल ग्राफ्टेड 175 क्लोनल रूट स्टाक सामान्य किस्म एवं स्पर 80 से 100,  क्लोनल रूट स्टाक 50  से 70 सेव साइन वुड सामान्य किस्म के 5-10   रंगीन किस्म 10-15 अखरोट सीडलिंग कागजी 40-50 काठी 30-30 तक दरें बढ़ाई गई ।
दिसंबर 14, 2021को निदेशालय द्वारा पुनः दरें बढ़ा दी  गई। सेब क्लोनल रूट स्टाक 300 से 480, रूट स्टाक ग्राफ्टेड 100 – 150 सेव इन्टरस्टाक आधारित 175 से 480 कर दिये गये।
सुनियोजित ढंग से कश्मीर की व्यक्तिगत पंजीकृत नर्सरी को निदेशालय द्वारा सूचिबद्ध किया गया साथ ही दरें अन्य नर्सरियों से कम दर्शा कर उन्हीं नर्सरियों से सेव पौध एवं साइनउड उढाने के निर्देश दिए गए।
 निदेशालय के पत्रांक 2820/फ्रुट प्लांट रजिस्ट्रेशन/ 2021-22 दिनांक दिसम्बर 30 2021द्वारा जिला स्तरीय अधिकारियों को फल पौध क्रय करने के निर्देश दिए गए हैं।
 जिसके अनुसार पौध क्रय करने में उत्तराखंड के मान्यता प्राप्त पौधालयों में उपलब्ध फल पौधों को प्राथमिकता के आधार पर विभागीय दरों पर क्रय करने जिन फल प्रजातियों के पौधे उपलब्ध न होने पर EOI के माध्यम से क्रय करने के निर्देश है।
कृषकों को फल पौध स्वयं विभाग में पंजीकृत पौधशालाओं से क्रय करने का प्रावधान है साथ ही भुगतान RTGS द्वारा करने के निर्देश दिए गए हैं।
फल पौध उठाने से पूर्व प्रजाति की सत्यता पूर्णतः स्थापित कर लिया जाय।
किसी भी प्रकार की अनियमितता के लिए संम्बन्धति अधिकारी उत्तरदाई होंगे-
निदेशालय के पत्रांक 3617/उ०त०/ दिनांक चौबटिया 12 जनवरी – 2022 के अनुसार बर्ष 21 – 22 में  अखरोट एवं सेव क्लोनल रूट स्टाक पर आधारित फल पौध क्रय करने के सम्बन्ध में किसी भी प्रकार की अनियमितता के लिए संम्बन्धति अधिकारी उत्तरदाई होंगे।
किसानों को विभाग में पंजीकृत पौधशालाओं से अपनी इच्छानुसार स्वयं फल पौध क्रय करने का प्रावधान है साथ ही अनुदान की धनराशि का भुगतान RTGS द्वारा करने के निर्देश दिए गए हैं।
शासनादेश संख्या 535/x।।।-2/2021 दिनांक 17 मई 2021के अनुसार कृषि एवं कृषक कल्याण विभाग की कृषकों को देय अनुदान आधारित योजनाओं का भुगतान डी वी टी के द्वारा देने के निर्देश दिए गए हैं।  आपूर्ति होने वाली सामग्री की गोविंद वल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के माध्यम से सामग्री/ स्टाक की Sample Testing अनिवार्य रूप से की जाय  जिसका अनुपालन नहीं किया गया।
 बर्ष 2021 – 22 में  बड़ी हुई कीमतों पर कश्मीर की व्यक्ति पंजीकृत नर्सरी  से विभिन्न जनपदों में मुख्य उद्यान अधिकारियों द्वारा क्रय किए गए सेव व अखरोट के पौधे-
मुख्य उद्यान अधिकारी उत्तरकाशी –
1.सेव बीजू एक लाख @ 14.80 कुल धनराशि Rs चौदह लाख अस्सी हज़ार।
2.अखरोट बीजू बीस हजार @ 30 कुल धनराशि छ लाख रुपए मात्र।
3.सेव साइनउड पच्चीस हजार चार सौ@ 30/40/50/80 कुल धनराशि वारह लाख चार हजार।
4.सेव साइनउड बारह हजार@30/40/50/
80 कुल धनराशि चार लाख पच्चानब्वे हजार।
5.अखरोट साइनउड बीस हजार@ 15 कुल धनराशि तीन लाख।
6 कश्मीर के मजदूरों से ग्राफ्टिंग कार्य एक लाख बीस हजार पौधों पर @ 4/6 कुल धनराशि पांच लाख बीस हजार।
7.सेव कलमी 850 @ 150 कुल धनराशि एक लाख सत्ताइस हजार पांच सौ।
8.क्लोनल रूट स्टाक सेव पौध 920@ 345 कुल धनराशि तीन लाख सत्तरह हजार चार सौ।
9. क्लोनल रूट स्टाक दो हजार @ 120/130 कुल धनराशि दो लाख पचास हजार।
मुख्य उद्यान अधिकारी चमोली-
1. सेव बीजू पच्चास हजार @14.80 कुल धनराशि सात लाख चालीस हजार।
2.सेव साइन उड दस हजार @15 Rs. कुल धनराशि एक लाख पचास हजार।
मुख्य उद्यान अधिकारी रुद्रप्रयाग-
1. सेव सीडलिंग दस हजार @14.80 कुल धनराशि एक लाख अडतालीस हजार।
2. सेव साइन उड पांच हजार @30/40/50/
80 कुल धनराशि दो लाख पच्चहतर हजार।
3.अखरोट सीडलिंग पांच हजार @ 35 कुल धनराशि एक लाख पच्चहतर हजार।
4.अखरोट साइन उड छः हजार @ 20 Rs. कुल धनराशि एक लाख बीस हजार।
उद्यान विशेषज्ञ कोटद्वार –
1.सेव बीजू पन्द्रह हजार @ 14.80 कुल धनराशि दो लाख बाइस हजार।
2.सेव कलमी क्लोनल रूट स्टाक पांच सौ @ 450 Rs कुल धनराशि दो लाख पच्चीस हजार।
3. कश्मीर मजदूरों से बंधवाये गये ग्राफ्ट – उन्नीस हजार कुल धनराशि एक लाख अड़तीस हजार।
अन्य जनपदों में भी इसी प्रकार सेव के बीजू एवं कल्मी पौधे मंगाये गये है।
जनपद उत्तरकाशी में कश्मीर के मजदूरों से एक लाख सेव व बीस हजार अखरोट में कराये गये ग्राफ्टिंग में जीविता प्रतिशत, अखरोट में शून्य एवं सेव में भी मात्र 54 से 56 % ही रही यही हाल सभी जनपदों के है।
नियमों को दरकिनार कर जिस तेजी से दरें बढ़ाई गई, नर्सरियों को सूचिबद्ध किया गया आपूर्ति के आदेश निर्गत किए गए व बिलों का भुगतान किया गया इससे लगता है कि  पौधों का आपूर्ति से पूर्व सत्यापन नहीं किया गया और न ही प्लान्ट क्वारेनटाइन नियमों का पालन किया गया जिससे उत्तराखंड में सेव में वीषाणु रोग आने की पूरी संभावना है।
उत्तराखंड सरकार का तीन हजार पांच सौ से अधिक कर्मचारियों वाला उद्यान विभाग कर्मचारियों के वेतन पर लगभग 142 करोड़ रुपए (एक सौ बयालिस करोड़ रुपए) प्रति बर्ष खर्च करता है। विभाग द्वारा सेव तथा अखरोट के बीजू पौधे व साइन उड के साथ ही साथ ग्राफ्ट बांधाने हेतु मजदूर भी कश्मीर से बुलाना विभाग की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह खड़े करता है। जब विभाग को बाहरी राज्यों से अप्रशिक्षित मजदूरों,बाहरी राज्यों की नर्सरियों से पौध क्रय करना है तो क्यों विभाग में प्रशिक्षित कर्मचारी रखे गए क्यों राज्य की नर्सरियों को रजिस्ट्रेशन किया गया है जब मानकों को पूरा नहीं करती। ऐसे ही बहुत सवाल विभागीय अधिकारियों, कर्मचारियों और उद्यानपतियों ने उठाए हैं…!
प्रथम द्रष्टया यह उद्यान निदेशालय के संरक्षण में संगठित भ्रष्टाचार का मामला प्रतीत होता है जिसकी जांच स्वतंत्र एजेंसी के माध्यम से होनी चाहिए।
उद्यान विभाग के ऐसे कारनामों से नहीं लगता कि राज्य के किसान आत्म निर्भर बनेंगे।
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